‘‘प्रदेश के राज्य कर्मचारी सडको पर,राज्य सरकार को चेतावनी, राज्य के 33 जिला मुख्यालयो पर धरना प्रदर्शन‘‘


        जयपुर , 27 फरवरी 2020, अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संध के आव्हान पर सरकार की दमनकारी नीतीयो, संवादहीनता एवं वेतन से वसूली से आक्रोषित कर्मचारियों ने राज्य के 33 जिला मुख्यालयों पर धरना देकर विरोध दिवस मनाया एवं जिला कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया कर्मचारियों के विरोध दिवस के कारण राज्य भर का ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी, पशु चिकित्सक , कृषि पर्वक्षको के द्वारा जहाॅ सामुहिक अवकाष पर रहने के कारण ग्रामिण क्षेत्र मे पूरी तरिके से कार्य प्रभावित रहा वही सहायक कर्मचारी के आन्दोलन में भाग लेने के कारण फाईले इधर उधर नही हो पायी।  कर्मचारियो में सरकार के एक वर्ष पूर्ण होने के बाद हुऐ पहले धरने के कारण आक्रोष देखते ही बनता था सभी विभागो के कर्मचरी जूलूस के रूप में धरना स्थल पर पॅहूचे।



    महासंध के प्रदेष महामंत्री तेज सिंह राठौड ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि राज्य सरकार ने सत्तारूड होते ही कर्मचारियो का दमन चालू किया था जो निरन्तर चल रहा है। राज्य सरकार को जगाने के लिये धरना दिया गया है।क्योंकि सरकार ने कर्मचारी शक्ति को नजर अंदाज किया है। इतिहास साक्षी है जब जब राज्य कार्मियो ने राज्यकारी आन्दोलन किया है तब तब सरकारो को मुह की खानी पडी है। राज्य कर्मियो का धैर्य जवाब दे चुका है। एवं सरकार कर्मचारियो की सहनषीलता को कमजोरी समझ रही है। राज्य कर्मचारी राज्यकारी आन्दोलन के लिये कमर कस चुका है इसका परिणाम सरकार को भुगतने के लिये तैयार रहना होगा। राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार समय रहते मांगो का द्धिपक्षिय वार्ता के माध्यम से हल करे नही तो 15 मार्च को महासंध के धटक संगठनोे की महा समितियो की संयुक्त बैठक में महासंध बडा आन्दोलन करने का निर्णय करेगा।



    महासंध के प्रदेषाध्यक्ष आयुदान सिंह कविया राजधाानी जयपुर में जिला कलेक्टर के समक्ष दिये जा रहे धरने को संबोधित करते हुये राज्य सरकार को खुली चेतावनी दी है समय रहते कर्मचारी महासंध से वार्ता कर समस्याओं का समाधान  नही निकाला तो कर्मचारी सरकार की समस्त योजनाओं को ठप्प कर देगे। राजधानी में दिये गये धरने में 82 संगठनों के हजारों कर्मचारियों ने भाग लेकर इस बात को बल दिया है कि कर्मचारियो को अब रोकना संभव नही होगा तथा कर्मचारी सरकार से दो-दो हाथ करने को तैयार है। राजधानी में धरने की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष चन्द्रषेखर गुर्जर नेे की ।
    राज्य सरकार ने कर्मचारियों के आन्दोलन के संवैधानिक अधिकारों को कुचलने का प्रयास किया है जो बर्दाषत नही किया जावेगा। महासंध के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के.के. गुप्ता ने धरने को संबोधित करते हुये कहा कि राज्य सरकार कर्मचारी आन्दोलन को हल्के में नही लें क्योकि कर्मचारी ने पहले भी सरकारे बदली है एवं अपना इतिहास दोहराने में चुकेगा नही। सरकार नवीन पेंषन स्कीम की पैरवी कर रही है परन्तु सांसदो एवं विधायको के लिये पुरानी पेषंन योजना का विकल्प चुना है। यदि नई पेषन योजना अच्छी है तो नेताओ को भी सांसद विधायको को भी नवीन पेषन से जोडना चाहिए।
    धरने पर उपस्थित नेताओ ने राज्य सरकार कि दमनकारी नीती आलोचना की है। एवं न्यूनतम मजदूरी 18 हजार करने की मांग की गयी। नेताओ ने कहा कि संधर्ष की चिंगारी लग गयी है अब ज्वाला एवं ज्वालामुखी बनते देर नही लगेगी। कोई भी कर्मचारी सडक पर नही आना चाहता है परन्तु मजबुरन कर्मचारियो को सडक पर आना पड रहा है। जिसकी समस्त जिम्मेदारी सरकार की है।


धरने को ओमप्रकाष शर्मा, मदन सिंह, मुरारी पारीक, महावीर सिंहाग, महावीर शर्मा, अर्जुन शर्मा दुर्गेष चतुर्वेदी, सुरेष धाबाई, योगेन्द्र सिंह शेखावत, धर्मेन्द्र फोगाट, महेन्द्र तिवाडी, प्यारे लाल चैधरी, प्रदीप शर्मा, छोटेलाल बुनकर, रामजीलाल यादव, पंकज राठौड , मदन मोहन मिक्षा, सुखदेव सिंह, अर्जुन सिंह शेखावत, कजोड यादव, षिवप्रकाष शर्मा , कोमल यादव, रामकिषोर पारीक, नरेन्द्र कविया, सीताराम सुनालिया, शंकर लाल गौड, श्रवण सिंह तंवर, नारायण सिंह, कजोड यादव, नरेन्द्र कविया, नेमीचन्द यादव, मदन यादव, धरने पर राजस्थान सहायक कर्मचारी संध, कृषि पर्यवेक्षक संध, राजस्थान षिक्षक संध (षेखावत), वाहन चालक तकनीकी कर्मचारी संध , राज्य पशु चिकित्सक कर्मचारी संध राजस्थान नर्सेज एसोसियेषन संध राज. आयुर्वेद नर्सेज संध, राज. आयुर्वेद परिचारक संध, राज आंगनबाडी संध, राज. कृषि स्नातक संध,राज. नेत्र सहायक संध, राज. आईटीआई संध, राज. पटवार संध, राज. कानुनगोंसंध, ग्रामीण विकास अधिकारी संध, पंचायत प्रसार अधिकारी संध, राज.भूमापक संध, राज. हाउसिंह बोर्ड , राज. वन श्रमिक संध, राज. गंगानगर शुगर मील,राज.नगर निगम ट्रेड यूनियन संध, राज. अधिनस्त कर्मचारी संध, राज. पर्यटन विकास निगम कर्मचारी संध, राज. रेडियो ग्राफर संध, राज. आयुर्वेद मंत्रालयिक संध, राज. खादी बोर्ड, राज. विष्वविधालय, अषैक्षणिक कर्म.संध, राज. विष्वविधालय तकनिकी संध, राज. सहायक कर्मचारी संध, राज. डंेयरी कर्मचारी संध, राज. स्टेनो ग्राफर संध राज. पंचायति राज षिक्षक संध, राज. नल मजदूर संध, राज. षिक्षक संध प्रगतिषील संध , सहित राज्य भर में 82 से अधिक संगठनो ने भाग लेकर विरोध प्रकट किया ।


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