केरल विधानसभा में कानून वापस लेने का प्रस्ताव पास


एजेंसी


बेंगलुरु। भाजपा महासचिव राम माधव ने सोमवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ देशभर में हुए हिंसक प्रदर्शन में निर्दोष लोग भी मारे गए। उन्होंने कहा, विपक्ष के नेतृत्व में देश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन की घटनाएं हुईं। इनमें कई बेगुनाहों की जान गई। भाजपा मुस्लिमों को नागरिकता देने के खिलाफ नहीं है। अगर ऐसा होता तो पाकिस्तानी गायक अदनान सामी को भारतीय नागरिकता नहीं मिलती। उधर, केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विज विधानसभा में सीएए को वापस लेने की मांग को लेकर एक प्रस्ताव रखा था जिसे पारित कर दिया गया। उन्होंने कहा, 'यह कानून किसी को भी देश से बाहर नहीं करती है बल्कि उन लोगों को नागरिकता प्रदान करती है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न झेलते रहे हैं। सीएए का विरोध कर रहे नेताओं को इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है और वह नई चीजों को ग्रहण नहीं करना चाहते। हमारे स्कूल के दिनों में वाटरप्रूफ घड़ी पहनने का चलन था। इसमें पानी नहीं जा सकता था। ठीक उसी प्रकार विपक्षी नेता सीएए को लेकर पूर्वधारणा से ग्रसित हैं।' केरल विधानसभा में सीएए कोखत्म करने का प्रस्ताव रखा गया केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने विधानसभा में सीएए को खत्म करने की मांग को लेकर एक प्रस्ताव रखा और यह पारित हो गया। उन्होंने कहा, 'सीएए देश की धर्मनिरपेक्ष पहचान और संस्कृति के खिलाफ है और इससे नागरिकता प्रदान करने में धर्म के आधार पर भेदभाव होगा।' भाजपा विधायक ओ. राजगोपाल ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने कहा कि इस तरह का प्रस्ताव लाया जाना संकीर्ण राजनीतिक मानसिकता को दर्शाता है। मंगलवार को केरल विधानसभा का एक दिवसीय सत्र बुलाया गया है। इसमें अगले दशक के लिए एससी/एसटी को विधानसभा और संसद में आरक्षण बढ़ाने जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया। असम में सरकारी अधिकारियों को सरकार ने नोटिस भेजा तमिलनाडु में तिरुनवेली पुलिस ने तमिल लेखक नेलई कन्नन के खिलाफ मामला दर्ज किया है। उन्होंने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान भाषण दिया था। यह प्रदर्शन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया ने 29 दिसंबर को आह्वान किया था। भाजपा नेताओं के शिकायत के आधार पर पुलिस ने कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। असम में उच्चतर शिक्षा निदेशालय ने सरकारी और क्षेत्रीय कॉलेजों के सभी प्राचायों को नोटिस भेजकर असम सिविल सर्विस (कंडक्ट) रूल्स, 1965 का पालन करने को कहा है। इसके तहत कोई भी सरकारी अधिकारी सरकार की आलोचना नहीं कर सकता है। यदि इसका उल्लंघन होता है तो उसकी गिरफ्तारी हो सकती है।


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