जब हस्तरेखा पर हो ऐसे निशान तो पिता बनने में आती है परेशानी--पंडित दयानंद शास्त्री


हस्तरेखा विज्ञान में हथेली की रेखाओं के आधार पर बड़ी ही दिलचस्प जानकारियां दी गई हैं। इन जानकारियों से व्यक्ति के स्वभाव और उसके भविष्य के बारे में काफी कुछ मालूम किया जा सकता है। पण्डित दयानन्द शास्त्री जी हथेली की उन रेखाओं के बारे में बताने वाले हैं जिनसे व्यक्ति की होने वाली कुल संतानों की संख्या जानी जा सकती है। जी हां, हस्तरेखा विज्ञान की मानें तो व्यक्ति की हथेली पर कुछ ऐसी रेखाएं होती हैं जिनसे उसकी होने वाली संतानों के बारे में पता लगाया जा सकता है। बता दें कि छोटी अंगुली के निचले हिस्से के स्थान को बुध पर्वत कहा जाता है। ज्योतिष में बुध पर्वत पर बनने वाली रेखाओं के आधार पर व्यक्ति के संतान सुख के बारे में पता चलता है।



भारतीय सामुद्रिक शास्त्र में हाथ में अंगूठे वाले क्षेत्र को पितृ क्षेत्र कहा गया है। अंगूठे की जड़ पर शुक्र पर्वत की स्थित इस तथ्य का अनुमोदन करती है क्योंकि शुक्र पर्वत व्यक्ति में काम भाव (सेक्स) का अनुपात बताता है और यही भाव संतानोत्पत्ति का कारक है। अतः अंगूठे की जड़ पर स्थित शुक्र पर्वत पर खड़ी रेखाएं संतान संबंधी प्रश्नों का सही उत्तर देती हैं।



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हस्तरेखा के अनुसार आपकी हथेली के बुध पर पर्वत पर जितनी खड़ी रेखाएं होंगी, आपकी उतनी ही संतान संख्या होगी। पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि हस्तरेखा विज्ञान में हाथ के अंगूठे के निचले हिस्से को शुक्र पर्वत कहा जाता है। और शुक्र पर्वत पर बनने वाली छोटी-छोटी रेखाओं के आधार पर संतान संख्या निर्धारित होती है। जानना दिलचस्प है कि बुध और शुक्र पर्वत की इन छोटी-छोटी रेखाओं को हस्तरेखा ज्ञान में संतान रेखा के नाम से जाना जाता है।



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भाग्य रेखा से यह भी पता चलता है क्या किस स्त्री को संतान संबंधी परेशानी हो सकती है।
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किसी भी जातक की हथेली में विवाह रेखा के ऊपर बुध पर्वत पर तथा अंगूठे के नीचे पाई जाने वाली रेखाएं संतान से संबंधित रेखाएं होती हैं। परन्तु इस रेखा के साथ अन्य रेखाओं का एवं हाथ की विशेषताओं का अध्ययन करके ही संतान संबंधित


भविष्यवाणी की जा सकती है।
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हथेली की सबसे छोटी उंगली के नीचे वाले भाग को बुध पर्वत कहते हैं। इसी बुध पर्वत पर संतान से संबंधित रेखा होती है। इस रेखा की संख्या एक या एक से अधिक भी हो सकती हैं। संतान रेखाएं छोटी-छोटी और खड़ी स्थिति में होती हैं। 
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यदि संतान रेखा उतनी ही स्पष्ट हो जितनी कि उसके पत्नी की है तो जातक बच्चों को बहुत प्यार करता है और उसका स्वभाव बहुत ही स्नेही होता है।
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रेखा के पतले भाग में द्वीप हो तो संतान आरम्भ में निर्बल होगी, लेकिन बाद में यही रेखा स्पष्ट होगी तो स्वस्थ्य हो जायेगें।
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यदि संतान रेखा के अन्त में द्वीप चिह्न हो तो बच्चा जीवित नहीं रहता।



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यदि हृदय रेखा बुध क्षेत्र पर दो या तीन रेखाओं में विभाजित होकर शाखा स्पष्ट हो तो वह व्यक्ति संतान युक्त होता है।
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इस रेखा से मालूम होता है कि व्यक्ति की कितनी संतान होंगी। संतान रेखा से यह भी मालूम हो सकता है कि संतान के रूप में कितनी लड़कियां हो सकती हैं और कितने लड़के हो सकते हैं। 
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यदि आपकी हथेली में बुध पर्वत अधिक उभरा है और संतान रेखा स्पष्ट हैं तो आपके चार पुत्र और तीन कन्या संतान होने हो सकती है। आपके बच्चे गुणवान और संस्कारी होंगे।
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इस रेखा का अध्ययन बड़ी ही गहराई से किया जाना चाहिए, क्योंकि ये रेखाएं बहुत ही बारीक होती हैं। गहरी संतान रेखा पुत्र की ओर इशारा करती है, जबकि हल्की संतान रेखाएं पुत्री की ओर इशारा करती हैं।
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यदि शुक्र पर्वत पूर्ण विकसित और जीवन रेखा घुमावदार हो तो यह संतान प्राप्ति के शुभ संकेत को दर्शाती है। एक महत्वपूर्ण बात यह कि व्यक्ति को कितनी संतानें होंगी, वह उसे कितना सुख देगी, संतान स्वस्थ होगी या अस्वस्थ, पुत्र होगा या पुत्री, यह सब बातें रेखा की मजबूत स्थिति और विभिन्न प्रकार के पर्वतों पर इस रेखा के स्पर्श एवं इसकी स्थिति द्वारा ज्ञात हो सकती हैं।



