आयुर्वेद संस्थान में प्राइमरी ट्रॉमा केअर सेंटर का उदघाटन

 आयुर्वेद संस्थान में प्राइमरी ट्रॉमा केअर सेंटर का उदघाटन


जयपुर। राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान मानद विश्वविद्यालय एवं लाइफ लाइन फाउंडेशन बड़ोदरा गुजरात के संयोजन से संस्थान में राजस्थान के आयुर्वेद और होम्योपैथी डॉक्टर्स को प्राइमरी प्री हॉस्पिटल ट्रॉमा केयर के लिए  हैंड्स ऑन स्किल ट्रेनिंग सेंटर का शुभारंभ पद्मश्री वैद्य राजेश कोटेचा, सचिव, आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किया गया। 


इस ट्रेनिंग सेन्टर के द्वारा प्रदेश के पदस्थ 1000 आयुर्वेद एवम होम्योपैथी चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।  कार्यक्रम के उदघाटन के दौरान सचिव, आयुष मंत्रालय भारत सरकार पद्मश्री वैद्य राजेश कोटेचा ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यशाला से राजस्थान में पदस्थ आयुर्वेद और होम्योपैथी चिकित्सकों  को दुर्घटना के समय उपस्थित  आत्ययिक अवस्था में मरीज एंव दुर्घटना में घायल व्यक्ति को प्राथमिक चिकित्सा एंव सी.पी आर. से संबंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है, इससे ये डॉक्टर्स आत्ययिक स्थिति में अस्पताल में प्राप्त होने वाली चिकित्सा के पूर्व रोगी को संभालने में सक्षम होंगे और दुर्घटना के कारण होने वाली मृत्युदर को कम कर मरीज का जीवन बचाने में सहायक होंगें। 

इसका लाभ प्रदेश की जनता को होगा।


राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, मानद विश्वविद्यालय में दिनांक 29 एंव 30 जुलाई 2022 को *इंट्रोडक्शन ऑफ रिसर्च मेथोडोलॉजी एवम बीओस्टेटिस्टिक्स* विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन भी किया गया। इस कार्यशाला में देशभर से 360 प्रतिभागियों ने भाग लिया। यह कार्यशाला राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर एवं इंस्टीटयूट ऑफ एप्लाइड बायोस्टेटिस्टिक्स, कानपुर के संयोजन से आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के कुलपति प्रोफेसर संजीव शर्मा, प्रो वीसी प्रोफेसर मीता कोटेचा, प्रोफेसर अनुपम श्रीवास्तव( विभागाध्यक्ष रस शास्त्र विभाग), जी एस तोमर(भूतपूर्व प्रधानाचार्य गवर्नमेंट आयुर्वेद कॉलेज प्रयागराज), डॉ सीमा द्विवेदी (वरिष्ठ प्रोफेसर, जीएस वीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर), डॉ पदम सिंह (भूतपूर्व एडिशनल डायरेक्टर आई सी एम आर, नई दिल्ली), एवं डॉ शुभम पांडेय (डिप्टी डायरेक्टर, इंस्टिट्यूट ऑफ एप्लाइड स्टेटिस्टिक्स, कानपुर) ने किया। कार्यक्रम का संयोजन राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के रिसर्च डीन डॉ छाजूराम यादव ने किया। कार्यक्रम के प्रथम दिन आयुर्वेद में शोध की आवश्यकता, शोध की संभावनाएं एवम शोध प्रक्रिया के लिए उपयोगी बेसिक ज्ञान के बारे में चर्चा हुई। सांख्यकी का चिकित्सा शोध में महत्व के बारे में विशेषज्ञ व्याख्याताओं ने अपनी बात रखी। प्रतिभागियो ने प्रश्नोत्तर  में सक्रिय भाग लेकर ज्ञान के प्रति अपनी अभिरुचि को प्रस्तुत की। प्रो तोमर जी ने बताया कि आयुर्वेद में शोध की असीमित संभावनाए हैं, और आधुनिक शोध संसाधनों के उपयोग से आयुर्वेद को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने के लिए आयुर्वेद के युवा चिकित्सकों को आगे आना होगा।

डॉ पदम सिंह, ने आयुर्वेद की जनसामान्य में लोकप्रियता के बारे में बताते हुए कहा कि कोविड 19 पेंडेमिक के दौरान आयुर्वेद दवाईओ के शोधकार्य में शामिल 50 प्रतिशत कोविड 19 के मरीजों को  आयुर्वेद औषध दी जानी थी एंव 50 प्रतिशत को नही दी जानी थी, लेकिन आयुर्वेद के प्रति लोगो के विश्वास एवं लोकप्रियता के कारण सभी मरीजों ने आयुर्वेद औषध प्राप्त करने इच्छा प्रकट की, अतः शोध कार्य के प्रोटोकॉल को बाद में बदलना पड़ा और आयुर्वेद औषध लेने के इच्छुक मरीजों को आयुर्वेद औषध उनकी इच्छा के अनुसार दी गई । इस प्रकार के शोध के परिणाम में पाया गया कि स्टैण्डर्ड कोविड केअर के साथ यदि आयुर्वेद औषध दी जाती है तब रोगी कम समय में जल्दी से स्वस्थ होता है, और इन मरीजों में कोविड 19 के कारण होने वाले उपद्रव भी लगभग नगण्य रहे।

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