तड़पता रहा घायल और देखते रहे तमाशबीन

*राजधानी जयपुर हुई शर्मसार*


*तड़पता रहा घायल और देखते रहे तमाशबीन*


जयपुर।(गोविंद गोपाल सिंह) प्रदेश की राजधानी एवं गुलाबी नगरी के नाम से मशहूर जयपुर शुक्रवार को उस वक्त शर्मसार हुई, जब शुक्रवार दोपहर लगभग एक बजे एक लावारिस घायल जयपुर जंक्शन के बिल्कुल नजदीक स्थित मेट्रो रेल स्टेशन के मेट्रो पिलर नम्बर 150 के नजदीक परिवहन मार्ग पर घलावस्था में तड़पता रहा और 108 एम्बुलेन्स को एक पत्रजर द्वारा कई बार कॉल करने के बावजूद मौके पर एम्बुलेन्स नहीं पहुंची। आखिरकार संबंधित विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं मंत्री को कॉल करके घटना की सूचना देने के बाद संबंधित थाने की पुलिस घायल को मौके से उठाकर अपने साथ ले गईं। यह मामला है राजधानी जयपुर के व्यस्तम सड़कों में से एक परिवहन मार्ग का है, जो सिविल लाइन इलाके में 22 गोदाम फ्लाई ओवर से शुरू होकर जयपुर जंक्शन तक जाती है। इस रोड पर शुक्रवार दोपहर करीब 1 बजे के आसपास एक बाइक पर एक पत्रकार किसी न्यूज के कवरेज के लिए इधर से होकर गुजर रहे थे। अचानक पत्रकार की नजर मेट्रो स्टेशन के नजदीक मेट्रो पिलर नम्बर 150 के पास पड़ी, जहां सड़क पर एक लावारिस व्यक्ति घायलावस्था में तड़पता हुआ नजर आया। वहीं जब पत्रकार ने मौके पर रुककर उस घायल को देखा तो उसके मुंह से खून बह रहा था और वह व्यक्ति तड़प रहा था। इस पर पत्रकार ने मौके पर ही रुककर तुरंत इमरजेंसी चिकित्सा सुविधा 108 पर कॉल करके घटना की सूचना देते हुए मौके पर एम्बुलेन्स भेजने को कहा। लेकिन इस मामले की सूचना 108 को समय रहते कर देने के बावजूद किसी भी तरह का कोई एम्बुलेन्स मौके पर नहीं पहुंचा। बाद में करीब आधे घंटे से भी ज्यादा का समय बीत जाने के बाद पत्रकार ने आखिरकार सिविल लाइन विधानसभा के क्षेत्रीय विधायक एवं परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खचिरियावास को कॉल करके इस मामले से अवगत करवाया। तब जाकर मंत्री ने पत्रकार से ये कहा कि मैं संबंधित थाने में कॉल करके बोलता हूँ ताकि पुलिस वाले मौके पर आकर घायल को वहां से ले जाकर उसका इलाज करवाएं। मंत्री के ये आश्वासन के बाद मौके पर संबंधित थाने की पुलिस की जिप्सी ने मौके पर पहुंचकर घायल को उठाकर अपने साथ ले गई। इसके बाद भी खबर लिखे जाने तक घायल के बारे में ये मालूम नहीं चल सका कि वह जीवित है या नहीं और अगर जीवित है तो उसके साथ ये कैसा हादसा घटित हुआ, जो उसकी मौत पर बन आई लेकिन चिकित्सा विभाग के अंतर्गत आने वाले 108 के कर्मचारियों ने समय रहते एम्बुलेन्स को मौके पर भेजना जरूरी नहीं समझा। साथ ही एक सवाल ये भी उठता है कि जब किसी घायल की देखभाल तब जाकर हो, जब एक मंत्री को कॉल करके समस्या से अवगत करवाना पड़े तो फिर ये राज्य सरकार की तरफ से प्रदेश में ये कैसी इमरजेंसी चिकित्सा व्यवस्था लागू की गई है, जहां आमजन की समस्या की कोई सुनवाई नहीं की जाती।


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