निम्स के चेयरमैन डॉ. बीएस तोमर के खिलाफ षडयंत्र का भंडाफोड़


कार्यालय संवाददाता जयपुर।


निम्स यूनिवर्सिटी के चैयरमेन और चांसलर डॉ. बलवीर सिंह तोमर की प्रतिष्ठा को मिट्टी में मिलाने का षडयंत्र लगातार जारी है। उन पर गैंगरेप के आरोप लगाने वाली लड़की, उनकी पत्नी शोभा तोमर और वकील राजेश भदोरिया द्वारा डॉ. तोमर को बदनाम करने की पूरी साजिश रची गई। दरअसल तथ्यों के आधार पर एवं सरकारी जांच एजेंसियों को दिए गए साक्ष्यों के आधार पर कोई भी निर्णय स्पष्ट रूप से डॉ. तोमर के पक्ष में न लेते हुए केवल महिला होने के नाते एक पक्षीय फैसले पर जांच एजेंसी द्वारा विशेष रूप से ध्यान दिया गया है। जबकि गबन व फर्जी डिग्री से नौकरी हासिल करने के मामले में चंदवाजी थाने में लड़की का जुर्म प्रमाणित हो चुका है जिसमें धारा 420, 465, 468, 471 के अन्तर्गत जुर्म साबित हो चुका है। इसके बावजूद भी हाईप्रोफाइल केस को जांच एजेंसियों द्वारा एक तरफा फैसला लेते हुए एक प्रतिष्ठित आदमी को प्रताड़ित किया जा रहा है। डॉ. तोमर ने 12 अक्टूबर 2019 को मेडिकल ट्रस्ट से उनकी दूसरी पत्नी डा. एफआईआर नम्बर 0399 धारा 384 एवं शोभा तोमर और सौतेला पुत्र डॉ. अनुराग 120बी के तहत अशोक नगर थाने में दर्ज तोमर भी ट्रस्टी के रूप में कार्यरत थे। कराई है। जिसमें कहा गया है कि इंडियन उनकी पत्नी व पुत्र ट्रस्ट व विश्वविद्यालय महिलाओं में बिना की सम्पत्तियों पर कब्जा करना चाहते थे जो कि डॉ. तोमर की पुत्रियों को सम्पत्ति से कोई हिस्सा दिया जाने के उनके निर्णय उन्हें स्वीकार नहीं थे। इसे देखते हुए डॉ. शोभा तोमर व अनुराग तोमर ने एक संगठित गिरोह बना लिया और प्रार्थी पर यौन शोषण के मिथ्या आरोप लगाकर प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचाना शुरू कर दिया। ताकि इस आधार पर प्रार्थी को ट्रस्ट व विवि के नियंत्रण से बेदखल किया जाकर ट्रस्ट व विवि की सम्पत्ति पर कब्जा किया जा सके। इस गिरोह में कई वकील भी शामिल है। गिरोह ने विभिन्न लड़कियों को शामिल करके उन्हें मोटी राशि प्रदान की और प्रार्थी के विरूद्ध योन शोषण के फर्जी मुकदमें दर्ज करा दिए। इन मुकदमों को योजनाबद्ध रूप से समाचार पत्रों टीवी व सोशल मीडिया में गिरोह द्वारा वायरल करा दिए। ऐसे ही एक मिथ्या प्रकरण रांची में दर्ज कराया जाकर प्रार्थी की गिरफ्तारी तक करा दी गई जिसको पुलिस ने फर्जी पाया है। शोभा तोमर ने इस काम में सुमेधा दुलर्भजी कांड में सजायाफ्ता धनंजय सिंह को साथ में लेकर इस गिरोह में बीबी अग्रवाल, राजेश भदोरिया, अजीत भदोरिया, नेहा खान, वीर सिंह, पूरणसिंह राव, मिन्टु यादव व अन्य व्यक्ति भी शामिल है। इस अपराधिक षडयंत्र के तहत नेहा खान नाम की निम्स कर्मचारी को गिरोह ने प्रार्थी को योन शोषण के झूठे आरोप में फंसाने के लिए उपयोग में लेते हुए प्रार्थी के विरूद्ध रेप कारित करने की मिथ्या एफआईआर पुलिस थाना आमेर में दर्ज कराई। नेहा खान के जरिए विभिन्न जनसंचार के माध्यमों से उनके इंटरव्यू और वीडियो क्लिप जारी कराकर क्लिप के बदले में प्रार्थी से बीस करोड़ रुपए तक की राशि मांगी गई। इसके साक्ष्य भी डॉ. तोमर ने पेश किए हैं। निम्स यूनिवर्सिटी के चैयरमैन और चांसलर डॉ. तोमर को पारिवारिक रंजिश के चलते उनकी पत्नी शोभा तोमर द्वारा बिछाए गए हनी ट्रेप के जाल में जानबूझकर फंसाने और फिर पूरी गैंग के साथ ब्लैक मेलिंग करने के मामले में महत्वपूर्ण साक्ष्य सरकारी एजेंसी द्वारा भी अनदेखी किए गए। दरअसल पूरा मामला शुरू होता है लड़की द्वारा नौकरी पाने के लिए निम्स यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री का इस्तेमाल किया गया और नौकरी के दौरान अपने पद का दुरुपयोग कर यूनिवर्सिटी में गबन किया गया। उक्त मामले में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उसके द्वारा प्रस्तुत किए गए शैक्षणिक दस्तावेज जब जांच किए गए तो पता चला कि वे सब फर्जी थे। जिसका सत्यापन संबंधित यूनिवर्सिटी द्वारा किया गया जिसमें फर्जी पाए गए। लड़की ने जो फर्जी दस्तावेज निम्स में प्रस्तुत किए थे उनकी जांच किए जाने पर सामने आया कि दस्तावेज के रोल नम्बर पर इस नाम की कोई लड़की नहीं थी। उसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा लड़की को 1-7-2018 को नौकरी से हटा दिया गया। बर्खास्तगी के बाद लड़की द्वारा अलग-अलग माध्यम से यूनिवर्सिटी प्रशासन एवं डॉ. बी.एस. तोमर पर दोबारा से नौकरी पर रखने का दबाव बनाया गया। लेकिन दस्तावेज और गबन को देखते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा मना कर दिया गया।


