*लाॅकडाउन और शिक्षा*

 *लाॅकडाउन और शिक्षा

                             (सुरेश कुमावत)                                                                  लेखक 

प्रधानमंत्री द्वारा मार्च 2020 को कोरोनावायरस से बचाव हेतु लगाया गया लॉकडाउन स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से तो उपयुक्त कदम था किंतु देश की अर्थव्यवस्था पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा है जिसकी भरपाई में अभी वक्त लगेगा किंतु एक नुकसान और भी हुआ है जिसकी भरपाई होना शायद ही मुमकिन हो और वह है शिक्षा । लॉकडाउन के कारण देश के स्कूल कोचिंग बंद हुए 9 माह से भी अधिक समय बीत चुका है जिससे शिक्षा जगत से जुड़े लोगों का आर्थिक नुकसान तो हुआ ही है साथ ही बच्चों की दक्षता को भी दीर्घकालिक नुकसान पहुंचाया है सरकार ने तो बच्चों को बिना परीक्षा अगली कक्षा में क्रमोन्नत कर दिया किंतु सच्चाई यह है कि विद्यार्थी अब तक अर्जित की गई शिक्षा भी भूल चुके हैं एक और जहां बच्चों को डिजिटल माध्यम से पढ़ाई कराने की नई ऑनलाइन पद्धति पांव पसार रही थी व विद्यार्थी भी उसे उतना ही उत्सुकता से अपना रहे थे किंतु जरूरत के समय लॉकडाउन में जब ऑनलाइन पद्धति से कक्षाएं संचालित करने का सहारा लिया गया तो इसकी पोल खुल गई क्योंकि ज्यादातर विद्यार्थियों की कंप्यूटर स्मार्टफोन इंटरनेट तक पहुंच नहीं थी और कहीं पढ़ाई लिखाई के अनुकूल घर का माहौल नहीं था और शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर भी नियमित कक्षाओं का एक समान नहीं हो सकता और इन सभी कारणों का व्यापक असर बच्चे के मानसिक स्तर पर पड़ रहा है कई बच्चे पढ़ाई से विमुख हो चुके हैं कई बच्चे पढ़ाई छोड़कर अन्य कार्यों में लग चुके हैं जो विद्यार्थी एवं पढ़ाई कर रहे हैं ऑनलाइन शिक्षा ले रहे हैं स्कूल  व शिक्षकों की दूरी के कारण उनको मिलने वाले ज्ञान उसकी गुणवत्ता अत्यधिक प्रभावित हो रही है इस पर भी सरकार द्वारा की गई पाठ्यक्रम में कटौती कहीं ना कहीं इसका व्यापक असर आने वाली समुचित पीढ़ी की दक्षता पर पड़ेगा आर्थिक नुकसान की भरपाई तो की जा सकती है किंतु यह मानसिक नुकसान भरपाई योग्य नहीं है l

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