जेकेके में रविवार से आरम्भ होगा चार दिवसीय 'कत्थक बेले' फेस्टिवल


कार्यालय संवाददाता


जयपुर। जयपुर के कला एवं सांस्कृतिक केंद्र, जवाहर कला केंद्र (जेकेके) की ओर से रविवार, 1 दिसंबर से बुधवार, 4 दिसंबर तक मध्यवर्ती में कथक बेले का अनूठा फेस्टिवल 'कथा बेले' आयोजित किया जाएगाचार दिवसीय इस फेस्टिवल में दर्शकों को प्रतिदिन सायं 6.30 बजे विभिन्न कलाकारों की प्रस्तुतियां देखने को मिलेगी। फेस्टिवल में दर्शकों का प्रवेश निःशुल्क रहेगा। रविवार, 1 दिसंबर को रचना यादव द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा 'आराध्या': रविवार, 1 दिसंबर को सायं 6.30 बजे मध्यवर्ती में दिल्ली की रचना यादव द्वारा 'आराध्या की प्रस्तुत के साथ इस फेस्टिवल की शुरूआत होगी। इस प्रस्तुति में बेहतरीन कोरियोग्राफी और विभिन्न 'लय' के माध्यम से चार प्रमुख हिंदू देवताओं को साकार किया जाएगा। सोमवार, 2 दिसंबर को हरीश गंगानी की 'मीरा' प्रस्तुतिः सोमवार, 2 दिसंबर को दिल्ली के हरीश गंगानी द्वारा 'मीरा' कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा। इसमें कथक के माध्यम से भगवान कृष्ण की प्रसिद्ध भक्त मीरा की जीवन यात्रा प्रस्तुत की जाएगी। इस प्रस्तुति में बताया जाएगा कि किस प्रकार भगवान कृष्ण के प्रति मीरा का प्यार बचपन से ही बढ़ता जाता है। प्रस्तुत करेंगी 'नमामि गंगे': मंगलवार, 3 दिसंबर मंगलवार, 3 दिसंबर को डॉ. कविता ठाकुर को दिल्ली के डॉ. कविता ठाकुर द्वारा भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा पर आधारित कथक बेले प्रस्तुति 'नमामि गंगे दी जाएगी। कथक नृत्य शैली में कोरियोग्राफ किए गए इस बेले में जीवनदायिनी, मोक्षदायिनी एवं त्रिभुवनतारिणी गंगा नदी के उद्गम से लेकर उसके गंगा सागर में विलय होने की महान यात्रा को नृत्य के माध्यम से पेश किया जाएगा। प्रस्तुति में गंगा द्वारा वर्तमान दौर में सामना की जा रही चुनौतियों को भी दिखाया जाएगा। यह कार्यक्रम पं. बिरजू महाराज, यश मालवीय एवं महाराजा देवधर सिंह द्वारा लिखित कविता पर आधारित है। इस प्रस्तुति में गंगावतरण की कहानी को काव्य एवं कथक नृत्य की विभिन्न तकनीक के साथ बुना गया है। बुधवार, 4 दिसंबर को डॉ. शशि सांखला द्वारा पेश किया जाएगा 'जयति केशवम': 'कथा बेले' के अंतिम दिन बुधवार, 4 दिसंबर को जयपुर की डॉ. शशि सांखला द्वारा 'जयति केशवम पेश किया जाएगा। यह नृत्य प्रस्तुति कवि जयदेव के 'गीत गोविंदम' के 'अष्टपदी' पर आधारित एक प्रयोगात्मक प्रस्तुति है। इस प्रस्तुति के माध्यम से धर्म स्थापना के लिए भगवान के विभिन्न अवतारों को प्रतिपादित किया गया है। इस प्रस्तुति के विभिन्न चरणों में कथक की आठ प्रमुख ताल को अत्यंत सुंदर तरीके से समायोजित किया गया है।


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