डॉ. अर्जुनदेव चारण एवं डॉ. राजेश कुमार व्यास ने किया संबोधित जेकेके ‘नाट्यशास्त्र संवाद‘ का हुआ आयोजन


कार्यालय संवाददाता


जयपुर, 16 नवंबर।


नाट्य शास्त्र को अपनाने वाले अभिनेता ऋषि परम्परा से हैं क्यों कि ऋषि के समान ही अभिनेता भी सत्य की तलाश में रहता है। नाट्य करने वाले अभिनेता दृढ संकल्प के साथ नाट्य परम्परा को अपनाता है। यह कहना था नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के निदेशक, डॉ. अर्जुनदेव चारण का। वे शनिवार को जवाहर कला केन्द्र में आयोजित 'नाट्यशास्त्र संवाद' में संस्कृतिकर्मी, कवि, कला आलोचक एवं यात्रावृतान्तकार, डॉ. राजेश कुमार व्यास से चर्चा कर रहे थे। 


डॉ चारण ने 'नाट्यशास्त्र' में निहित कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि यह वो 5वां वेद है जिसका निर्माण स्वयं ब्रह्मा ने देवताओं के लिए किया था। नाट्यशास्त्र की उत्पत्ति करने के बाद जब ब्रह्मा ने देवताओं द्वारा इस शास्त्र का प्रयोग करने के लिए इन्द्र को दिया। लेकिन इस पर इन्द्र ने कहा कि स्वयं देवता भी इस शास्त्र का प्रयोग करने में अशक्त है और केवल ऋषि ही इसका प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि उनमें ही वो चार गुण है जो उन्हें इसके योग्य बनाते हैं। वे चार गुण है - वे कुशल हैं, बोलने में माहिर है, सवेंदनशील है और मेहनती होते हैं। 


चर्चा के दौरान डॉ. चारण ने कहा कि नाट्यशास्त्र जिसे अमृत कोश भी कहते हैं भारतीय ज्ञान परम्परा का आधार ग्रन्थ है। यह बेहद निराशाजनक है कि वर्तमान में युवा पीढ़ी हमारी पौराणिक परम्परा से लगभग अपरिचित है। नाट्य शास्त्र वास्तव में आम जन के लिए नहीं बल्कि विशिष्ठ जन, जो इस विधा में सक्रिय हैं, के लिए लिखा गया है। 


रंगमंच के कलाकारों को सलाह देते हुए, श्री चारण ने कहा कि अभिनय करने वाले कलाकारों का चाहिए की उन्हें अधिक से अधिक पुस्तकों को पढ़ना चाहिए। इससे उन्हें ना केवल स्वयं को समझने में मदद मिलेगी, बल्कि दूसरों के दृष्टिकोण, मानसिकता और भावनाओं को भी समझने में सहायक होगा। 


डॉ. अर्जुनदेव चारण के बारे में:
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के अध्यक्ष, डॉ. अर्जुनदेव चारण प्रसिद्ध कवि, आलोचक, नाटककार, थिएटर निर्देशक एवं अनुवादक हैं। डॉ. अर्जुन लोकनाट्यों के साथ भरतमुनि की नाट्यशास्त्र के मर्मज्ञ विद्वान हैं। वे केन्द्रीय साहित्य अकादमी के राजस्थानी परामर्श मंडल के संयोजक, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के उपाध्यक्ष भी रहे है। केन्द्रीय साहित्य अकादमी के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित डॉ चारण को बिडला फाउंडेशन का बिहारी पुरस्कार, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार सहित बहुत से सम्मान निरंतर मिलते रहे हैं। 


डॉ. राजेश कुमार व्यास के बारे में:
केन्द्रीय साहित्य अकादमी से सम्मानित, डॉ. राजेश कुमार व्यास संस्कृतिकर्मी, कवि, कला आलोचक एवं यात्रावृतान्तकार हैं। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा प्रकाशित यात्रा वृतान्त 'कश्मीर से कन्याकुमारी' और 'नर्मदे हर' शामिल हैं। उनके द्वारा कला पर लिखी गई रचनाएं 'रंग नाद' और 'भारतीय कला कृतियॉं' अत्यन्त चर्चित रही है। केन्द्रीय ललित कला अकादमी की पत्रिका 'समकालीन कला' के एक अंक के वे अतिथि सम्पादक रहे हैं। दूरदर्शन ने उनके शोध एवं आलेख पर आधारित यात्रा वृतान्त धारावाहिक 'डेजर्ट कॉलिंग' बनाकर डीडी भारती, दूरदर्शन नेशनल चैनल से उसे प्रसारित किया है। भारतीय संस्कृति से संबद्ध कोई एक दर्जन से अधिक वृत्तचित्रों का लेखन भी उन्होंने दूरदर्शन के लिए किया है। 


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