दिल्ली की 10 सीटों के 40 बूथों से ग्राउंड रिपोर्ट शाहीन बाग नहीं, देश के नाम पर और मुफ्त योजनाओं के समर्थन-विरोध में वोट पड़े

एजेंसी


नई दिल्ली। शनिवार को जब दिल्ली के वोटर 70 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाल रहे थे, तब भास्कर की टीम ने उनका मिजाज भांपने की कोशिश की। हमने तय किया कि 10 विधानसभा के 40 पोलिंग बूथ तक पहुंचेंगे और लोगों से जानेंगे कि उन्होंने क्या सोचकर वोट दिया? बातचीत के दौरान लोकतंत्र के मकसद को बताते कुछ पावरफुल स्टेटमेंट सामने आए। इसका झलक वोटरों के इन बयानों से मिलती है- “जो काम करेगा, वही जीतेगा। जिंदगी सुधर जाए, ये सोचकर वोट डाला है। सब जाति और धर्म की बात करते हैं, देशहित की कोई बात नहीं करता। ...और फी कुछ नहीं होता, इससे लोग निकम्मे बनते हैं।


हमने शुरुआत की बल्लीमारान विधानसभा से। सबसे पहले पहुंचे राबिया पब्लिक स्कूल में बनाए गए पोलिंग बूथ पर। बाहर ही मिल गए अबुल हसन। पूछा- सर, क्या सोचकर वोट दिया? तो बोले- "हमने अमन और सुकून के लिए वोट दिया है। हमने केजरीवाल को वोट दिया है।' आलम परवेज बोले, "जो काम करेगा, अब वही जीतेगा। दिल्ली में तो पहले भी यही होता आया है।" एमसी मॉडल स्कूल में बने पोलिंग बूथ पर हमें मोहम्मद वसीम मिले। बोले, "मुझे इस बात से चिंता हो रही है कि अमित शाह ने ऐसा क्यों बोला कि नतीजे हैरान कर देंगे और कांग्रेस-आप ईवीएम पर चुप क्यों हैं'' हमने पूछा, आपने क्या सोचकर वोट दिया? तो बोले, "काम को वोट दिया है बस।" यहीं मिली गौहर कहती हैं, "केजरीवाल हमारी परेशानियां सुनते हैं। बिजली-पानी में बहुत अच्छा कर दिया इसलिए हमने केजरीवाल को ही वोट दिया।"



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