*समाज सुधारक भी थे राममनोहर लोहिया* 

*समाज सुधारक भी थे राममनोहर लोहिया* 



        23 मार्च, 1910 को डाक्टर राममनोहर लोहिया का जन्म अकबरपुर, फैजाबाद जिले में हरीलाल एवं चंदा देवी के घर हुआ था और उनकी मृत्यु 12 अक्टूबर 1967, नई दिल्ली के एक अस्पताल में हुई , बाद में उस हस्पिटल का नाम डाक्टर राममनोहर लोहिया हॉस्पिटल कर दिया गया।


      राममनोहर लोहिया के पिता गांधी जी के परम भक्त थे और अपने साथ राममनोहर को भी कई गांधीवादी सभाओं में लेे जाते थे, एक बार बचपन में गांधी जी से मुलाकात होने पर राममनोहर लोहिया गांधी जी से इतने प्रभावित हुए कि आजीवन गांधी जी के विचारधारा पर चलने का प्रण लेे लिया।


      1921 में राममनोहर लोहिया पंडित नेहरू के संपर्क में आए और कुछ वर्षों तक उनकी देखरेख में कार्य किए, लेकिन बाद में उन दोनों के बीच विभिन्न मुद्दों और राजनीतिक सिद्धांतों को लेकर टकराव हो गया और नेहरू के खर्चों के विरोध पर लोहिया का एक आना बनाम तीन आना का नारा तो खूब प्रचलित है ।


        लोहिया स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता के साथ साथ समाज सुधारक भी थे, उन्होंने नारी कल्याण के लिए और जातिवाद को समाज से दूर करने के लिए अनेक सामाजिक कार्यक्रम किए, अपने चुनावी और सामाजिक कार्यक्रमों में तो अपने सुनने वाले अनुवाईयों से सभा में हाथ उठावा कर कसम दिलाते थे, कि हाथ उठा कर कसम खाओ की कभी नारी वर्ग पर हाथ नहीं उठाओगे, इस पर एक मजेदार किस्सा भी है एक बार एक लोहियावादी देर रात अपने घर लोहिया जी के सभा से आया और घर आते ही उसकी पत्नी उसके देर के आने के वजह से उसके साथ उसके नेता लोहिया को भी भला बुरा कहने लगी, काफी देर तक वह व्यक्ति सुनता रहा फिर बोला आज तुम जो इतना बोल पा रही हो मेरे सामने बस लोहिया जी के कारण क्योंकि उनके सभा में मैंने कसम खायी है लोहिया जी के सभा में कि औरतों पर हाथ नहीं उठाऊंगा, इतना सुनते ही उस व्यक्ति की पत्नी चुप हुई और अपने कहे शब्दों पर बड़ा पछतावा हुआ उसे। आज के परिवेश में तो सभी राजनीतिक दल के लोग नारी उत्थान की बात तो करते है लेकिन हर राजनीतिक दल में कुछ ना कुछ लोग ऐसे है जो नारी शोषण के मामले में अभियुक्त है या रहे है फिर भी राजनीतिक दल उन्हें अपनी पार्टी के उच्च पदों पर बनाए रखने के साथ-साथ चुनावों में अपनी पार्टी का सिंबल भी पकड़ा देती है।


        जातिवाद को समाज से दूर करने के उपाय पर लोहिया जी कहते थे कि जातिवाद को दूर करने के लिए अलग-अलग जातियों को आपस में रोटी और बेटी का रिश्ता रखना होगा, उनका कहना साफ था कि जब तक अलग अलग जातियों में शादी-ब्याह के रिश्ते ना होंगे और आपस सामान आदर भाव से खाना-पान नहीं होगा तब तक देश जातिवाद का दंश झेलता रहेगा, और सही शब्दों में कहे तो झेल रहा देश जातिवाद का दंश आज भी, आजादी के इतने सालों बाद भी। आजकल के परिवेश में तो विभिन्न राजनीतिक दल जनता के सामने जातिवाद को दूर करने का दिखावा तो करते है लेकिन जनता के पीठ पीछे जातिवाद वोटों के आधार पर उम्मीदवारों का चयन करते है। चुनाव में भी जातिगत और धार्मिकता के नाम पर वोटो का ध्रुवीकरण जोरो पर चलता है।


       लोहिया जी को मानने वाले से यही कहना चाहूंगा कि को लोहिया जी के आदर्शों पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी लोहिया जी के प्रति।


 


अंकुर सिंह


चंदवक, जौनपुर,


उत्तर प्रदेश -222129


मोबाइल नंबर - 8367782654.


Comments

Popular posts from this blog

नाहटा की चौंकाने वाली भविष्यवाणी

मंत्री महेश जोशी ने जूस पिलाकर आमरण अनशन तुड़वाया 4 दिन में मांगे पूरी करने का दिया आश्वासन

उप रजिस्ट्रार एवं निरीक्षक 5 लाख रूपये रिश्वत लेते धरे