जाने और समझें खेल के क्षेत्र में नाम करने वालों की कुंडली मे मंगल का योगदान - पंडित दयानंद शास्त्री



शिक्षा के बाद करियर ही जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष होता है जहाँ अधिकांश लोग तकनीकी क्षेत्र (इंजीनियरिंग, मेडिकल, आर्किटेक आदि), मैनेजमेंट, मार्केटिंग, बिजनेस आदि में करियर बनाने के इच्छुक होते है वहीँ कुछ लोगों को बचपन से ही खेलों में रुचि होती है और अपनी खेलने की प्रतिभा को ही वो अपना करियर बना लेते हैं। 


कुछ समय पहले तक माता-पिता अपने बच्चों का स्पोर्ट्स में जाना अच्छा नहीं समझते थे या स्पोर्ट्स को एक अच्छे करियर पक्ष की तरह नहीं देखा जाता था परन्तु आज के समय में खेल को लेकर सभी का दृष्टिकोण बदल गया है। वर्तमान में खेलों में करियर बनाना एक   सुनहरा अवसर माना जाने लगा है और अभिभावक भी अपने बच्चों को इसमें पूरा सहयोग करते हैं।


 अब ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखें तो यदि व्यक्ति में किसी विशेष प्रतिभा का उदय होता है तो इसमें उसकी जन्मकुंडली में बने ग्रह योगों की ही भूमिका होती है तो आईये ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी से जाने की कौनसे ग्रह-योग जातक को जो खेलों में सफलता दिलाकर एक अच्छा खिलाडी बनाते हैं –


" विशेष रूप से तो "मंगल" को ही खेलों या स्पोर्ट्स का कारक मना गया है क्योंको खेलों में सफलता के लिए व्यक्ति का शारीरिक गठन, मांसपेशियां, फिटनेस और कार्य और पुरुषार्थ-क्षमता बहुत अच्छी होनी चाहिए इसके आलावा हिम्मत, शक्ति, पराक्रम, निर्भयता और प्रतिस्पर्धा का सामना करना एक अच्छे खिलाडी के गुण होते हैं और इन सभी का नियंत्रक ग्रह मंगल होता है इसलिए खेल में जाने के लिए हमारी कुंडली में मंगल का अच्छी स्थिति में होना बहुत आवश्यक है।  मंगल के प्रबल प्रभाव वाले जातक शारीरिक रूप से बलवान तथा साहसी होते हैं। ऐसे जातक स्वभाव से जुझारू होते हैं तथा विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत से काम लेते हैं तथा सफलता प्राप्त करने के लिए बार-बार प्रयत्न करते रहते हैं और अपने रास्ते में आने वाली बाधाओं तथा मुश्किलों के कारण आसानी से विचलित नहीं होते। 


मंगल आम तौर पर ऐसे क्षेत्रों का ही प्रतिनिधित्व करते हैं जिनमें साहस, शारीरिक बल, मानसिक क्षमता आदि की आवश्यकता पड़ती है जैसे कि पुलिस की नौकरी, सेना की नौकरी, अर्ध-सैनिक बलों की नौकरी, अग्नि-शमन सेवाएं, खेलों में शारीरिक बल तथा क्षमता की परख करने वाले खेल जैसे कि कुश्ती, दंगल, टैनिस, फुटबाल, मुक्केबाजी तथा ऐसे ही अन्य कई खेल जो बहुत सी शारीरिक उर्जा तथा क्षमता की मांग करते हैं। 


ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि मंगल ग्रह शारीरिक तथा मानसिक शक्ति और ताकत का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल के प्रबल प्रभाव से व्यक्ति में साहस , लड़ने की क्षमता और मिड़रता का भाव आता है।
मंगल के प्रभाव स्वरुप जातक सामान्यतया किसी भी प्रकार के दबाव के आगे नहीं झुकता। मंगल के द्वारा साहस, शारीरिक बल, मानसिक क्षमता प्राप्त होती है। पुलिस, सेना, अग्नि-शमन सेवाओं के क्षेत्र में मंगल का अधिकार है खेल कूद इत्यादि में जोश और उत्साह मंगल के प्रभाव से ही प्राप्त होता है।


मंगल को ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति के साहस, छोटे भाई-बहन, आन्तरिक बल, अचल सम्पति, रोग, शत्रुता, रक्त शल्य चिकित्सा, विज्ञान, तर्क, भूमि, अग्नि, रक्षा, सौतेली माता, तीव्र काम भावना, क्रोध, घृ्णा, हिंसा, पाप, प्रतिरोधिता, आकस्मिक मृत्यु, हत्या, दुर्घटना, बहादुरी, विरोधियों, नैतिकता की हानि का कारक ग्रह है.


