राजस्थानी सिनेमा पर रहा राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का तीसरा दिन


राजस्थानी फिल्म म्हारो गोविंद हुई प्रदर्शित। 
चैलेंजेज & फ्यूचर ऑफ़ राजस्थानी सिनेमा पे हुई चर्चा। 
रिफ के 4th दिन मौजूद रहेंगे ऋतुराज सिंह , अनंत महादेवन , यशपाल शर्मा।


जयपुर : 20 जनवरी 2020 राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के तीसरे दिन का पहला सेशन रहा 'How I Started Making Films : Personal Stories Of Film Makers' जिसमें मशहूर फिल्म निर्देशक राहुल रवेल जी उपस्थित रहे। सेशन को मॉडरेट कर रही थीं फिल्म फेस्टिवल की डायरेक्टर अंशु हर्ष।


बातचीत के दौरान राहुल ने अपने फिल्मी करियर के बारे में बात की। कैसे वो सिनेमा में आये। सिनेमा में आने को लेकर राहुल जी ने एक बहुत मजेदार किस्सा साझा किया। उनके पिता भी फिल्ममेकर रहे हैं इसलिए शुरुआत से ही फिल्मी माहौल के बीच रहे। लेकिन एक बार अपने दोस्त ऋषि कपूर के बुलावे पर उन्हें मेरा नाम जोकर के सेट पर जाने का मौका मिला, और वहाँ रसियन लड़कियों को देखकर और पूरे सेट को देखकर इनके मन में भी फिल्मों को लेकर रुचि बनी। 



फिल्म इंडस्ट्री में उतार चढ़ाव को लेकर उन्होंने कहा कि यह सब चलता रहता है और ज़रूरी भी है। हर निर्माता-निर्देशक अपने हिसाब से शानदार फिल्म बनाता है, अगर आपकी कोई फिल्म नहीं चली तो ये मत कहिये कि मैंने यह फिल्म नहीं बनाई थी। राहुल रवेल जी के अनुसार निर्देशक या निर्माता को अपने उसूलों पर ख़रा रहना चाहिये, और जो वे हैं वही बने रहना चाहिए। 


फिल्मों के प्रति अपने जुनून की वजह से एक बार उन्होंने किसी अभिनेत्री पर हाथ उठाने तक का भी सोचा, क्योंकि उनके मुताबिक वह वो काम नहीं कर रही थी जिसके लिए उसे रखा गया था। यह जुनून ही है जो राह पर एक चेहरा देखकर यशपाल शर्मा जैसा उम्दा कलाकार इंडस्ट्री को देता है।


राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में फिल्मों के चयन को लेकर राहुल ने कहा कि जो फिल्म अच्छी होगी वह चुनी जायेगी। चाहे वह कमर्शियल हो या नॉन कमर्शियल। 


बीच-बीच में राज कपूर पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वे असली कलाकार थे। उनमें बहुत धैर्य था और वे किसी से किसी भी तरह की एक्टिंग करवाने का हुनर रखते थे।


अंत में दर्शकों से रू-ब-रू होते हुए उन्होंने कहा कि हमें बहुत से लोगों के साथ काम करने का मौका मिला, हर किसी से सीखने को मिला। नये लोगों को सजेशन के तौर पर उन्होंने कहा कि अपने काम को लेकर कभी आत्म मुग्ध ना हों।



राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के तीसरे दिन का दूसरा सेशन रहा 'CHALLENGES AND FUTURE OF RAJASTHANI CINEMA' जिसमें के. सी. मालू, गौरव जैन, रवीन्द्र उपाध्याय, मंजूर अली कुरैशी, संजय रायजादा, मुकेश कुमार और गगन मिश्रा जी शामिल हुए। इस पूरी बातचीत का केन्द्रबिंदु रहा राजस्थानी सिनेमा और संगीत। बातचीत को मॉडरेट कर रही थीं फेस्टिवल डायरेक्टर अंशु हर्ष।


के. सी. मालू के अनुसार संगीत सिनेमा का प्रमुख पहलू है। जो सिनेमा, सीरियल या संगीत लोगों को जोड़ सका वो कामयाब हो गया। बहुत सी फिल्में संगीत के सहारे चलीं, इसलिए फिल्म के संगीत पर ध्यान दिया जाना चाहिये।


अंशु हर्ष के प्रश्न 'राजस्थानी सिनेमा बॉलीवुड से पीछे क्यों है' के उत्तर में रवीन्द्र उपाध्याय ने कहा जब तक हम भाषा को लेकर गौरवान्वित नहीं होंगे तब तक कुछ नहीं हो सकेगा। उनके अनुसार राजस्थानी अपनी मूल भाषा को ही नहीं पहचान सके हैं। इसके साथ-साथ उन्होंने अपने दो गाने गाकर समा बाँध दिया।


मंजूर अली कुरैशी के अनुसार सीमित संसाधनों में काम करना भी एक बड़ा कारण रहा है कि राजस्थानी सिनेमा बॉलीवुड से पीछे रह गया है। गर्वनमेंट का भी फिल्मों के बजट पर ध्यान नहीं है। 


संजय रायजादा के अनुसार सरकार की उदासीनता के कारण ही आजकल राजस्थानी आर्ट फल-फूल नहीं रहा है। आर्टिस्ट तो हैं पर संसाधन नहीं हैं।


गौरव जैन ने भी भाषा को तवज्जो देने की बात की, और यह कहा कि हम अपनी भाषा के लिए जितना कर सकें वह हमें करना चाहिए।


मुकेश कुमार ने कहा जैसे संगीत की बैकबॉन गाने हैं, वैसे ही मेरी बैकबॉन राजस्थान है। इसलिए यहाँ से जुड़े रहना है और काम करना है।


गगन मिश्रा जी ने अपने एफ. टी. आई. आई. के दिनों की बात करते हुए बताया कि वहाँ भी राजस्थानी सिनेमा की अनदेखी हुई है। उनके अनुसार अन्य भाषाओं की फिल्में हिन्दी में डब हो रही हैं पर राजस्थानी फिल्में किसी अन्य भाषा में नहीं आ रही हैं।


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