पुलिस महानिदेशक का पुलिस दिवस संदेश

पुलिस महानिदेशक का पुलिस दिवस संदेश
        राजस्थान पुलिस दिवस-2020
हमारे लिये आज का दिन एक ख़ास अहमियत रखता है। आज ही के दिन   16 अप्रैल 1949 को राजस्थान पुलिस (एकीकरण) अध्यादेश 1949 के जरिए राजस्थान पुलिस अस्तित्व में आई। इस दौरान राजस्थान पुलिस ने एक लम्बी यात्रा तय की है। अपराध और अपराधियों से लड़ने के साथ ही साम्प्रदायिक एवं जातीय उन्माद से निपटे तो प्राकृतिक आपदाओं-विपदाओं का भी सामना किया। हमने 1965 एवं 1971 के युद्ध में कंधे से कंधा मिलाकर सेना का साथ दिया। प्रदेष की दोनों सीमाओं पर दस्युओं की समस्या का मुक़ाबला किया। इस दौरान जिन योग्य अधिकारियों ने इस पुलिस बल का नेतृत्व किया, उनकी दूरदृष्टि एवं योग्यता के प्रति हम सभी कृतज्ञ हंै। साथ ही जिन साथियों ने कर्तव्यपालन के दौरान अपने प्राण उत्सर्ग कर दिये, उनको हम सादर नमन करते हैं। 
पुलिस के अलावा षायद ही कोई अन्य व्यवसाय है जो व्यक्तित्व एवं चरित्र की इतनी कठोर परीक्षा लेता हो। षारीरिक एवं मानसिक रूप से थकाकर चूर करने वाली परिस्थितियों के बीच अपराध एवं अपराधियों द्वारा रचित काजल कोठरी में कार्य करने वाले अपने साथियों के साहसिक एवं स्नेहिल दोनो पक्षों का मुझे अनुभव हुआ है। सभी इंसानों और इंसानी संस्थाओं की तरह हममें भी दोष हंै। ग़लतियां करते हैं, हमारा काम कुछ ऐसा है कि ग़लतिया दिखती और चुभती ज़्यादा हैं। षायद इसी कारण हमें जनता के गु़स्से एवं आलोचना का सामना ज़्यादा करना पड़ता है। कभी सकारण, कभी अकारण। सज़ा भी दूसरे विभागों की तुलना में ज़्यादा ही मिलती है। लेकिन इन सबके बीच निरंतर अपना कर्तव्य निर्वहन करना और यथाषक्ति अपना बेहतरीन देने का प्रयास करना बड़े साहस का काम है। आपदा और मुष्किल की घड़ी में हमारे साथी अपना सब कुछ झोंक देते हैं, चाहे अपनी जान ही जोखिम में क्यों न डालनी पड़े।                इस जज़्बे को देखकर मुझे थियोडोर रुज़वेल्ट की उक्ति याद आती है कि ’’श्रेय उसका है जो कर्मस्थली में जूझता है, जिसका चेहरा धूल, पसीने और खून से सना हुआ है, जो हर बार हिम्मत और बहादुरी से कोषिष करता है। वो गिरता पड़ता है, ग़लतियाँ करता है, कमियां रहती हैं। लेकिन इन सबसे सबक लेकर पूरी ताकत और उत्साह के साथ फिर अपने काम में जुट जाता है।’’ आप जैसे कर्मवीरों पर मुझे गर्व है।
अपने साथियों की सदाषयता और सहृदयता के बहुत से किस्से मेरे स्मृति पटल पर अंकित हैं। ट्रेनिंग के समय भरतपुर में कड़ाके की सर्दी के दौरान रात में गष्त करने के दौरान एक सिपाही साथी द्वारा मुझे अपना गर्म कोट उतारकर पहनाना कभी नहीं भूल सकता। चंबल के डांग और बीहड़ों में दस्यु विरोधी अभियानों के दौरान अपने सिपाही साथियों द्वारा बनाया भोजन साझा करना आज भी याद है। वर्षों पूर्व छोटी चैपड़ पर उपद्रव के समय जब मैंने अपना हेलमेट साथी मजिस्ट्रेट को दिया जिससे उनका बचाव हो सके। तब इलाके के थानाधिकारी ने यह देख तुरंत अपना हेलमेट उतारकर मुझे पहना दिया ताकि मैं सुरक्षित रह सकंू। दुर्भाग्यवष इसके कुछ ही देर बाद उन थानाधिकारी को एक भारी पत्थर सिर पर लगा और उन्हें लम्बी अवधि अस्पताल में बितानी पड़ी। ऐसे बहुत से किस्से हैं पर विस्तार से फिर कभी।
हाल ही में मैंने आपमें से कई साथियों को चुपचाप असहायों, वृद्धजनों एवं निराश्रितों की मदद करते हुए देखा है। आज कोरोनावायरस की महामारी के हालात में हमारे चरित्र के दोनों पहलुओं की कठिनतम परीक्षा है। साहसपूर्वक अपना कार्य करते रहना है लेकिन अपना धैर्य एवं संतुलन नहीं खोना है। परेषान लोगों की परेषानियों को और नहीं बढ़ाना, उन्हें कम करना है। नियमों की सख़्ती से पालना करानी है लेकिन मानवीयता के साथ। 
जल्द ही कोरोनावायरस का ज्वार उतर जायेगा लेकिन हमारे लिए विश्राम नहीं होगा। नए सवालों और नई चुनौतियों से हमारा सामना होगा। लेकिन आज हम दूने उत्साह एवं समर्पण के साथ काम कर राज्य के नागरिकों को आष्वस्त करें कि उनकी सुरक्षा के लिये यथाषक्ति राजस्थान पुलिस अपना सर्वश्रेष्ठ देती रहेगी।
                   जय हिन्द। 
(भूपेन्द्र सिंह)
महानिदेशक पुलिस,
राजस्थान, जयपुर।


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