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किसी भी महिला जातक की हथेली में टूटी-फूटी रेखाएं अस्वस्थ संतान की द्योतक होती हैं। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि हाथ में संतान रेखाएं तो होती हैं किंतु जातक को संतान सुख प्राप्त नहीं होता। इसके दो कारण हो सकते हैं। पहला यह कि जातक में प्रजनन शक्ति तो होती है, किंतु वह परिवार नियोजन के किसी उपाय द्वारा संतान पैदा करना नहीं चाहता। 


दूसरा यह कि जातक में प्रजनन शक्ति होती है किंतु उसके जीवन साथी की प्रजनन शक्ति बाधित होती है। इस बाधा का पता लगाने के लिए हाथ के चंद्र पर्वत को देखना चाहिए। 
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यदि चंद्र पर्वत के निचले भाग पर टूटी फूटी रेखाएं या क्रास हो  तो उसके उपयुक्त उपचार के लिए चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। कमी किसमें है, इसका पता लगाने के लिए पति और पत्नी दोनों के हाथ देखने चाहिए। इनके अतिरिक्त हाथ के कुछ और लक्षणों से भी संतान संबंधी प्रश्नों के उत्तर मिलते हैं, यथा: कलाई की निकटतम मणिबंध रेखाएं स्पष्ट हों तो संतान की संभावना होती है। 
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यदि ऊपरी मणिबंध रेखा ऊपर की ओर धनुषाकार अवस्था में उठी हुई हो तो संतानोत्पत्ति में बाधा आती है।
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शुक्र पर्वत को अंगूठे से अलग करने वाली जोड़ रेखा स्पष्ट द्वीपों की माला के समान हो तो संतान की संभावना होती है।  
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पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि यदि शुक्र पर्वत दबा हुआ हो तो संतान उत्पत्ति में बाधा होती है। इस बाधा के निवारण के लिए योग्य एवम अनुभवी विद्वान से परामर्श करके मूंगा, माणिक्य या लाल रंग का कोई अन्य रत्न अंगूठी में जड़वा कर पहनना चाहिए और प्रतिदिन संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
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जिस कन्या के हथेली कठोर होती है और जीवन रेखा दो शाखों में बंटी होती है और भाग्य रेखा अन्य रेखाओं से अधिक मोटी हो तब इन्हें गर्भधारण में परेशानी आती है। अगर भाग्य रेखा पर कट का निशान हो या भाग्य रेखा टूटी हुई हो तब यह आशंका अधिक बढ़ जाती है। इसलिए विवाह के समय कन्या की चेहरा ही नहीं उनकी हथेली भी देखनी चाहिए।
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पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि संतान संख्या के अलावा हस्तरेखा विज्ञान में संतान के पुत्र या पुत्री होने का भी आंकलन किया गया है। हस्तरेखा की मानें तो बुध और शुक्र पर्वत पर बनने वाली छोटी-छोटी गहरी रेखाएं पुत्र प्राप्ति का संकेत देती हैं। इसके अलावा यदि ये रेखाएं हल्की हों तो आपको लक्ष्मी यानी पुत्री की प्राप्ति हो सकती है। इसके साथ ही जिन लोगों का बुध पर्वत उभरा हुआ होता है उनकी चार संतानें होने की मान्यता है। वहीं जिन लोगों का शुक्र पर्वत उभरा हुआ होता है उन्हें एक संतान होने की मान्यता है।
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हथेली में भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा के नीचे गोलाकार चिन्ह बना रहा हो तो यह शुभ संकेत नहीं होता है। इससे व्यक्ति को दुर्घटना का सामना करना पड़ता है। ऐसे में व्यक्ति अपनी याददाश्त खो बैठता है।
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समुद्रशास्त्र के अनुसार हथेली में दोनों किनारों में से किसी भी ओर से कोई ऐखा निकलकर भाग्य रेखा को काटे तो यह संकेत है कि व्यक्ति को शत्रुओं से सावधान रहना चाहिए अन्यथा नुकसान होता है। ऐसी भाग्य रेखा से परिवार में मतभेद एवं कलह की स्थिति भी बन रहती है।
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हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार जिनकी हथेली में शनि पर्वत ऊंचा होता है और भाग्य रेखा चन्द्र पर्वत से चलकर हृदय रेखा पर रुक जाती है उन्हें हृदय रोग की आशंका रहती है। 
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जिनकी हथेली में भाग्य रेखा की एक शाखा निकलकर मस्तिष्क रेखा से मिलती है और भाग्य रेखा भी मस्तिष्क रेखा से मिलकर त्रिभुज का निशाल बनाती है उन्हें जल क्षेत्र के आस-पास सावधान रहना चाहिए। ऐसे व्यक्ति के जल में डूबने की आशंका रहती है। 
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जिस व्यक्ति की हथेली में भाग्य रेखा हृदय रेखा पर जाकर रुकती हो और वहां द्वीप का निशान बन रहा हो तब व्यक्ति प्यार में पागलपन की हद तक जाने वाला होता है।
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अंगूठे के पास से कोई रेखा निकलकर भाग्य रेखा को काटे तो यह संकेत है कि व्यक्ति के अवैध संबंध हो सकते हैं और काम-वासना में फंसकर अपना नुकसान कर बैठता है।
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जिनकी हथेली में भाग्य रेखा बार बार टूटती हुई शनि पर्वत तक पहुंचती है उनकी सेहत में उतार-चढ़ाव बना रहता है। इनका भाग्य जीवन में अक्सर परिर्वतन लाता रहता है इसलिए कठिनाइयों के साथ जीवन में आगे बढ़ते हैं।


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