जानिए कि कैसे हमारे माथे की लकीरों का सम्बन्ध भाग्य दर्शाता है- पंडित दयानंद शास्त्री


जिस तरह हमारे हाथों की हथेली में लकीरें होती हैं और वह हमें हमारे भविष्य की जानकारियां देती है… 
ये बताती हैं हमें कि हम भाग्यशाली है या नहीं… 
आने वाले समय में क्या शुभ होगा और क्या अशुभ… 


ठीक उसी तरह हमारे मस्तक या माथे पर भी लकीरें होती हैं जो बता सकती है कि हम भाग्यशाली हैं या नहीं। 


क्यों चौंक गए ना कि भला माथे की (मस्तक रेखा) लकीर कैसे यह बता सकती है कि हम कितने भाग्यशाली हैं???
 
तो चलिए बिना देर करते हुए आज ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी आपको बताने जा रहे है कि कैसे मस्तक रेखा से जुड़ा हुआ होता है भाग्य का सम्बंध–


सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति के माथे की लकीरों को देखकर आप यह बात आसानी से पता कर सकते हैं कि वह कितना भाग्यशाली है। माथे की यह लकीरें व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य की ओर इशारा करती हैं।


सामुद्रिक शास्‍त्र, भारतीय ज्योतिष का ही एक प्रमुख अंग है। इसके आधार पर विभिन्‍न अंगों की सरंचना को देख आप व्‍यक्ति के बारे में बता सकते हैं। किसी भी जातक के मस्‍तक को देखकर उसके बारे में कैसे आंकलन किया जा सकता है। 


अक्सर लोग कहते हैं कि किसी के माथे पर नहीं लिखा होता है कि कौन व्यक्ति कैसा है। सामुद्रिक विज्ञान के अनुसार हर व्यक्ति के बारे में माथे पर ही लिखा होता है। यानी माथे पर खींची हुई लकीरों को अगर पढ़ना सीख लें तो किसी भी व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी आपको मिल सकती है कि वह कैसा है।
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कैसे करें आयु का निर्धारण---


माथे पर उभरी रेखाओं द्वारा आयु का निर्धारण भी कर सकते हैं। यदि ललाट पर चार अखंडित रेखाएं हैं, तो जातक की आयु 95 वर्ष तक होती है।


ललाट पर अखंडित और कानों तक लंबी रेखाएं होने पर जातक की आयु 100 वर्ष तक होती है। यह रेखाएं योगीजन में ज्यादा देखने को मिलती हैं।


रेखाएं सिर्फ मनुष्य के हाथों पर ही नहीं बल्कि मस्तक यानी माथे पर भी होती हैं। माथे की ये रेखाएं विभिन्न ग्रहों से प्रभावित होती हैं। भारत में वैदिक काल से प्रचलित सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार माथे की रेखाओं के आधार पर किसी इंसान के भूत, भविष्य और वर्तमान व स्वभाव की जानकारी प्राप्त हो सकती है| इसके लिए किसी भी व्यक्ति के माथे की स्थिति, आकार-प्रकार, रंग तथा चिकनाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए|


जानिए मस्तक पर कौन सी रेखाएं होती हैं व उनका किसी व्यक्ति के स्वभाव पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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सामुद्रिक शास्त्र में मस्तक के 3 प्रकार बताए गए हैं-


उन्नत मस्तक- ऐसा मस्तक सामान्य से थोड़ा उठा हुआ और चिकना होता है, इस पर रेखाएं स्पष्ट नजर आती हैं|


सामान्य मस्तक- ऐसा मस्तक चेहरे के अनुरूप होता है, इस पर रेखाएं आसानी से नज़र आती है|


निम्न मस्तक- ये सामान्य से थोड़ा अंदर की ओर धंसा रहता है, हल्का सा काला होने के कारण इस पर रेखाएं साफ नज़र नही आती|
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जाने और समझें माथे (मस्तक) की रेखाएं व उनसे होने वाले प्रभाव को---
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शनि रेखा --