इसके अतिरिक्त मंगल ऐसे क्षेत्रों तथा व्यक्तियों के भी कारक होते हैं जिनमें हथियारों अथवा औजारों का प्रयोग होता है जैसे हथियारों के बल पर प्रभाव जमाने वाले गिरोह, शल्य चिकित्सा करने वाले चिकित्सक तथा दंत चिकित्सक जो चिकित्सा के लिए धातु से बने औजारों का प्रयोग करते हैं, मशीनों को ठीक करने वाले मैकेनिक जो औजारों का प्रयोग करते हैं तथा ऐसे ही अन्य क्षेत्र एवम इनमे काम करने वाले लोग। इसके अतिरिक्त मंगल भाइयों के कारक भी होते हैं तथा विशेष रूप से छोटे भाइयों के। मंगल पुरूषों की कुंडली में दोस्तों के कारक भी होते हैं तथा विशेष रूप से उन दोस्तों के जो जातक के बहुत अच्छे मित्र हों तथा जिन्हें भाइयों के समान ही समझा जा सके।


पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि जन्म कुंडली का "तीसरा भाव" भी शारीरिक मेहनत, भागदौड़, प्रक्रम और निडरता का कारक होने से खिलाडियों की कुंडली में तीसरे भाव का भी बहुत महत्त्व होता है। खेलो में प्रतिस्पर्धा का सामना करके ही खिलाडी आगे बढ़ते हैं इसलिए कुंडली का "छटा" भाव ( कॉम्पटीशन कारक) भी यहाँ अपनी विशेष भूमिका निभाता है "
मंगल का कुंडली में विशेष प्रबल प्रभाव कुंडली धारक को तर्क के आधार पर बहस करने की विशेष क्षमता प्रदान करता है जिसके कारण जातक एक अच्छा वकील अथवा बहुत अच्छा वक्ता भी बन सकता है। मंगल के प्रभाव में वक्ता बनने वाले लोगों के वक्तव्य आम तौर पर क्रांतिकारी ही होते हैं तथा ऐसे लोग अपने वक्तव्यों के माध्यम से ही जन-समुदाय तथा समाज को एक नई दिशा देने में सक्षम होते हैं। युद्ध-काल के समय अपनी वीरता के बल पर समस्त जगत को प्रभावित करने वाले जातक मुख्य तौर पर मंगल के प्रबल प्रभाव में ही पाए जाते हैं।  
 
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यदि जन्म कुंडली में हो ऐसे योग तो जातक बनता हैं खिलाड़ी--


ज्योतिषीय विश्लेषण के लिए हमारे शास्त्रों मे कई  सूत्र दिए हैं।
 कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार से  हैं--  (खेल के करियर निर्धारण में  विचारणीय  फॉर्मूला या ज्योतिषीय सूत्र )...


