पीसीओडी से खो सकता है, मां बनने का सपना


हो सकता है गर्भधारण मश्किल, आईवीएफ से कारगर इलाज संभव


कार्यालय संवाददाता जयपुर।


आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में महिलाएं अपने स्वास्थ्य की अनदेखी कर देती हैं, जिस का खमियाजा उन्हें विवाह के बाद भुगतना पड़ता है। लड़कियों को पीरियड्स शुरू होने के बाद अपने स्वास्थ्य पर खासतौर से ध्यान देने की आवश्यकता होती है. महिलाओं के चेहरे पर बाल उग आना, बारबार मुहांसे होना, पिगमेंटेशन, अनियमित रूप से पीरियड्स का होना और गर्भधारण में मुश्किल होना महिलाओं के लिए खतरे की घंटी है। यह पीसीओडी कै संकेत हो सकते हैं। पीसीओडी होने के कारणों का पूरी तरह से पता नहीं चल पाया है लेकिन चिकित्सकों की राय में लाइफस्टाइल में बदलाव, आनुवंशिकी व जैनेटिक फैक्टर का होना मुख्य वजहें हैं। आईवीएफ स्पेशलिस्ट व नीलकण्ठ फर्टिलिटी हास्पीटल, उदयपुर की डायरेक्टर डॉ. सिम्मी सूद बताती हैं कि, महिलाओं की इस समस्या को पोलीसिस्टिक ओवरी डिजीज यानी पीसीओडी के नाम से जाना जाता है। इस समस्या के होने पर महिलाओं, खासकर कुंआरी लड़कियों को समय रहते चिकित्सकीय जांच करानी चाहिए. ऐसा नहीं करने पर महिलाओं की ओवरी और प्रजनन क्षमता पर असर तो पड़ता ही है साथ ही, आगे चल कर उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और हृदय से जुड़े रोगों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है। आज करीब 30 प्रतिशत महिलाएं इस बीमारी से ग्रस्त हैं, जबकि माना जाता है कि इस बीमारी की शिकार महिलाओं की संख्या इस से कई गुना अधिक हैहार्मोनल टेस्ट से पता चलता: अगर


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