इस दशक में लिंग समान भविष्य होगा

 इस दशक में लिंग समान भविष्य होगा



              सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल 



नईदिल्ली। हाल ही में पांच दिवसीय वीमेन इकनोमिक फोरम का कार्यक्रम २७ दिसंबर  से ३१ दिसंबर  तक दिल्ली में चला । इसमें न केवल भारत के  विशिष्ट महिलाओ ने  शिरकत की बल्कि अंतराष्ट्रीय १०० देशो की महिलाओ ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य दुनिया भर में महिलाओं के बीच बातचीत, समुदाय, कनेक्शन और सहयोग को बढ़ावा देना जिससे जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और प्रभाव को बढ़ावा मिलता है। इस कार्यक्रम में हमारे लोक प्रिय और जाने माने अंतराष्ट्रीय ख्याती वाले सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल  ने भी शिरकत की । उन्होंने भारतीय आर्किटेक्चर पर वास्तु सम्बंधित जानकारिया दी और ये भी बताया की उधोग पतियों को वास्तु सम्बंधित किन बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे उनके व्यापार में पहले दिन से ही विकास, विस्तार और लाभ हो ।

कोई भी स्त्री जब आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने की कल्पना करती है तब उसे कई चुनोतियो का सामना करना पड़ता है , ये चुनोतिया पुरुष के सामने नहीं आती है जैसे की - मुझे काम करने की इज़ाजत घर से मिलेगी या नहीं, मेरे पीछे से घर कौन संभालेगा, बच्चों की परवरिश कैसे होगी, किस प्रकार का काम मैं कर सकती हु जिससे की मुझे पारिवारिक अशांति का सामना न करना पड़े, कार्य करने के घंटे, कार्य में अगर राष्ट्रीय या अंतराष्ट्रीय यात्रा करना पड़े तो वो क्या मेरे घर वालो को मान्य होगा, एक आशंका की कभी भी काम बंद न हो जाये और जबरदस्ती बंद न करवा दे ।

इन सब संघर्षो के बाद महिला घर से आर्थिक स्वतंत्रता के तरफ पहला साहस पूर्ण कदम बढ़ाती है  । 

या तो व्यापार की शुरुआत  करती हैं या उत्पादन या मार्केटिंग या ट्रेडिंग या कोई प्रोफेशनल काम करना चाहती हैं । इन सबके लिए अपनी पूरी ऊर्जा और सारे पैसे, शक्ति और अपनी क्षमता, जोश, जो भी संभव है वो सब उसमें लगा देती हैं । कई बार ऐसा देखा गया है कि जब हम काम की शुरुआत करना चाहते हैं, नया व्यापार खड़ा करना चाहते हैं या तो शुरुआत में ही दिक्कत आ जाती है और काम को खड़ा करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है । कई बार ऐसा देखा गया है कि व्यापार  शुरू होने के कुछ समय बाद ही उसमें इतनी समस्याएं आ जाती है की समाधान ही नजर नहीं आता है ।  हम भारतीय लोग यह मानते हैं कि  कोई न कोई दैवी शक्ति है जो हमारा साथ देती है और उनकी सहायता से हम बहुत कठिन परिस्थितियां का सामना कर सकते हैं । जो व्यापार , प्रोफेशन , ट्रेडिंग  ,मार्केटिंग, प्रोडक्शन से सम्बंधित काम करना चाहते है उससे सम्बंधित बहुत सारे अध्ययन और सर्वेक्षण किए होते हैं लेकिन उसके बाद भी हम देखते हैं कि एक समय के बाद जब आप उसमें अपने पैसे और सारी मेहनत लगा देते हैं और वह पूरा बेकार होता जाता है और कुछ समझ में ही नहीं आता कि आप क्या करें, बिल्कुल दिशा हारा हो जाते हैं और नुकसान पर नुकसान और उसपे और नुकसान आपको इतना तोड़ देता है अंदर से की कभी समझ ही नहीं पाते हैं कि समस्या किस जगह पर है । अगर आपका बिजनेस बड़ा है तो उसको खत्म होने में ४  से ५  साल लगता है, कोई अगर छोटा बिजनेस है तो वह कुछ महीनों में बंद हो जाता है , कुछ और भी छोटे बिजनेस है जो हफ्ते १० दिन में ही पूरे बैठ जाते हैं और उसे चलाना संभव नहीं रह जाता  । इन सब परिस्थितियों में आपको देवी शक्तियों की आवश्यकता पड़ती है । 

