कांग्रेस शासन में विकास कार्य पूरी तरह ठप्प - डाॅ. चतुर्वेदी

कांग्रेस शासन में विकास कार्य पूरी तरह ठप्प - डाॅ. चतुर्वेदी


जयपुर, 22 अक्टूबर। भाजपा प्रदेश कार्यालय में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. अरुण चतुर्वेदी ने प्रेस वार्ता में बताया कि हमारे जिन कार्यकर्ता ने नाराजगी के तौर पर बागी होकर निगम चुनाव में नामांकन भरा था, जिसमें करीब 95 फीसदी मान गए हैं। इसमें जयपुर हैरिटेज में 27 और 35 ग्रेटर नगर निगम में बागी के तौर पर नामांकन भरा था, जिसमें करीब करीब सभी ने नामांकन वापस ले लिया है। कांग्रेस सरकार ने शहरों के विकास को लेकर कुछ नहीं किया है। सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। इसे लेकर भाजपा जल्द ही ब्लैक पेपर और दृष्टि पत्र भी जारी करेगी। इस अवसर पर डाॅ. अरूण चतुर्वेदी के साथ प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच, प्रदेश मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा, प्रदेश मीडिया सह-प्रभारी नीरज जैन मौजूद रहे। 


उन्होंने कहा कि जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगम के चुनाव में भाजपा के बागी के तौर पर नामांकन भरने वाले 95 फीसदी ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। 


डाॅ. चतुर्वेदी ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने निगम चुनावों को टालने का प्रयास किया, पहले उच्च न्यायालय, फिर सर्वोच्च न्यायालय से फटकार पड़ने के बाद निगम के चुनाव कराने के लिए सरकार को तैयार होना पड़ा। भाजपा पहले भी तैयार थी और आज भी कार्यकर्ताओं की एकजुटता के आधार पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। 


उन्होंने कहा कि जयपुर, जोधपुर एवं कोटा शहरों की समस्याओं को लेकर  भाजपा एक ब्लैक पेपर जारी करेगी और विकास के एजेण्डे को लेकर दृष्टि पत्र भी जारी करेंगे। 


डाॅ. चतुर्वेदी ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने जयपुर के दो निगम किये, यहाँ तक कि गोविन्द देवजी और मोती डूँगरी गणेश जी जो जयपुर के आराध्य स्थान हैं, उन दोनों की सीमाओं को भी अलग-अलग कर दिया है। जयपुर नगर निगम की ऐसी स्थिति की है, जहाँ 30-35 हजार की आबादी पर एक वार्ड होता था, अब उस वार्ड को 7 हजार से लेकर 13 हजार तक सीमित कर एक नगर पालिका एवं नगर परिषद-सी स्थिति पैदा कर दी है। 


डाॅ. चतुर्वेदी ने कहा कि हमारी सरकारों के कार्यकाल के दौरान जयपुर में योजना बनाकर पूरे शहर में दुधिया एलईडी लाइट्स लगवाने का काम किया, जिससे शहर रोशन हो गया। उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार के समय आमानीशाह नाले को जिसका द्रव्यवती नदी मूल नाम था, उस द्रव्यवती नाम से पुनर्जीवित भी किया, उसका शुद्धिकरण भी किया, उसको डवलपमेंट करने का काम भी किया। आज 2 साल पूरे होने के बाद भी जो वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने थे दो साल के बाद लगभग 37 करोड़ रूपये की और आवश्यकता थी, ये सरकार 37 करोड़ रूपये का भी प्रावधान इसमें नहीं कर सकी, आज द्रव्यवती नदी अपने आँसू रोने के लिए मजबूर है। 


 


 


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