यह रेखा मस्तकमें सबसे ऊपर वाले स्थान पर स्थित है, यह अधिक लंबी नहीं होती, केवल मस्तक के मध्य भाग में ही दिखाई देती है| इस रेखा के आस-पास का भाग शनि ग्रह से प्रभावित माना जाता है| जिस व्यक्ति के मस्तक पर यह रेखा स्पष्ट दिखाई देती है, इसका मतलब यह है की वह व्यक्ति गंभीर स्वभाव का है| यदि एक उन्नत मस्तक यानि थोड़ा उठा हुआ मस्तक पर शनि रेखा हो तो ऐसे लोग रहस्यमयी, गंभीर व थोड़े अंहकारी होते है| इनके जानकारी बहुत कम लोगों के पास होती है, ये सफल जादूगर या तांत्रिक हो     सकते है| जानिए मस्तक पर कौन सी रेखाएं होती हैं व उनका किसी व्यक्ति के स्वभाव पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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गुरु रेखा --


शनि रेखा से थोड़ी नीचे ही गुरु रेखा का मस्तक पर स्थान होता है, यह रेखा शनि रेखा की तुलना में थोड़ी लंबी होती है| पढ़ाई, विचार, इतिहास संबंधी रुचि एवं महत्वाकांक्षा आदि की सूचक गुरु रेखा होती है| जिस व्यक्ति के मस्तक पर यह रेखा लंबी एवं स्पष्ट दिखाई देती है, वे लोग सरकारी नौकरी या शिक्षा के क्षेत्र में अपना नाम कमाते है| वह आत्मविश्वासी व अपनी बात के पक्के होते है, ऐसे लोगों पर आंख बंद कर विश्वास किया जा सकता है|
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बुध रेखा --


बुध रेखा लगभग मस्तक के बीच में होती है, यह रेखा लंबी होती है और कभी-कभी तो व्यक्ति की दोनों कनपटियों के किनारों को स्पर्श करती है| बुध रेखा व्यक्ति की याददाश्त, अन्य विषयों में उसका ज्ञान, सूझ-बूझ एवं ईमानदारी की सूचक होती है| यदि यह रेखा शुभ गुणों से युक्त हो तो ऐसा व्यक्ति तेज याददाश्त वाला, सही-गलत की सोच रखने वाला, उच्च मानसिक क्षमता वाला होता है| ऐसे लोगों में किसी भी इंसान को परखने की क्षमता अधिक होती है|
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शुक्र रेखा --


इस रेखा का स्थान बुध रेखा के ठीक नीचे मध्य भाग मेंहोता है, इस रेखा का आकार छोटा होता है| यह रेखा उत्तम स्वास्थ्य, भ्रमण प्रवृत्ति, आकर्षक एवं सम्मोहक व्यक्तित्व की सूचक होती है| उन्नत मस्तक पर यदि यह रेखा स्पष्ट रूप से दिखाई दे तो ऐसे व्यक्ति उच्च जीवन शक्ति से युक्त, घूमने-फिरने वाले, सौंदर्य प्रेमी एवं जरूरी मुद्दों पर गंभीर होने वाले होते है| ऐसे लोग स्वच्छ, साफ तथा सफेद रंग अधिक पसंद करते हैं|
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सूर्य रेखा---


यह रेखा मनुष्य की दाईं आंख की भौंह केऊपर होती है, और अधिक लंबी नहीं होती, सिर्फ आंख के ऊपर सीमित रहती है| यह रेखा प्रतिभा, सफलता, यश तथा समृद्धि की प्रतीक होती है| यदि यह रेखा शुभ गुणों से युक्त हो तो ऐसे व्यक्ति में अद्भुत सूझबूझ होती है और वे अनुशासन में रहना पसंद करते हैं| शास्त्र के अनुसार ये लोग अच्छे गणितज्ञ, शासक या नेता हो सकते हैं और अपने सिद्धांतों तथा व्यवहार से लोगों को बहुत जल्दी प्रभावित कर लेते है| 
जानिए मस्तक पर कौन सी रेखाएं होती हैं व उनका किसी व्यक्ति के स्वभाव पर क्या प्रभाव पड़ता है
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चंद्र रेखा ---