दशम भाव: करियर, लग्न :जातक का शरीर, चंद्रमा :मन ,सूर्य :आत्मा का विचार होता है।
कुंडली में इन भावों एवं भाव स्वामियों का, बलवान हो कर, खेल के कारक भावों एवं भावेशों तथा ग्रहों से संबंध खेल के द्वारा सफलता, ख्याति, उपलब्धि ,लाभ दिलाता है।
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 लग्न राशि  : मेष, वृष, कर्क, तुला, वृश्चिक एवं मकर  ।
 पंचम भाव एवं पंचमेश : यश, मान, प्रतिष्ठा , मनोरंजन ,खेल का स्थान ,खेल प्रतिभा एवं दक्षता ।
 पंचम भाव, पंचमेश : अन्य संबंधित भावों एवं ग्रहों से संबंध।
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ग्रहों व भावों  --
बलवान तृतीय भाव, छठे भाव, मंगल, बुध व राहु पर निर्भर तृतीय भाव :बल और पराक्रम , शारीरिक क्षमताओं । 
छठे भाव : विरोधी पक्ष, प्रतियोगिता, संघर्ष ,प्रतिद्वंद्वियों ,सकारात्मक परिणाम।
 सप्तम भाव: सहयोगी खिलाड़ियों।
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 मंगल : ताकत ,ऊर्जा, शक्ति, पराक्रम, वीरता एवं आक्रामकता।
मंगल का तृतीय भाव  संबंध :सुदृढ़ शरीर वाला ,साहसी होता है। 
बुध तीसरे व छठे भाव से संबंध : तकनीकी । 
राहु : जीत के प्रति सकारात्मक रवैये ।
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लग्न लग्नेश :  शरीर , स्वस्थ शरीर , स्वस्थ दिमाग,।
 तृतीय भाव :पराक्रम , दाहिना हाथ ।
 एकादश भाव : उपलब्धियों एवं लाभ ,बायां हाथ ,आय ।
 तृतीय भाव तृतीयेश  : बाहुबली ।
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चतुर्थ भाव:-- लोकप्रियता ,जन-जनार्दन। 
दशम भाव: कर्म एवं ख्याति ,कार्य क्षमता, स्थित ग्रहःशनि, मंगल, सूर्य एवं राहु।


नवम भाव: सफलता ,भाग्य , सफलता एवं यश ।
चंद्र: मन । शुक्र:कलात्मक शैली।शनि :संबंध लंबे समय तक पद पर ।
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मंगल+चंद्रमा की युति चंचलता, चपलता देती हैं। 
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मंगल +शनि युति-- आक्रामकता, गुस्सा, एकाग्रता और संयम । 
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चंद्रमा +गुरु की युति-- कुशलता, निरीक्षणता और सूक्ष्मता।
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स्वगृही, उच्चस्थ, केंद्र एवं त्रिकोण स्थित ग्रहः बलवान होते है। 
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राहु: राहु शीघ्र तथा सच्चा फल , सफलता । 
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सूर्य-शनि-मंगल ग्रहः :पौरुषदाता। 
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लग्न राशि  : मेष, वृष, कर्क, तुला, वृश्चिक एवं मकर  सफल होते हैं। 
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जब मंगल, या शनि उच्च का, या स्वगृही हो, तो रूचक, शश, पंच महापुरुष योग।
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इसके साथ साथ डी 9, नवांश ,डी 10  कुंडली भी देखे। 
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जानिए खेलों में कामयाबी योग को--
(जानिए खेलों में सफलता के कुछ विशेष ज्योतिषीय योग) - 
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कुंडली का पहला, दूसरा, चौथा, सातवा, नौवा, दसवा, ग्यारहवा घर तथा इन घरों के स्वामी  अपनी दशा और अंतर्दशा में  जातक को कामयाबी प्रदान करते है।
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यदि मंगल बलि होकर कुंडली के दशम भाव में बैठा हो या दशम भाव पर मंगल की दृष्टि हो तो स्पोर्ट्स में सफलता मिलती है। 
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यदि मंगल स्व या उच्च राशि (मेष, वृश्चिक, मकर) में होकर केंद्र(१,४,७,१०) त्रिकोण(१,५,९) आदि शुभ भाव में बैठा हो तो तो स्पोर्ट्स में अच्छी सफलता दिलाता है।
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यदि मंगल , शनि से पांचवे या नौवें भाव में बलि होकर बैठा हो तो भी स्पोर्ट्स में सफलता मिलती है। 
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 तीसरे भाव के स्वामी का तीसरे भाव में ही बैठना या तीसरे भाव को देखना भी स्पोर्ट्स में जाने के लिए सहायक होता है। 
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षष्टेश का छटे भाव में बैठना या छटे भाव को देखना भी एक खिलाडी के लिए सहायक होता है। 
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कुंडली के तीसरे भाव में क्रूर ग्रहों ( राहु, केतु, शनि, मंगल, सूर्य) का होना एक खिलाडी का प्रक्रम बढ़ा कर उसे प्रतिस्पर्धा में आगे रखता है। 
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 यदि तृतीयेश दसवें भाव में हो और मंगल ठीक स्थिति में हो तो भी खेलों में सफलता मिलती है। 
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 पंचमहापुरुष योगों में से "रूचक-योग" का कुंडली में  बनना स्पोर्ट्स में सफलता दिलाता है।
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 सूर्य. चंद्रमा व बृहस्पति : उच्च पदाधिकारी बनाता है।
द्वितीय, षष्ठ एवं दशम्‌ भाव को अर्थ-त्रिकोण सूर्य की प्रधानता।
केंद्र में गुरु स्थित होने पर   उच्च पदाधिकारी का पद प्राप्त होता है।
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जन्म कुंडली मे खिलाड़ी बनने में बाधक योग :--
भाव   दूषित  हो तो  अशुभ फल देते है। 
ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि  में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों , तो काम मे बाधा आती है |
लग्नेश बलों में कमजोर, पीड़ित, नीच, अस्त, पाप मध्य, 6,8,12वें भाव में ,तो  भी  बाधा आती है . 
कुण्डली मे D-१०   (चार्ट ) का  भी आंकलन    करना  चाहिये । 