अब बात करते हैं प्रोफेशनल लोगों की प्रोफेशनल लोग प्रोफेशनल सर्विस तो देते हैं । जब लोग उनके पास आते हैं उनको सर्विस देते हैं लोग उनके सर्विस से संतुष्ट होते हैं, उनका नाम बढ़ता है, कद बढ़ता है । जब आपके पास कोई आया तो आपने उसको सर्विस दे दी । प्रोफेशनल के साथ ये दिक्कत है की उनका विस्तार वर्टिकल होता है  लेकिन अगर वह चाहते हैं कि उनके व्यक्तित्व का विस्तार अंतरराष्ट्रीय राष्ट्रीय बाउंड्री को पार करें तो एक प्रोफेशनल व्यक्ति के लिए एक लिमिट आ जाती है । जो भी व्यक्ति अपने जीवन में ग्रोथ चाहते है ,उन्नति चाहते है तो उनके लिए एकमात्र साधन वास्तु ही है, दैवी शक्तियों का आशीर्वाद हमारे जीवन में बहुत ही आवश्यक है । ऋषि मुनियों ने इस वैदिक विद्या को हमारे जीवन में डाला है उन सब का एक ही उद्देश्य है कि कैसे ईश्वरी शक्ति और ऐश्वर्या को हमारे जीवन में, हमारे घर में किस तरीके से उतारा जाए जिससे कि हमारे जीवन में हमेशा ही सुख समृद्धि बनी रहे ।

बात करते हैं कि अगर आपने निर्माण कार्य  शुरू किया और आपने दीवार गलत जगह पर बना दी है जो की वास्तु पुरुष के संवेदनशील बिंदु पर है जिसको हम मर्म स्थान बोलते हैं तो यह समझ लीजिए कि आपने उसी पल आपके उस सम्पत्ति का भाग्य निर्धारण कर दिया है । वास्तु की ये गलती आगे फंडरेजिंग, बैंक, मशीनरी खरीदने से सम्बंधित समस्याएं देगी । अब यहां पर कुछ ऐसी शक्तियों की आवश्यकता है जो कि मानवीय सीमाओ के भी ऊपर है जिन्हें हम दैवी शक्ति बोलते हैं । वास्तु शत प्रतिशत वैज्ञानिक है । वास्तु के नियमावलियों को ऋषि महर्षि ने लिखा है और इसकी उत्पत्ति अथर्व वेद से हैं । वास्तु में कॉस्मिक रेडिएशन, ग्रह, नक्षत्र अंतरग्रहीय बल, पृथ्वी की भू-तापीय ऊर्जा का उपयोग भूमि और संपत्ति में किया जाता है । भारतीय लोगो से आज्ञा पालन की दृष्टि से इन्हें देवताओं से जोड़ा गया है परन्तु ये पूर्णतः वैज्ञानिक है ।

वास्तु कैसे वैज्ञानिक है इसका एक उदाहरण :

वास्तु चक्र में १० सोई हुई रेखाओं है और दस खड़े रेखाएं  है इनका नाम देवियो पर रखा हुआ है । शोध से इंटरनेशनल वास्तु अकादमी के लोगो ने ये जाना की ये रेखाएं और कुछ नहीं है बल्कि अक्षांश और देशांतर रेखाएं है । अगर आपने कोई भी ऐसा निर्माण किया है जो अक्षांश और देशांतर रेखा से समानांतर नहीं है तो उसी क्षण आपने उस संपत्ति के भाग्य का निर्धारण कर दिया है जो की निश्चित ही अच्छा नहीं है ।

कई बार देखा गया है कि आपने  प्लानिंग की, सब कुछ किया, आपने उद्यम की लागत के रूप में ५० करोड़ का बजट बनाया और फिर आपने निर्माण सुरु किया ।अब निर्माण के समय आपने एक दिवार ऐसी बना दी जो अक्षांश और देशांतर रेखा से समानांतर नहीं है | अब आपको ये समझ नहीं आता है की पैसा, ताकत, ऊर्जा सब लगा देने के बाद और ५० करोड़ की जगह १५० करोड़ लगाने के बाद भी काम क्यों नहीं हो पा रहा है । क्यों आप अपने कल कारखाने को ८ घंटे से ज्यादा नहीं चला पा रहे जब की ब्याज का दर २४ घंटे आप पर हावी है । क्यों इतनी चेष्टाओ के बाद भी आप कामयाब नहीं हो पा रहे है । एक बार के लिए आपको ये रूढ़िवाद लग सकता है परन्तु वास्तु शास्त्र ही एक मात्रा साधन है जो निश्चित ही आपके बिज़नेस को उचाईयो तक ले जा सकता है | साधारण सा उदाहरण -अगर कोई व्यक्ति १ घंटे में ५ किलोमीटर चलता है और उसके पैर में एक कील लग जाती है तो वह 1 घंटे में 5 किलोमीटर नहीं चल पाएगा । जैसे ये कील व्यक्ति की छमता पर अंकुश लगता है ठीक उसी प्रकार वह गलत दीवार जो आपने गलत स्थान पर बना दी है वो मर्म स्थान को आघात पहुँचता है और मर्म स्थान को आघात पहुंचाने से ऐसा देखा गया है कि कई बार व्यक्ति के हजारों रूपए एक रूपए  में भी परिवर्तित हो जाते हैं ।