यह रेखा बांई आंख की भौंह के ऊपरहोती है, यदि यह रेखा सरल, सीधी व स्पष्ट हो तो ऐसा व्यक्ति कलाप्रेमी, विकसित बुद्धि वाला तथा कल्पनाशील होता है| इनकी रुचि चित्रकला, गायन, संगीत आदि क्षेत्रों में होती है|
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जानिए क्या कहती हैं आपके माथे की लकीर –
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1. धन से जुड़ी माथे की पहली लकीर –
सामुद्रिक शास्त्र की मानें तो व्यक्ति के माथे की पहली लकीरों का संबंध सीधे धन से होता है। यह लकीर भौं के निकट बनती है, जिसे धन की लकीर भी कहते हैं। वहीं, जिस व्यक्ति की धन की यानी माथे की पहली लकीर जितनी साफ दिखाई देगी, वह व्यक्ति उतना ही धनवान कहलाता है। परंतु माथे की वही लकीर स्पष्ट ना हो तो जान लें कि यह संकेत देता है कि आने वाले समय में व्यक्ति को धन से जुड़ी कई समस्याएं होनी वाली है। उस व्यक्ति के वित्तीय जीवन में उतार-चढ़ाव की संभावनाएं भी हमेशा बनी रहेगी।


2. माथे की दूसरी लकीर सेहत की देती है जानकारी –
अब बात करते हैं माथे पर बनीं दूसरी लकीर की जो व्यक्ति के स्वास्थ्य जीवन से जुड़ी हुई मानी जाती है। यह लकीर भौहों के निकट की लकीर के बाद दूसरी लकीर होती है। बता दें कि अगर माथे की दूसरी लकीर गाढ़ी और साफ दिखाई देती हो तो समझ लें कि इसका मतलब है कि उस व्यक्ति का स्वास्थ्य जीवन पर हमेशा अच्छा बना रहेगा। इसके विपरीत यह लकीर पतली और हल्की होती है तो व्यक्ति को स्वास्थ्य या परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जान लें कि माथे की दूसरी लकीर का स्पष्ट ना होना खराब स्वास्थ्य की ओर भी इशारा करता है।
 
3. भाग्य से है माथे की तीसरी लकीर का कनेक्शन –
माथे पर पड़ने वाली नीचे से तीसरी लकीर भाग्य की लकीर होती है और यह लकीर बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। खास बात यह है कि यह लकीर बहुत ही कम लोगों के माथे पर होती है। अगर यह लकीर माथे पर बनी होती है, तो वह व्यक्ति भाग्यशाली कहलाता है।


4. जीवन के उतार-चढ़ाव से जुड़ी है चौथी लकीर –
हमारे माथे पर बनने वाली चौथी लकीर का संबंध जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव से होता है। हालांकि यह लकीर 26 से 40 वर्ष तक के उतार-चढ़ाव और संघर्ष के बारे में जानकारी देती है। ऐसे व्यक्ति चालीस (40) की उम्र के बाद ही सफलता की बुलंदियों में होते हैं। ऐसे व्यक्तियों का आर्थिक जीवन भी बहुत अच्छा होता है।


5. पांचवीं लकीर को माना जाता है खतरनाक –
याद रखें कि माथे पर बनने वाली पांचवीं लकीर बहुत ही खतरनाक मानी जाती है। यह लकीर आपके जीवन में तनाव और चिंता को दर्शाती है। कभी-कभी तो ऐसे लोग अपना घरबार छोड़कर वैराग्य जीवन की तरफ चल देते हैं।


6. छठी लकीर वाले करते हैं अप्रत्याशित उन्नति –
बताते चलें कि माथे पर छठी लकीर नाक की सीधी तरफ ऊपर जाने वाली लकीर को कहते हैं। इसे दैवीय लकीर कहा जाता है, और ऐसा इसलिए क्योंकि यह लकीर संकेत देती है कि व्यक्ति के ऊपर दैवीय कृपा है। ऐसे व्यक्ति जीवन में अप्रत्याशित रूप से सफल होते हैं।
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पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि जिस व्यक्ति के माथे पर स्वच्छ, सरल, गम्भीर, पूर्ण तथा स्पष्ट रेखाएं होती है वह दीर्घायु एवं सुखी होता है। ललाट के एक छोर से दूसरे छोर तक जाने वाली एक स्पष्ट रेखा 20 वर्ष की आयु दर्शाती है। ऐसी जितनी रेखा ललाट पर होती है व्यक्ति की आयु उतनी होती है।


 जिनके मस्तक पर छोटा सा चांद बना हुआ होता है उन पर ईश्वर की विशेष कृपा होती है। ऐसे व्यक्ति महान संत, सन्यासी, उपदेशक अथवा योगी होते है।


