विज्ञान पत्रकारिता पर दो दिवसीय कार्यशाला, वैज्ञानिक दृष्टिकोण हमारे अस्तित्व के लिए जरूरीः रजिस्ट्रार, विज्ञान प्रसार


कार्यालय संवाददाता 


जयपुर। विज्ञान एवं प्रौधौगिकी विभाग द्वारा विज्ञान पत्रकारिता विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के पहले दिन विभिन्न तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। कार्यशाला के प्रथम तकनीकी सत्र में विज्ञान संचार के रजिस्ट्रार डॉ. बी के त्यागी ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण, विज्ञान लेखन आदि विषयों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि अब वह समय आ चुका है कि यदि हमने अपने निर्णय वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नहीं किये तो शायद हम अपने अस्तित्व को ही खतरे मैं डाल देंगे। उन्होंने कहा कि आम आदमी से लेकर प्रशासनिक अधिकारी तक सभी के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण का महत्त्व है। उन्होंने बहुत से उदहारण देकर बताया कि किसी भी आपदा के समय एक जागरूक आम व्यक्ति उस आपदा से होने वाले खतरे को काफी कम कर सकता है, वहीं यदि कोई भी प्रशासनिक अधिकारी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अपना निर्णय करता है तो वह ज्यादा से ज्यादा लोगों की सहायता कर सकता है। डॉ. त्यागी ने कहा कि विज्ञान का प्रयोग विकास के लिए होना चाहिए न कि केवल लाभ कमाने के लिये और यह मीडिया की जिम्मेदारी है कि उस तकनीक के साथ जुड़े हुए विपरीत प्रभावो के बारे में भी लोगों को जागरूक करे। श्री त्यागी ने कहा कि आज पूरी दुनिया पर्यावरण संकट से जूझ रही है, इसमें कहीं न कहीं लोगों में वैज्ञानिक दष्टिकोण की कमी होना भी कारण है। उन्होंने कहा की जितनी जरूरत समस्याओं को सुलझाने के लिए नए शोध की है, उतनी ही जरूरत उसे लोगों तक पहुंचाने की भी है। डॉ. त्यागी ने विज्ञान लेखन की विभिन्न विधाओं के बारे में बताते हुए कहा कि आम आदमी को विज्ञान से जोड़ने के लिए विज्ञान को मनोरंजक और सरल तरीके से लोगों तक पहुँचाने की जरुरत है। उन्होंने प्रतिभागियों को विज्ञान के प्रसार प्रसार से जुडी केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी। विज्ञान फ़िल्म निर्माता श्री हिमांशु मल्होत्रा तथा श्री राजेश अमरोही ने द्वितीय सत्र में विज्ञान फिल्मों के माध्यम से विज्ञान संचार विषय पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि फिल्मों के माध्यम से दर्शक जटिल विषय को भी आसानी से समझ सकते हैं इसलिए आमजन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करने में फिल्में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने विज्ञान फिल्मों की स्क्रिप्ट लेखन की विधाओं के बारे में जानकारी दी। श्री मल्होत्रा ने कहा कि लोगों को आकर्षित करने के लिए फ़िल्म का केवल सूचनात्मक होना ही जरूरी नहीं है बल्कि उसका रोचक होना भी आवश्यक है


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