डॉ समित शर्मा संभागीय आयुक्त पद से प्रेरक विदाई उद्बोधन

डॉ समित शर्मा  संभागीय आयुक्त पद से प्रेरक विदाई उद्बोधन


                      लोक सेवा का आनंद 

सम्मानीय साथियों और सहकर्मियों,

आप लोगों के साथ बिताए गए जीवन के पिछले सवा चार महीनों के 128 दिन बहुत उत्साह, उमंग और उल्लास में गुजरे और संभाग के अधिकारियों और कार्मिकों के सहयोग से जो भी लोक सेवा का कार्य हो पाया वह बहुत संतोष देने वाला था।

जीवन और समय पर्यायवाची तो नहीं किंतु बहुत हद तक समानार्थी तो है ही। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति का जीवन 80 वर्ष का है तो इसका अर्थ यह भी है की उसके पास जीने के लिए मात्र 960 महीने अथवा 29,221 दिन है। समझने की बात यह है कि जीवन का एक-एक दिन, एक-एक क्षण महत्वपूर्ण है, कीमती है, अमूल्य है...... और उसके सदुपयोग किए जाने की आवश्यकता है...!!

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एक लोकसेवक के रूप में समाज का, देश का कार्य करने का अवसर मिलना बहुत गर्व एवम सम्मान की बात है। वास्तव में परम पिता परमेश्वर ने हमारे इस जीवन काल के लिए हमें लोक सेवक की भूमिका निभाने के लिए चुना हैं। हम जो राजकार्य कर रहे है ये ईश्वर की युक्ति है,उसकी रचना है। अतः हम जो कार्य कर रहे है वह ईश्वरीय कार्य है। 

कर्नाटक विधानसभा भवन के मुख्य द्वार पर एक पंक्ति लिखी है *Government's Work is God's Work* अर्थात *राजकीय कार्य भगवान का कार्य है* और अगर मानो तो यह बिल्कुल सही है। हम अपनी ड्यूटी करते हुए अनेक ऐसे कार्य कर सकते है - रसद विभाग में न जाने कितने भूखे व्यक्तियों का आप पेट भर सकते हैं या जलदाय कर्मी अनेक प्यासें लोगो को पानी पिला सकते हैं या ग्रामीण विकास विभाग नरेगा योजना में जितने लोगो को रोजगार दे सकते हैं या शिक्षक गण असंख्य बच्चों को पढा सकते है, उनका अच्छा भविष्य बना सकते है - एक सुसंस्कृत नागरिक, डॉक्टर, इंजिनियर, कलक्टर.... कुछ भी बना सकते है। आंगन वाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा लाखों कुपोषित बच्चों को हृष्ट पुष्ट बना सकते हैं । चिकित्सक गण - जो रोगी दर्द में है, पीड़ा में है उनके कष्ट हर सकते हैं उनकी जान बचा सकते हैं। 


*यदि प्रभु किसी की प्रार्थना 🙏🏻 सुन लेते हैं तो भक्त की इच्छा पूर्ण करने के लिए हम निमित्त बनते हैं।* अतः यह अवसर जो ईश्वर ने हमें दिया है यह वाकई दैविय कार्य है। 

जयपुर संभाग में राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप प्रशासन को बेहतर करने और गुणवत्तापूर्ण, सुगम और सुलभ लोकसेवाऐं अर्थात पब्लिक सर्विस डिलीवरी  सुनिश्चित करने में आप सबका बहुत सहयोग मिला, उसके लिए मैं संभागीय आयुक्त कार्यालय की पूरी टीम की ओर से सविनय आभार प्रकट करता हूं। और इसके लिए मैं आजीवन आपका आभारी रहूंगा।

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मैं आप को आपके devotion, dedication, discipline, commitment , honesty, sensitivity, compassion, selfless service, hard work etc जो एक अच्छे लोकसेवक के गुण हैं उनके लिए धन्यवाद देता हूं। 