मस्तक पर जितनी रेखाएं बनी होती हैं व्यक्ति के उतने ही भाई-बहन होती है। मोटी रेखायें भाई की एवं पतली रेखायें बहन की मानी जाती है। जिनका मस्तक चौड़ा होता है, उस व्यक्ति के कई पुत्र होते हैं लेकिन आजीविका में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इनके बच्चे भाग्यशाली एवं कर्मठ होता है।


पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार जिस व्यक्ति के मस्तक के ऊपरी हिस्से में उभार हो, और नीचे की तरफ हल्का सा झुकाव दिखे वे उच्च पद प्राप्त करते हैं। साथ ही ऐसा व्यक्तियों के कई स्त्रियों से संबंध होते हैं। अक्सर इन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 


जिनका मस्तक नीचे से ऊपर की ओर उठा हुआ हो, वह धैर्यवान, बुद्धिमान व धनवान होता है। इनका वैवाहिक जीवन सरल एवं सुखमय होता है। 


जिनके मस्तक पर रेखा नहीं होती है वह व्यक्ति धनी व दीर्घायु होता है। जिनके ललाट गहरे होते हैं वह ग़लत तरीके से धनोपार्जन करने वाले हैं। अपने गलत कार्यों के कारण इन्हें जेल भी जाना पड़ता है।


 किसी मनुष्य के ललाट में स्वच्छ, सरल, गम्भीर, पूर्ण तथा स्पष्ट रेखा होने से, वह व्यक्ति सुखी एंव दीर्घायु होता है। छिन्न-भिन्न रेखा से दुःखी और अल्पायु माना जाता है। ललाट में उद्धव रेखा, त्रिशूल व स्वास्तिक आदि के बने होने से, धन पुत्र एंव स्त्री युक्त होकर मनुष्य सुखमय जीवन व्यतीत करता हैं। 


जिसके मस्तक पर रेखा नहीं होती है, वह पुरूष धनी व दीर्घजीवी होता है। जिनके ललाट गहरे हों, वह पुरुष अपराध करने में चूकता नहीं, वो हत्या तक कर सकता है। करने वाले एंव बन्दी गृह के भोगी होते हैं। मस्तक में एक रेखा का पूर्णमान लगभग 20 वर्ष माना जाता है। इसी अनुपात से अनुभव द्वारा मनुष्य की आयु का भी निर्णय किया जाता है। 


जिस व्यक्ति का मस्तक उपर से उठा हुआ हो तथ नीचे से झुका हो, वह मनुष्य अधिक स्त्रियों से विवाह करने वाला होता है। ऐसे पुरूष अधिक शिक्षा प्राप्त करके उच्च मुकाम हासिल कर लेते है। इनका स्वास्थ्य बहुत अच्छा नहीं होता है। 


 जिस पुरूष का मस्तक चैड़ा हो, वह व्यक्ति अधिक पुत्रों वाला होता है, परन्तु काम-धन्धे को लेकर परेशान रहता है। इनकी सन्तान भाग्यशाली एंव कर्मठ मानी जाती है। 


 जिस पुरूष का मस्तक छोटा हो, वह मनुष्य अधिक पुत्रियों वाला होता है। ऐसे व्यक्ति कठोर परिश्रम करके ही अपने जीवन का निर्वाहन कर पाते है। 


 पुरूष के मस्तक पर जितनी रेखाये बनी हो, उसके उतने ही भाई-बहन होने की सम्भावना होती है। मोटी रेखायें भाई की एंव पतली रेखायें बहन की मानी जाती है। 


 जिस व्यक्ति का मस्तक नीचे से उपर की ओर उठा हुआ हो, वह मनुष्य धैर्यशील, धनवान व बुद्धिमान होता है। ये प्रेम के मामलें में काफी अग्रणी होते है। इनका वैवाहिक जीवन सरल एंव सुखमय व्यतीत होता है। 


 
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यदि मनुष्य के मस्तक पर तीन स्पष्ट अखंडित रेखाएं हों, तो मनुष्य धनवान और संपन्न होता है। यदि मनुष्य का ललाट ऊंचा-नीचा हो, तो जातक दरिद्रता के साए में जीवन गुजारता है। हंसते समय दोनों भृकुटियों के मध्य खड़ी रेखाएं बनती हों, तो ऐसा जातक दयावान, धर्मात्मा एवं सात्विक गुण वाला होता है। ललाट में त्रिशूल, उध्र्व रेखाएं, स्वस्तिक आदि का होना सर्वगुण संपन्न, धन, पुत्र और स्त्री सुख देता है।


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