भारतीय सेना को अमेरिका से मिली छह नई हॉविजर गन एम 777, पोकरण में परीक्षण जारी


जोधपुर। भारत में अमेरिकन अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर गन 155 एम 777 के ए 2 एडवांस वर्जन की कई तोपों का ट्रायल एक बार फिर सेना की पोकरण फायरिंग रेंज में किया जा रहे हैं। पूर्व में ऐसी दो तोपों का पोकरण में ही परीक्षम किया गया था। अब छह नई तोप भारतीय सेना को मिली है। करीब तीन दशक पश्चात भारतीय सेना को उच्च स्तरीय तोपें मिलने जा रही है. ये तोप बोफोर्स का स्थान लेगी। इन तोपों के शामिल होने से भारतीय सेना की मारक क्षमता काफी बढ़ जाएगी। अमेरिका से छह और नई एम 777 गन अमेरिका से भारत लाई गई हैं। इनका के ट्रायल पोकरण फायरिंग रेंज में चल रहा है, जो कि आगामी कुछ दिनों तक जारी रहेगा। इन ट्रायल के दौरान अमेरिकन विशेषज्ञ महेंद्रा कंपनी के अधिकारी व उच्च सेनाधिकारी भी मौजूद रहे। सेना के आर्टिलरी के एक उच्च अधिकारी ने भी पोकरण फायरिंग रेंज का दौरा कर वहां पर इन गनों की फायरिंग क्षमता को देखा व उच्चाधिकारियों से इस संबंध में बातचीत की। पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में अमेरिकन अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर के एडवांस वर्जन गन के फायरिंग की गूंज एक बार फिर पुनः सुनाई देने लगी है। हाल ही अमेरिका से लाई गई आई 6 नई गनों के फायरिंग ट्रायल के दौरान अचूक निशाने साधे गए। डीजी आर्टिलरी व अमेरिकी एक्स केलिबर की मौजूदगी में हाल ही अमेरिका से भारत लाई गई गनों की इंटीग्रेटेड फायरिंग केपेबिलिटी को जांचा परखा जा रहा है। वर्तमान जो चुनौतियां मिल रही हैं, उन्हें देखते हुए ये गर्ने भारतीय सेना के लिए रामबाण हथियार के रूप में साबित होंगी। भारतीय सेना की मारक क्षमता को मजबूत करने के लिए अमेरिका के साथ एम 777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर गन खरीदने का समझौता हुआ था। 18 मई, 2017 को दो अमेरिकन गर्ने भारत लाई गई थीं। 8 जून, 2017 को इसके डायरेक्टर पहले फायर ट्रायल के परीक्षण शुरू किए गए थे। हालांकि इसके परीक्षण पहले सफल हो चुके थे। इसे चीन व पाकिस्तान की सीमाओं पर तैनात किया जाएगा। इस तरह साल 1986 में बोफोर्स तोप के बाद अब सेना को एक कारगर तोप मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इस गन की खासियत यह है कि ये हल्की होने के कारण इसे उठाकर या फील्ड कर हेलिकॉप्टर के जरिये या अन्य किसी साधनों से एक स्थान से दूसरे स्थानों पर रखा जा सका है। खासकर जम्मूकश्मीर के लेह लद्दाख व अरुणाचल प्रदेश के 16 हजार फीट से भी ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में हेलिकॉप्टर के जरिए ये उठाकर ऊंचे स्थानों पर ले जाया जा सकता है। समझौते के तहत कुछ तोप अमेरिका से लाई जाएगी. शेष तोप का देश में ही निर्माण किया जाएगा।


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