अगर हममें से प्रत्येक लोक सेवक जिसके जिम्मे जो जो काम है उस काम को अच्छी तरह कर ले, उतनी ही अच्छी तरह से और सम्मान के साथ जितनी अपेक्षा हम अपने काम के लिए करते हैं जब हम टेबल के दूसरी ओर बैठे हों, आगंतुक की जगह, तो निश्चित ही सुशासन कायम किया जा सकता है।  प्रत्येक राज्यकर्मी व अधिकारी अगर यह तय कर ले कि दफ्तर में जो भी व्यक्ति अपने कार्य के लिए आता है, हम उसका काम बिना कोई अपेक्षा किये, बिना किसी सिफारिश के, बिना रिश्वत के, बिना किसी स्वार्थ के पूरा कर दें। या स्कूल में, अस्पताल में, आंगनवाड़ी में प्रत्येक कार्मिक यह तय कर ले की हमें हमारी ड्यूटी ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा के साथ करनी है और हमसे सेवाएं प्राप्त करने की अपेक्षा में जो भी लाभार्थी हमारे पास आता है उसको यथा सामर्थ्य सेवा प्रदान करनी है, और जितनी हमें तनख्वाह मिल रही है उतने मूल्य की सेवाएं हमें आमजन को प्रदान करनी ही है तो हमारे चारों ओर हमारे अंतर्मन में भी समृद्धि, संतोष और खुशहाली का आलम होगा।

यह भावना विकसित करने के लिए *सरकारी कार्मिक और लाभार्थी* के बीच में जो रिश्ता है उसे भिन्न नजरिए से देखने की आवश्यकता है - *सेवा प्रदाता और सेवा ग्राहक* के रूप में । याद कीजिए गांधी जी के यह शब्द : 

*"ग्राहक हमारे परिसर में बहुत ही महत्वपूर्ण अतिथि होता है।*

 *वह हम पर आश्रित नहीं होता बल्कि हम उस पर निर्भर होते हैं।*

*वह हमारे काम में रूकावट नहीं है- वह तो इसका उद्देश्य है।*

*हम उसकी सेवा करके उस पर कोई एहसान नहीं कर रहे बल्कि वह हमें सेवा का मौका देकर हम पर एहसान कर रहा है।’’*  

राजकीय अधिकारियों और कार्मिकों की सैलरी और परिलाभों का एक-एक पैसा आम जनता द्वारा जो टैक्स दिया जाता है उसके राजकोष में जमा होने से ही हमें मिल पाता है और वह हमारी उस सेवा का मूल्य है जो हमें हमारे ग्राहक यानी कि आमजन को उपलब्ध करानी है। 

और अगर यह बात हम सभी समझ लें और निश्चय कर लें तो, यह तय है कि हम सब बेहतर गर्वेनेन्स दे पाएंगे, सुशासन दे पायेगें। राज्य सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतार पायेगें। जो सवेंदनशील, पारदर्शी और जवाबदेही प्रशासन की बात की जाती है वो कागज पर न रहकर धरातल पर उतर पायेगी। साथ ही अगर हम हमारी पब्लिक ड्यूटी को भली भांति कर ले तो नेशन बिल्डिंग मैं हमारा कॉन्ट्रिब्यूशन अपने आप हो जायेगा।

जब शासन का प्रत्येक लोकसेवक सुशासन देने के लिए कृत संकल्पित होगा और शासन के कार्य में दक्षता, गुणवत्ता, परिश्रम, सत्य निष्ठा, कर्तव्य परायणता व सेवा भावना जैसे गुण समाहित होंगे तब समस्त राजकीय योजनाएं धरातल पर क्रियान्वित हो पाएंगी और आमजन को उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी, जिस काम के लिए हमारी रचना हुई है जिसके लिए हम बने हैं। यह हमें आत्म संतुष्टि भी देगा और लोक सेवक के रूप में हमारे जीवन को सफल भी बनाएगा।

राजस्व प्रशासन, पुलिस, शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, स्थानीय निकाय,ग्रामीण विकास, महिला एवं बाल विकास, सामाजिक न्याय, आयुर्वेद, कॉलेज शिक्षा, आईटीआई, जलदाय, विद्युत, वन, सार्वजनिक निर्माण, कृषि, आबकारी, यातायात, कारागृह, सूचना प्रौद्योगिकी आदि समस्त विभागों के अधिकाधिक कार्मिको के सहयोग से कुछ सकारात्मक परिवर्तन संभव हो पाए और ये सब आपकी मेहनत, कर्तव्य परायणता, निष्ठा, अनुशासन, समयबद्धता, सेवा भावना आदि गुणों की वजह से ही संभव हुआ । जिसके लिए मैं हृदय की गहराइयों से आपको धन्यवाद अर्पित करता हूं ।

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आशा है आप भविष्य में भी जब तक लोक सेवा में हैं ऐसे ही राज कार्य निष्पादित करते रहेंगे और अपनी ड्यूटी के दौरान एक-एक क्षण सेवा का आनंद लेते रहेंगे। रविंद्र नाथ टैगोर जी की कुछ पंक्तियां मैं आपसे शेयर करना चाहता हूं।