डॉ. पकंज सिंह और बसंत सिंह जांच के बाद निर्दोष साबित इस बात को लेकर लड़की को ये लगा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन उस पर पुलिस कार्रवाई की तैयारी में है. इसलिए उसने डॉ. तोमर की पत्नी शोभा तोमर के साथ मिलकर बीएस तोमर, दामाद डा. पंकज सिंह और यूनिवर्सिटी के कैम्पस मैनेजर बसंत सिंह के खिलाफ गैंगरेप का मामला दिनांक 21 दिसम्बर 2018 को एफआईआर नम्बर 0662/ 2018 आमेर थाने में दर्ज करा दिया। लेकिन दूसरी ओर यूनिवर्सिटी प्रशासन पहले से ही लड़की के खिलाफ गबन और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर चंदवाजी थाने में मामला दर्ज कराने की तैयारी कर चुका था। दिनांक 21-122018 को एफआईआर नम्बर 395/2018 को ब्लैकमेलिंग का मामला दर्ज करा दिया। गैंगरेप के मामले की जांच शुरू होने के बाद सरकारी एजेंसी ने साक्ष्य नहीं मिलने पर पंकज सिंह और बसंत सिंह को रेप के मामले में दोषमुक्त करार दिया। उक्त प्रकरण से लगता है कि पंकज सिंह और बसंत सिंह पर लड़की द्वारा दबाव बनाने की कोशिश की जा रही थी। क्योंकि पंकज सिंह द्वारा फर्जी दस्तावेज और गबन के मामले को पकड़ा जाना, बसंत सिंह द्वारा इस पूरे मामले में एक कड़ी के रूप में काम करना लड़की के लिए मुसीबत का कारण था। यही कारण था कि दोनों का नाम भी रेप केस में शामिल किया गया जो कि जांच में झूठा पाया गया। वीडियो क्लिपिंग का सच मामले में महत्वपूर्ण मोड तब आया जब लड़की, शोभा तोमर और वकील राजेश भदोरिया द्वारा बीएस तोमर के खिलाफ किए जा रहे षडयंत्र का वीडियो क्लिप सामने आया। इस वीडियो की क्लिपिंग का केस को प्रभावित करने वाला कुछ हिस्सा बकायदा जांच एजेंसी को भी दिखाया जा चुका है। जिसका जिक्र सरकारी जांच एजेंसी ने अपनी तथ्यात्मक रिपोर्ट में भी किया है। लेकिन उक्त वीडियो को गंभीरता से नहीं लिया गया। इस वीडियो में सीधा सा यह जाहिर हो रहा है कि देश शोषण का पूरा मामला सुनियोजित साजिश के तहत अंजाम दिया गया। जिसमें लड़की को षडयंत्र के मुख्य मोहरे के रूप में डॉ. तोमर की पत्नी शोभा तोमर ने काम में लिया है। उक्त वीडियो के बाकी बचे हुए अंश जो कि डॉ. तोमर को दोषमुक्त साबित करने और लड़की को अपनी फर्जी डिग्री बनाने और गबन के केस में दोषी साबित करने में सहायक थे, जांच एजेंसी द्वारा उन अंशों पर किसी प्रकार का ध्यान नहीं दिया गया।


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