शरीर का संतुलन बिगड़ा तो ब्रेन ट्यूमर का खतरा


कार्यालय संवाददाता


जयपुर। ब्रेन में ट्यूमर होना बड़ी समस्या है और इससे पूरा शरीर प्रभावित होता हैट्यूमर से शरीर का कौन-सा हिस्सा या अंग प्रभावित होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि ट्यूमर या गांठ ब्रेन के किस हिस्से में स्थित है। अगर यह गांठ ब्रेन के दाईं तरफ स्थित है तो हमारे शरीर के बाईं तरफ का हिस्सा या अंग प्रभावित होगा और अगर ट्यूमर बाईं तरफ है तो इसकी वजह से हमारे शरीर के दाईं तरफ का हिस्सा या अंग प्रभावित होगा।


अलग-अलग हिस्सों पर विभिन्न प्रभाव नारायणा हॉस्पिटल के सीनियर न्यूरोसर्जन डॉ. केके बंसल ने बताया कि ब्रेन के अलग-अलग हिस्से होते हैंफंटल रीजन, यह आगे की तरफ का हिस्सा होता है, टेंपोरल रीजन, पेराइटल रीजन और ऑक्सीपीटल रीजन। अगर फंटल रीजन में ट्यूमर होता है तो वह रोगी के व्यक्तित्व यानी पर्सनैलिटी को प्रभावित करता है। टेंपोरल रीजन में ट्यूमर होने पर वह रोगी की वाणी और याददाश्त यानी स्पीच और मेमोरी प्रभावित करता है। पेराइटल एरिया में ट्यूमर होने पर वह रोगी के सेंसेशन यानी संवेदनशीलता को प्रभावित करता है और ऑक्सीपीटल एरिया में ट्यूमर होने पर वह रोगी की दृष्टि यानी विजन प्रभावित करता है। कुछ ट्यूमर साधारण यानी बेनाइन होते हैं और कुछ मेलिग्नेंट यानी कैंसरस होते हैं।


ब्रेन ट्यूमर की पहचान करने के लिए रोगी का इमेजिंग टेस्ट किया जाता है। डॉ. केके बंसल ने बताया कि इस टेस्ट के तहत रोगी के ब्रेन का सीटी स्कैन, एमआरआई और पेट स्कैन किया जाता है। इनके बाद सर्जरी की जाती है। अगर रोगी बुजुर्ग है तो बेनाइन ट्यूमर होने पर सर्जरी की बजाय दवाओं से उपचार किया जाता है, क्योंकि बेनाइन ट्यूमर धीरे-धीरे बढ़ता है और इससे रोगी की जान को खतरा नहीं होता है। ज्यादातर मामलों में सर्जरी से पहले रोगी को रेडिएशन थेरैपी और कीमोथेरेपी दी जाती है। रेडिएशन थेरैपी ट्यूमर में वृद्धि रोक देती है। सर्जरी के बाद मरीज 10-15 साल आराम से जी जाते हैं। बेनाइन ट्यूमर के ज्यादातर मामलों में रोगी ठीक हो जाता है, लेकिन कैंसरस ट्यूमर होने यानी ग्रेड 3 और 4 के ट्यूमर होने पर ऑपरेशन के बाद भी रोगी का जीवन खतरे में रहता है। इस ट्यूमर की सर्जरी के बाद भी रोगी के बचने की संभावना बहुत ज्यादा नहीं रहती है। यह हैं लक्षण कभी-कभी मिरगी के सामान्य दौरे पडना सिर में असहनीय दर्द होना बेहोशी आना हाथ-पैरों में ऐंठन या कमजोरी का अहसास नई तकनीकों से आसान हुआ इलाज


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