*मैं सोया और स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है*

*मैं जागा और देखा कि जीवन सेवा है*

*मैंने सेवा की और पाया कि सेवा आनंद है*

आपमें से अनेक अधिकारी और कार्मिको में कुछ विशिष्ट गुण नजर आए जिन्हें सीख कर मैं अपने जीवन में उतारने का प्रयत्न कर रहा हूं। श्रेष्ठतम सेवाएं देने वाले लोकसेवकों को प्रशस्ति पत्र व चॉक्लेट 🍫 प्रदान कर उनकी प्रतिभा व उत्कृष्टता का सम्मान करना बहुत रोमांचकारी था। उदाहरण के लिए अजीतगढ़ व रींगस अस्पतालों में 10 साल बाद सिजेरियन, भिवाड़ी में 23 साल बाद आपरेशन, स्कूलों में दानदाताओं के सहयोग से लाखों रुपये से विद्यालयों की कायाकल्प जैसे अनेक ऐतिहासिक कार्य करने वाले महान चिकित्सक व शिक्षक आजीवन अविस्मरणीय रहेंगे। और ऐसे असंख्य उदाहरण है जो हम सब के बीच में छुपी हुई प्रतिभाओं और उनकी अदम्य क्षमताओं का परिचायक है। प्रत्येक विभाग में ऐसे अनेक समर्पित लोक सेवक हैं, आवश्यकता है तो उन्हें प्रोत्साहित कर देश के लिए उनका सर्वोत्तम योगदान लेने की। 🇮🇳

यदि किसी बैठक में या फील्ड में मेरे अति उत्साह मैं आकर किसी को कुछ अप्रिय बोला हो तो उसे मन से और दिमाग से निकाल देने का भी मैं आपसे अनुरोध करता हूं और ऐसी किसी त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूं। 🙏🏻

प्रारम्भ में कुछ साथी गण समयबद्धता से असहज रहे, पर व्यापक जनहित में यह अपरिहार्य था। *आसमान की ऊंचाइयों को वही पतंग 🪁 छू पाती है जो अनुशासन की डोर से बंधी हो।* अतः हमें अपने में सद्गुणों का विकास करते हुए कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ते रहना है। सच्चाई और अच्छाई की राह पर चलना है भले ही वह थोड़ी कठिन है, दुर्गम है। किसी डर, दबाव या दिखावे के कारण नहीं अपितु हमारे अपने बच्चों को सदमार्ग पर चलने की प्रेरणा देने के लिए। क्योंकि जिन *नन्हीं आंखों के घेरे में* हम अभिभावक के रूप में रहते हैं वे हमारे प्रत्येक शब्द, कार्य, व्यवहार और कर्म का ही अनुसरण कर वैसा ही आचरण करते हैं। और उस सर्व विद्यमान शक्ति की *अदृश्य आंखे* भी तो हमारे प्रत्येक अच्छे या बुरे कार्य को देख रही है। भगवान बुद्ध ने भी कहा है *अच्छा बनो, अच्छा करो (Be Good & Do Good) यही सच्चा धर्म है*।

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आप लोगों के साथ बिताया गया समय हमेशा याद रहेगा, सेवा पूर्ण आनंददायक कार्यकाल के रूप में।

आशा है आप *लोक सेवा (public service)* के इस *नोबल प्रोफेशन (noble profession)* में अपना हंड्रेड परसेंट एफर्ट देते हुए हंड्रेड परसेंट आनंद भी प्राप्त करते रहेंगे ।

दृढ़ निश्चय करने के लिए, कुछ अच्छा करने का एक नया संकल्प लेने के लिए और एक बदलाव की शुरुआत के लिए आज का दिन सर्वाधिक उपयुक्त है क्योंकि *today is the first day of the rest of your life*

अतः आप सभी को आनंददायक सेवाकाल और सफल जीवन की अग्रिम शुभकामनाएं । कठिन से कठिन लक्ष्य 🎯 को प्राप्त करने की क्षमता रखने वाली विनर टीम 🏆 को अब अलविदा कहने का समय आ गया है।

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मैंने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, सचिव के रूप में कार्य ग्रहण कर लिया है,  अतः अब इस ग्रुप पर बने रहना संभव ना हो सकेगा । इसलिए मुझे अनुमति प्रदान करें ।

आप सभी को बहुत सारा स्नेह और अनंत शुभकामनाएं।

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सादर

डॉ समित शर्मा, भा. प्र. से.

(एक लोक सेवक)

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