एच-1 बी वीजा 'हाउडी मोदी' के बावजूद अमेरिका में भारतीयों के सबसे ज्यादा एच-1बी वीजा आवेदन रद्द


नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने गुरुवार को एच-1बी वीजा आवेदन रद्द किए जाने की रिपोर्टों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधाबुधवार को आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, टम्प प्रशासन की सख्त नीतियों के कारण अमेरिका में भारतीय आईटी कंपनियों का एच-1बी वीजा आवेदन सबसे ज्यादा रद्द किया गया। प्रियंका ने ट्वीट किया- प्रधानमंत्री जी ने अमेरिका जाकर अपनी 'हाउडी मोदी' तो कर आए, लेकिन अमेरिका ने वहां काम करने की इच्छा रखने वाले भारतीय लोगों के एच-1बी वीजा खारिज करने में बढ़ोत्तरी कर दी। भाजपा सरकार से ये सवाल तो सबको एजेंसी कर दी। भाजपा सरकार से ये सवाल तो सबको पूछना चाहिए कि उसके कार्यकाल में किसकी भलाई हो रही है। दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि देश में अर्थव्यवस्था की हालत एकदम पतली है। सेवा क्षेत्र औंधे मुंह गिर चुका है। रोजगार घट रहे हैं। शासन करने वाला अपने में ही मस्त है, जनता हर मोर्चे पर त्रस्त है। इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में वीजा रद्द किए जाने का दर 24%: अमेरिकी थिंक टैंक नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक, वीजा रद्द करने की दर 2015 में जहां 6% थी, वहीं वर्तमान वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में यह दर 24% पर पहुंच गई। यह रिपोर्ट यूएस सिटीजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है। एच-1 बी वीजा विदेशी कर्मचारियों को जारी किया जाता है: एच-1 बी वीजा गैर-आव्रजक वीजा है। यह वीजा अमेरिकी कंपनियां द्वारा उन विदेशी कर्मचारियों को जारी किया जाता है, जिन्हें विशिष्ट योग्यता वाले कर्मचारी की आवश्यकता होती है। तकनीकी क्षेत्र की कंपनियां हर साल भारत और चीन जैसे देशों से लाखों कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए इस पर निर्भर होती है। अध्ययन में सामने आया कि ट्रम्प प्रशासन ने भारतीय कंपनियों को अनावश्यक रूप से निशाना बनाया और यहां की कंपनियों का एच-1बी वीजा आवेदन सबसे ज्यादा रद्द किए गए। 10 नवंबर को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठकः पार्टी सूत्रों के कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) - कमेटी की बैठकः पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले को लेकर नई दिल्ली । में रविवार को बैठक करेगी। कोर्ट 17 नवंबर से पहले कभी भी फैसला सुना सकती है। इसके साथ ही 18 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र से पहले महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दों और आर्थिक मंदी को लेकर भी चर्चा हो सकती है।


 


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