27 हजार प्रबोधको को नही मिलेगा पुरानी पेन्शन का फायदा!

 27 हजार प्रबोधको को नही मिलेगा पुरानी पेन्शन का फायदा!

   


                                                                                   जयपुर। सरकार ने 2008 मे प्रबोधक भर्ती अधिनियम - 2008 विधानसभा में पारित करवा कर राज्य की विभिन्न योजनाओं जैसे शिक्षाकर्मी परियोजना, लोक जुम्बिश परियोजना और राजीव गांधी पाठशालाओ में प्राथमिक शिक्षा की अलख सम्पूर्ण राजस्थान में जगाने वाले कार्मिकों को प्रबोधक बनाया गया था और राज्य सरकार ने उन सभी प्रबोधको को अनुभव के आधार पर पुरानी सेवा के एवज़ मे 3 वर्ष के एक ब्लॉक वर्ष के आधार पर 1 अतिरिक्त वेतनवृद्धि कार्मिकों को प्रबोधक सर्विस मे दी गई l अनुभव के आधार पर अधिकतम 7 अतिरिक्त वेतन वृद्धि प्रबोधक सर्विस मे जोड़ी गई लेकिन विभागीय त्रुटि के कारण 2008 में नियुक्त प्रबोधक को वेतन वृद्धि (पुरानी सर्विस का लाभ) के अलावा पुरानी सर्विस का पूरा लाभ आज तक भी नही दिया है जिससे राज्य सरकार मे 1984 से काम कर रहे कार्मिकों की सेवा की गणना 2008 से ही होने के कारण पुरानी पेंशन के लिए न्यूनतम सेवा 28 वर्ष किसी भी प्रबोधक के नही हो पा रहे हैं । जबकि प्रबोधक कार्मिक राज्य में राज्य की परियोजना मे 1984 से राज्य सेवा कर रहे हैं बड़े दुःख की बात है कि अपना पूरा जीवन पूर्ण निष्ठा और लगन से राज्य के पिछड़े इलाकों में दूरस्थ पहाड़ी और रेगिस्तानी क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा के उन्नयन के लिए देने वाले कार्मिकों को पुरानी सेवा का लाभ केवल अतिरिक्त वेतन वृद्धि देने के अलावा कुछ नहीं दिया गया है ।  सभी प्रबोधक साथियों को जिनको 2008 मे राज्य सरकार द्वारा नियुक्ति दी गई वो सभी प्रबोधक पूर्व में राज्य सेवा देने के कारण सभी की नियुक्ति 40 वर्ष के पश्चात हुई है और कोई भी प्रबोधक न्यूनतम 28 वर्ष की सेवा को पूर्ण नही कर पा रहा है जिससे पुरानी पेंशन का लाभ भी पूर्ण रूप से नही मिल पायेगा जबकि प्रबोधक प्राथमिक शिक्षा के लिए 1984 से राज्य सेवा कर रहे हैं l 1984 से पूर्व राजस्थान की देश में प्राथमिक शिक्षा में लिस्ट में पिछले पायदान में गिनती होती थी उसके बाद तत्कालीन राज्य सरकार ने राजस्थान के पिछड़े पहाड़ी और रेगिस्तानी इलाक़ों के दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रो में प्राथमिक शिक्षा के दायरे को बढ़ाने के लिए 1984 में शिक्षाकर्मी बोर्ड का गठन किया गया था जिसके तहत पूरे राजस्थान के पिछड़े इलाकों में शिक्षाकर्मी पाठशाला खोली गई । जिसमें बच्चों को शिक्षा देने के लिए शिक्षाकर्मी को लगाया गया जिसके परिणाम बहुत ही सुखद आए फिर इसी क्रम में जब पिछड़े क्षेत्रों प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में सुधार आने लगा तब 1992 में तत्कालीन राज्य सरकार ने प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता में वृद्धि करने हेतु लोक जुम्बिश परियोजना का गठन किया गया था जिसके माध्यम से सम्पूर्ण राजस्थान के प्रत्येक स्कूल में लोक जुम्बिश परियोजना के माध्यम से इन्फ्रास्ट्रक्चर,  प्रशिक्षण, गुणवत्ता युक्त न्यूनतम अधिग़म स्तर कार्यक्रम लागू किया गया इस पूरे कार्य को सम्पादित करने के लिए लोक जुम्बिश कार्मिकों को लगाया गया जिसका परिणाम यह आया कि राजस्थान प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा में गिनती पूरे देश में ऊंचे पायदान में आ गया था और राजस्थान सरकार के इस परियोजना की ख्याति अपने देश के अलावा साउथ अफ्रीका, बांग्लादेश, स्वीडन आदि देशों तक फैल गई थी। इसी सफलता के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जी ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में और भी अधिक विकास के लिए राजीव गांधी पाठशाला को खोला गया था और उन पाठशालाओ मे बच्चों को शिक्षा देने के लिए पैराटीचर और मदरसा पैराटीचर को लगाया गया था । सभी प्रकार के साथियों को तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जी ने विधानसभा में प्रबोधक भर्ती अधिनियम 2008 को पारित कराकर प्रबोधक के रूप में नियुक्ति प्रधान की है तथा राज्य सरकार ने सभी प्रकार के साथियो को पुरानी परियोजनाओ मे प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग देन के एवज में अतिरिक्त वेतन वृद्धि दी गई है लेकिन पुरानी सेवा का पूर्ण लाभ नही देने के कारण किसी भी प्रबोधक को पूर्ण पेंशन का लाभ नही मिलेगा जिसके लिए राज्य सेवा की न्यूनतम 28 वर्ष पूर्ण होना जरूरी है। जबकि सभी साथी पुरानी राज्य सेवा के हिसाब से सभी प्रबोधक 28 वर्ष से ज्यादा सेवा राज्य सेवा दे चुके हैं पुरानी पेंशन का लाभ नही मिलने के साथ-साथ किसी भी प्रबोधक साथी को  ग्रेचुटी का भी पूर्ण लाभ नही मिल पायेगा । सभी प्रबोधक साथियो को लगभग आज के हिसाब से भी 8 से 10 लाख रुपये का नुकसान होने की संभावना है और पेंशन का नुकसान अलग से है जबकि सभी प्रबोधक साथी राज्य सेवा में 28 वर्ष से भी ज्यादा सेवा दे चुके हैं बस केवल पुरानी सेवा के एवज में अतिरिक्त वेतन वृद्धि के अलावा कोई भी लाभ नही दिया गया है इससे  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत  से माँग की जाती है कि सभी प्रबोधक साथियो की पूर्व मे की गई राज्य परियोजनाओ की पुरानी सेवा की गणना वर्तमान में प्रबोधक सर्विस मे जोड़ा जाए।