लग्न कुडली में जो भाव, भावेश व भाव कारक अच्छी स्थिति में हों, उस भाव के जीवन में अच्छे फल मिलेंगे और जो भाव, भावेश व भाव कारक अशुभ स्थिति में हों, उसके फल नहीं मिलते हैं।
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विशेष -  
खेलों में सफलता या अच्छा करियर बनाने में मुख्य रूप से मंगल की भूमिका तथा तीसरे और छटे भाव की सहायक भूमिका है परन्तु इसके अतिरिक्त किसी भी खेल से जुड़े खिलाडी की कुंडली में "बुध" जितना मजबूत और अच्छी स्थिति में होगा वह खिलाडी उतना ही जल्दी और अच्छे निर्णय ले पाएगा जिससे प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने में सहायता होगी अतः एक खिलाडी की कुंडली में बुध का मजबूत होना उसकी क्षमताओं को कई गुना बढ़ा देता है ।जैसे-- 


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दुनिया भर में भारत का नाम रोशन करने वाले हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जी की जन्म कुंडली में मंगल   छटे भाव में स्व राशि में बैठा है। 
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भारतीय क्रिकेट के चमकते सितारे विराट कोहली की कुंडली में मंगल चौथे भाव में मित्र राशि में बैठकर दशम भाव को देख रहा है जो स्पोर्ट्स में अच्छी सफलता को दर्शाता है साथ ही उनकी कुंडली में तीसरे भाव में राहु के बैठने से उनमे पराक्रम और अपने प्रतिद्वन्धियों को पछाड़ने की बहुत अच्छी क्षमता भरी हुई है।
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भारतीय क्रिकेट में अपना सुनहरा नाम लिखने वाले भारत रत्न सचिन तेंदुलकर की कुंडली में "मंगल" अपनी उच्च राशि मकर में बैठा है जो खेलों में सफलता दिलाने का बहुत अच्छा योग है।  
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भारत की विश्व कप एवम अन्य श्रृंखला में विजय दिलवाने वाले महेंद्र  सिंह धोनी की कुंडली में मंगल भाग्य स्थान में है तथा तृतीयेश होकर तीसरे भाव को देख रहा है जिससे उनके प्रक्रम और खेलने की प्रतिभा बहुत अच्छी है साथ ही बुध उनकी कुंडली में स्व राशि मिथुन में सूर्य के साथ होने से उनकी किरणे लेने की क्षमता बहुत अच्छी है जिसने उन्हें बहुत बड़ी सफलताएं दिलाईं हैं। 
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भारतीय टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा की कुंडली में मंगल चौथे भाव में अपनी उच्च राशि मकर में बैठा है तथा लग्न में बुध बलि होकर बैठा है जो एक अच्छा खिलाडी बनने के योग हैं। 
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जानिए कैसे करें फलादेश --
- जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा।
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
- जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
-त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं।
- क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं।
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जन्म कुंडली के बाधक  ग्रहो को  जानकर उनका उपाय करे।


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