अयोध्या फैसला न्यायपालिका के लिए मील का पत्थर, लोगों ने शांति और सद्भाव के मूल्यों को साबित कियाः पीएम मोदी


एजेंसी


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 59वीं बार देशवासियों से मन की बात की। उन्होंने कहा कि 9 नवंबर को अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला न्यायपालिका के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। लोगों ने शांति और सद्भाव के मूल्यों को साबित किया। यह भी कहा कि नवंबर महीने का चौथा रविवार हर साल एनसीसी डे के रूप में मनाया जाता है। मैं भी आप ही की तरह कैडेट रहा हूं और आज भी मन से खुद को कैडेट मानता हूं। दुनिया के सबसे बड़े यूनिफॉर्मड यूथ ऑर्गनाइजेशन में भारत की एनसीसी एक है। इसमें सेना, नौ-सेना, वायुसेना तीनों शामिल हैं। का नंबर फिर 12 वर्ष के बाद लगता है। यह उत्सव देश के फिट इंडिया मूवमेंट में हिस्सा लेने की अपील की अलग-अलग कोने की 12 नदियों पर होता है। बारी-बारी से "फिट इंडिया मूवमेंट से आप परिचित हो गए होंगे। स्कूल्स फिट इंडिया मूवमेंट दिसंबर में कभी भी मना सकते हैं। इसमे बच्चे होता है 12 दिन चलता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संदर्भ में चित्रकारी, खेलकूद प्रतियोगिताएं और योग में शामिल हो सकते हैं। बच्चों को इसमें पसीना बहाना है। अधिकतम फोकस्ड एक्टिविटी असम नौगांव के रमेश शर्मा की टिप्पणी का भी जिक्र किया। करनी हैं। मैं स्कूलों से आग्रह करता हूं कि हर जगह फिट इंडिया वीक मनाएं। इससे फिटनेस के लिए जागरूकता बढ़ती है। सभी इसमें 4-16 नवंबर तक चले ब्रहमपुत्र पुष्कर के बारे में स्कूल फिट इंडिया रैंकिंग में शामिल हों और फिट इंडिया को सहज स्वभाव बनाएं। यह एक जनआंदोलन बने।" "फिट इंडिया मूवमेंट बताया गया था। में फिटनेस को लेकर स्कूलों की रैंकिंग की व्यवस्था की गई है। इसे हासिल करने वाले सभी स्कूल, फिट इंडिया लोगो और फ्लैग "भाषाओं और बोलियों को बचाने के लिए आगे इस्तेमाल कर पाएंगे। फिट इंडिया पोर्टल पर जाकर स्कुल स्वयं को फिट घोषित कर सकते हैं। फिट इंडिया के तहत उन्हें फिट इंडिया 3 स्टार और 5 स्टार रेटिंग दी जाएगी।" आएं": "हमारी भारत भूमि पर सैकड़ों भाषाएं सदियों से पुष्पित पल्लवित होती रही हैं। हालांकि, हमें इस बात की भी 'स्वस्थ रहने के लिए बच्चे पसीना बहाएं': मतलब है एनसीसी।" चिंता होती है कि कहीं भाषाएं, बोलियां खत्म तो नहीं हो प्रधानमंत्री ने कहा, "7 दिसंबर को आर्मड फोर्सेज फ्लैग डे नदियों के उत्सव के प्रचार-प्रसार की जरूरतः जाएगी। लेकिन उत्तराखंड के धारचुला की कहानी से मुझे मनाया जाता है। यह वो दिन है, जब हम अपने सशस्त्र बलों पुष्करम, पुष्करालु, पुष्कर के बारे में आपने नहीं सुना होगा। काफी संतोष मिला। वहां की आबादी कम है लेकिन इसके के सहयोग को याद करते हैं। हर किसी के पास उस दिन यह नदियों के किनारे मनाए जाने वाले उत्सव हैं। पुष्करम यह बाद भी बुजुर्ग और युवा सभी अपनी भाषाओं को बचाने के आम्ड फोर्सेज का फ्लैग होना ही चाहिए। हम वीर सैनिकों एक ऐसा उत्सव है जिसमें नदी का महत्मय, नदी का गौरव, लिए आगे आए। भाषाओं और बोलियों को बचाए रखने के का स्मरण करें। लीडरशिप, देशभक्ति, सेल्फलेस सर्विस, जीवन में नदी की महत्ता एक सहज रूप से उजागर होती है। लिए हम भी को आगे आना चाहिए। संयुक्त राष्ट ने इस वर्ष अनुशासन और कड़ी मेहनत इन सबको अपने कैरेक्टर का यह देश की 12 अलग-अलग नदियों पर जो उत्सव होते हैं को उन भाषाओं का वर्ष बताया है जो विलुप्त होने की कगार हिस्सा बनाएं। अपनी आदत बनाने की एक रोमांचक यात्रा उनके भिन्न-भिन्न नाम हैं। हर वर्ष एक नदी पर यानी उस नदी पर हैं।"


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