साइबर क्राइम का सामना प्रशिक्षण, जागरुकता और अनशासन के जरिये किया जा सकता है: पालीवाल साइबर खतरों से निपटने HYBERIMMein तरीके से


जयपुर। फिक्की और राजस्थान पुलिस की सहभागिता में आज होटल मैरियट, जयपुर में राजस्थान साइबरकॉम 2020 कार्यक्रक का आयोजन किया गयाकार्यक्रम का उद्देश्य बढ़ती हुई साइबर क्राइम गतिविधियों पर आमजन के लिए जागरूकता का प्रचार-प्रसार करना था।


राजस्थान सरकार के एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, एटीएस और एसओजी, आईपीएस श्री अनिल पालीवाल ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुये कहा कि, नवीनतम तकनीक ने हम सभी का जीवन आसान बना दिया हैऔर श्रेष्ठ बात यह है कि तकनीक का फायदा सुदूर गांव-ढाणी तक हो रहा हैलेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि इसने हमारे समक्ष नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैसाइबर क्राइम एक गंभीर और निरंतर विस्तृत विषय है जिसे नियंत्रण करने के लिये अनुशासन और जागरूकता की अत्यंत आवश्यकता है। साइबर क्राइम की बढ़ती चुनौतियों का सामना निरंतर योजना, प्रशिक्षण और अनुशासन के जरिये किया जा सकता है। हम सभी को onIVACILIVAMIL इस क्षेत्र में निरंतर कार्य करने की आवश्यकता है क्योंकि अपराधी भी अपने तरीकों में नवीनता और सुधार लाते रहेगें।


तो इस क्षेत्र में रहेगें। उन्होंने सरकारी विभागों तथा निजी संस्थानों से निचले स्तर तक जागरूकता प्रसार करने का आह्वान किया, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर कंपनियां अपने सीएसआर फंड के एक भाग को जागरूकता में खर्च करे तो इस क्षेत्र में काफी सुधार लाये जा सकते है। राजस्थान सरकार के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, आईपीएस श्री शरत कविराज ने अपने उद्बोधन में पुलिस विभाग द्वारा अपनायी जा रही विविधी सूचना प्रौधोगिकी नवाचारों के बारें में जानकारी देते हुये बताया कि किस प्रकार पुलिस की हमेशा उन्होंने विविध प्रकार के ईमेल कार्यप्रणाली पेपर बेस्ड, कम्प्यूटर बेस्ड और वर्तमान में मोबाइल बेस्ड हो गयी है। इन्होंने विविध प्रकार के साइबर अपराधों की जानकारी भी साझा की। कार्यक्रम में श्री कविराज ने भविष्य में लागू की जाने वाली वन सिम-वन फोन-वन क्राइम के बारें में भी बताया कि जिसके अंतर्गत किसी भी सिम अथवा फोन का उपयोग किसी अपराध में किया जाता है तो वे हमेशा के लिये ब्लॉक हो जायेगें। इस दौरान उन्होंने विविध प्रकार के साइबर अपराधों जैसे आईडेन्टीटी थेफ्ट, ईमेल स्पूफिंग, एटीएम फॉड्स, इंटेलेक्युअल प्रॉपटी क्राइम्स, साइबर डिफेमेशन, एटीएम क्लोनिंग आदि के बारें में जानकारी देते हुये बताया कि इस सभी पर नियंत्रण हेतु उघोग जगत, सुरक्षा एजेंसियों और आमजन के साथ काम करने की आवश्यकता है। प्रतिभागियों का स्वागत करते


सकता प्रतिभागियों का स्वागत करते हुये डाटा इन्जीनियस ग्लोबल लिमिटेड के फाउंडर और सीईओ डॉ अजय डाटा ने बताया कि, जब हम डिजिटल इंडिया की कल्पना करते है तो इसमें सिक्योर इंडिया की परिकल्पना का महत्वपूर्ण स्थान है। आज के कार्यक्रम का मुख्य उदेदश्य इस क्षेत्र से संबंधित विभिन्न हितधारकों को मंच प्रदान करना है जिससे इससे संबंधित विविध खतरों का प्रभावी तरिको से निस्तारण किया जा सकता है। अजय डाटा ने यह भी बताया कि किस प्रकार साइबर क्राइम से निपटने का दायित्व केवल पुलिस और आईटी से जुड़े लोगों तक ही सीमित नहीं है। इसके लिये सभी क्षेत्रों के लोगों का जुड़ाव आवश्यक है क्योंकि विषय के ज्ञान के साथ उसके प्रसार से इन चुनौतियों से निरंतर प्रभावी तरीके से निपटा जा सकताहै |


आईआईटी-भिलाई के डायरेक्टर प्रो रजत मूना ने बताया कि किस प्रकार तकनीक के विकास के साथ साइबर क्राइम के तरीकों में बदलाव आता जा रहा है। जहां पिछले दशक फिशिंग अटैक्स बड़े पैमाने पर प्रचलित थे वहीं वर्तमान में टेलीफोन के जरिये ये काम हो रहा है। जिसमें लोग अपना डाटा अपराधियों से साझा करके उनका आसानी से शिकार हो जाते है। टेक्स्ट टु स्पीच, स्पीच रिकोजीनेशन आदि तकनीक ने अपराधियों का काम भी आसान कर दिया है। इनका सामना करने के लिये सभी जांच एजेंसियों को साइबर सिक्योरिटी और साइबर प्राइवेसी के क्षेत्र में प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुये फिक्की के आईसीटी और डिजिटल इकोनॉमी डिवीजन की डायरेक्टर और हैड सारिका गुलयानी ने साइबर क्राइम के खिलाफ लड़ने के लिए आवश्यक साइबर सुरक्षा और मल्टी स्टेकहोल्डर सहयोगी प्रयासों के बारें में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज का कार्यक्रम इस दिशा में विभिन्न हितधारकों को नये युग की तकनीकों से जुडी सुरक्षा चुनौतियों को समझने और साइबर अपराधों के खिलाफ मुकाबला करने के प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करने का अवसर प्रदान करेगा।


 


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