जन्म से नहीं था अँगूठा, तर्जनी उंगली को जोड़ कर नया बनाया


जयपुर। कोटा की आयशा (3 वर्ष) के जन्म से ही दोनों हाथों में अंगूठे अविकसित नहीं के बराबरद्ध थे जिसके कारण वह कछ भी ठीक से पकड नहीं पाती थी। वह छोटे.मोटे कामों के लिए भी दूसरों पर निर्भर थी। ऐसे में डॉक्टर्स उसके लिए फरिश्ते साबित हुए। हैंड सर्जन ने सर्जरी कर आयशा की अंगूठे वाली खाली जगह में तर्जनी उंगली को जोड़ कर नया अंगूठा बना दिया जिससे वह अब अपने हाथ का सही इस्तेमाल कर पा रही है। शहर के नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में यह सर्जरी की गई और बच्ची को बेहतर जीवन दिया गया। विकसित नहीं हुए थे



विकसित नहीं हुए थे अंगूठे इस सर्जरी को करने वाले नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के ऑर्थोपेडिक एवं हैंड सर्जन डॉण् गिरीश गुप्ता ने बताया कि बच्ची के दोनों हाथों के अंगूठे जन्मजात ही ठीक तरीके से विकसित नहीं हुए थे। इस स्थिति को हायपोप्लास्टिक जयपुरथम्ब कहते हैं। अंगूठे न होने प्रमुख के कारण बच्ची कुछ भी भारतीय पकड़ नहीं पाती थी। जब कंडीशनर बच्ची के माता.पिता ने हमें अपने यह दिखाया तो हमने उसके इकोदोनों हाथों में अंगूठे लगाने की डेजर्ट सर्जरी ;पॉलीसाइजेशनद्ध के अनुमानतः बारे में परिजनों को बताया। 60यह सर्जरी एक बार में एक ही हाथ में होती है और इस केस में पहले मरीज गोदरेज के बाएं हाथ की सर्जरी की गई। 


तर्जनी उंगली को बनाया अंगूठाः हैंड सर्जन डॉण् गिरीश गुप्ता ने बताया किए पॉलीसाइजेशन के लिए बच्ची की तर्जनी ;अंगूठे के बगल मेंद्ध उंगली को अपनी जगह से हटाकर उसका अंगूठा बनाया। यह सर्जरी काफी जटिल व रिस्की थीए क्योंकि इसमें अंगूली को माँसपेशियों व नसों के साथ अपनी जगह से उठाकर अंगूठे की जगह पर प्रत्यारोपित करना पड़ता है। ऐसे में नसों को चोट लगने या दबाव से बंद होने का खतरा व अंगूली हमेशा के लिए खोने का भी डर रहता है। इस केस में अगर नसें ठीक से नहीं जुड़ती तो खून की नली बंद होने पर उंगली भी काली पड़ सकती थी। ऐसे में हमने सभी सावधानियों को बरतते हुए सर्जरी की और हम सर्जरी के परिणाम से काफी खुश है। पहले बाएं हाथ में यह सर्जरी की गई जिसमें तर्जनी उंगली को खून की नसों और टेंडन के साथ हटाकर अंगूठे की जगह लगाया गया। सर्जरी में करीब 4030 घंटे का समय लगा। सर्जरी के बाद अब वह चीजें ढंग से पकड़ पा रही है।


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