श्री निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री प्रज्ञानानंद गिरि जी महाराज जी के सानिध्य में 1100 कलश भव्य शोभायात्रा निकाली गई
श्रीमद् भागवत कथा एवं प्राण प्रतिष्ठा धनोरा जिला सिवनी(मध्यप्रदेश) में प्रथम दिवस में श्री निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री प्रज्ञानानंद गिरि जी महाराज जी के सानिध्य में 1100 कलश भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें स्थानीय नगर वासियों व आसपास के जिलों से आये पूज्य महाराज श्री के भक्तगणों का जनसैलाब की संख्या अविस्मरणीय रही, पूज्य आचार्य श्री की अगुवानी में उपस्थित मौनी दादा आश्रम से पूज्य संत श्री बलवंता नंद जी महाराज,भारत सरकार से केंद्रीय राज्य इस्पात मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते जी,जिला कांग्रेस अध्यक्ष सिवनी श्री पप्पू खुराना जी,जिला भाजपा अध्यक्ष श्री प्रेम तिवारी जी,लखनादौन विधायक श्री योगेंद्र बाबा,केवलारी विधायक श्री राकेश पाल जी, पूर्व केवलारी विधायक श्री रजनीश हरवंश सिंह ठाकुर जी,समस्त ग्राम वासियो की उपस्थिति रही ।
आज कथा के प्रथम दिवस में श्रीमद भागवत कथा की महिमा का वर्णन विस्तृत रूप से पूज्य आचार्य श्री ने बताया कि श्रीमद भागवत कथा मनुष्य के जीवन में सुखों का संचय करने वाली होती है,सम्पूर्ण मनोयोग के साथ कथा श्रवण मात्र से मनुष्य के जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन होते हैं। श्रीमद् भागवत में तमाम ऐसी कथाएं हैं, जो हमें प्रेरणा देती हैं और कलयुग में जीवन को कलात्मक ढंग से जीने का मार्ग प्रशस्त करती हैं। मानव जन्म पाकर मनुष्य यदि अमृत पी ले और उसके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं हो तो उस अमृत पीने का उसे कोई लाभ नहीं। राहु ने भी अमृत पीया और अमर हो गए, लेकिन उसके व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं होने के कारण उसे कोई लाभ नहीं मिला। वहीं धुंधकारी को कथामृत श्रवण करने मात्र से मोक्ष प्राप्त हो गया। भागवत कथा अमृत समान है, तभी मोक्ष प्राप्ति के लिए राजा परीक्षित ने अपने जीवन के अंतिम सात दिन कथामृत श्रवण कर परमात्मा को प्राप्त कर लिये।
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