जीवन में  स्थिर लक्ष्मी लाने के लिए, वास्तु दोष को हटाने के लिए और दैवी शक्तियों का साथ पाने के लिए वास्तु को समझना होगा और सही वास्तु करवाना भी होगा ।

क्या वास्तु करना  महंगा होता है ?

वास्तु करना कतई महंगा नहीं है । हमें जरुरत है अपने सोच को बदलने की । एक फैक्ट्री या इंडस्ट्री को बनाने की लागत में वास्तु शास्त्री के कंसल्टेंसी कॉस्ट को जोड़े क्यों की वही है जो आपको एक साधारण व्यक्ति से एक बड़े घराने तक ले जा सकता है । एक ऑफिस के इंटीरियर पर  लाखो खर्च करने से पहले वास्तु शास्त्री से परामर्श करे और अनचाहे दुष्परिणामों से बचे । अगर आप अपने बिजनेस को चिरस्थाई अच्छा चलाना चाहते हैं तो यह निश्चित है कि अगर सही वास्तु से आप का निर्माण होगा तो पहले दिन से ही प्रोडक्शन टेक्निकल मार्केटिंग सब की सहयोगिता से आपका स्टार्ट उप बिज़नेस भी दिन दुगुनी और रात चौगुनी उन्नति करेगा । बिज़नेस को २० प्रतिशत भी बढ़ा दिया जाये तो आप १२ प्रतिशत के ब्याज के दर के ऊपर आ जायेंगे तब भी आप  राहत की सांस ले पाएंगे और आपका बिज़नेस अच्छा चलेगा। जिनको भी आप आज बड़े घरानो के नामसे जानते है सब ने ५०० - ७०० वर्ग फुट की जगह से  शुरुआत  की थी । वास्तु के देवताओ के सहयोग के बिना चमत्कारी परिणाम असंभव है।

इस पांच दिवसीय समारोह में १०० देशो की महिलाओ ने स्त्रियों से सम्बंधित समस्याओ को सामने रखा और उनके लिए उपायों को भी साझा किया । इन सब के पीछे डॉ हर्बीन अरोरा राइ जी का सानिध्य है जो इस विज़न और मिशन को लेकर चल रही है की इस दशक में लिंग समान भविष्य होगा ।

कोलकाता से मंजुला जैन  जो की विक्की की पूर्वी क्षेत्र परिषद की प्रेजिडेंट है, और इन्दु गाँधी  जो की वाईस प्रेजिडेंट है  को सम्मान पत्र और आनरेरी दर्शनशास्त्र के मानद डॉक्टर की डिग्री से सम्मानित किया गया । डॉ सुमित्राजी को प्रतिष्ठित महिला का सम्मान मिला जो की सभी के लिए एक बेहतर दुनिया बना रही हैं ।कोलकाता से और भी  वरिष्ठ  महिलाये जिन्हे सम्मानित किया गया उनमे शामिल है सोमा चक्रबोर्ती, सोमा दत्ता, निशा नैर, राजलक्ष्मी स्याम, डॉ नयन मित्र,चयनिका भिवानीवाला, सुजाता चटर्जी , अरुणिमा दे, डॉ शर्मिष्ठा राहा , शर्मीला मजूमदार, देबोप्रिया नंदी, रूपश्री ।

महिलाओ से जुड़े इस कार्यक्रम में न केवल महिलाओ ने एक दूसरे को प्रोत्साहित किया बल्कि कई  वरिष्ठ पुरुषो ने भी महिलाओ के सम्मान में वक्तव्य दिया उनमे विशेष है  झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा  , मेंटर्स के फाउंडर डॉ मुनीश जिंदल, लार्ड रामी रेंजर ।

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