 राजस्थान पंचायती राज प्रबोधक सेवा  नियम 2008 के तृतीय संशोधन (37क)पैराटीचर, शिक्षाकर्मी, मदरसा पैराटीचर्स, लोकजुम्बीसकर्मी  के रूप मे की गई  सेवा  को पांच  वर्ष के अनुभव  के पश्चात हर तीन वर्ष पर एक अतिरिक्त वेतन वृध्दि  दी गई। अतः इसको आधार मानते हुए पुरानी सेवा की गणना की जावे। हरलाल सिंह डूकिया प्रदेश अध्यक्ष अखिल राजस्थान प्रबोधक संघ


 2008 मे प्रबोधक सेवानियम के समय 24 अप्रैल 2008 के गजट के नियम 37 के  आधार पर नियुक्ति  दे दी गई थी। जबकि  उससे पूर्व  नियम 37 के स्थान पर नया नियम (37क) 18 सितंबर 2008 को नियुक्ती से पूर्व  लागू  हो चुका  था। क्योंकि  इन्र्कीमेन्ट  सेवा  को रेगुलर  माना  जाता है। नियम  26 व 27 के अन्तर्गत हमारी  पुरानी सेवा के आदेश जारी होने चाहिए। सम्बुदयाल शर्मा जिला अध्यक्ष अखिल राजस्थान प्रबोधक संघ नागौर


सरकार पुरानी पेंशन को पूर्ण रूप से लागू करना चाहती है तो प्रबोधको की पुरानी सेवा नोशनल रूप जोङकर आदेश जारी करने चाहिए। बजट मे राज्य सरकार घोषणा करती है तो प्रबोधक संघ  मुख्यमन्त्री  का स्वागत करेगा । नरेन्द्र सियाग ब्लॉक अध्यक्ष अखिल राजस्थान प्रबोधक संघ खीवसर (नागौर)


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