जाने और समझें हस्ताक्षर में बिन्दु (डाट) का महत्व एवम प्रभाव- पंडित दयानंद शास्त्री


हस्ताक्षर व्यक्ति के व्यक्तित्व का संपूर्ण आइना होता है अत: व्यक्ति के हस्ताक्षर में उसके व्यक्तित्व की सभी बातें पूर्ण रूप से दिखाई देती है। इस प्रकार हस्ताक्षर एक दर्पण है जिसमें व्यक्तित्व की परछाई स्पष्ट रूप से झलकती है।


ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में नौं ग्रहों एंव बारह भावों को सर्वसम्मति से मान्यता प्राप्त है। ये नौं ग्रह व्यक्ति का सार्वभौमिक विशलेषण करने में सक्षम होते है। अतीत, वर्तमान और भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारें पूर्व आकलन करने में मद्द करते है। इन ग्रहों का सम्बन्ध भी व्यक्ति की लिखावट, लेखन शैली और हस्ताक्षर से जरूर होता है। ग्रहों को मजबूत करने के लिए वैसे तो अनेक प्रकार के उपाय है लेकिन आप-अपने हस्ताक्षर में थोड़ा सा संशोधन करके भी ग्रहों को अपने अनुकूल बना सकते है। 


आप अपने हस्ताक्षर में आने वाले अक्षरों को कैसे बनाते हैं, इसका भी आपके जीवन पर जबरदस्त प्रभाव पड़ता है। ऐसा इसलिये क्योंकि हर हक्षर किसी न किसी ग्रह से अपना संबंध रखता है। 


प्रत्येक व्यक्ति का हस्ताक्षर (सिग्नेचर) सबसे अलग होता है..। हस्ताक्षर में कुछ लोग डाट लगाना पसन्द करते है...या आदतन डाट लगाते है...।


वो अपने हस्ताक्षर (सिग्नेचर) में डाट क्यों लगाते है..?


इसका उनके पास कोई सन्तुष्ट करने वाला उत्तर नही होता है..की वो डाट क्यों लगा रहे है..अपने सिग्नेचर में..!
डाट लगाना सिग्नेचर में अतिरिक्त है..श्रम है..!
सिग्नेचर में जो अक्षर (अल्फावेट) नाम और सरनेम के अनुसार लिखे जाते है..उसके अतिरिक्त डाट का उपयोग करने का कारण हम स्वयं नही जानते है ऐसा क्यों करते है..!


इसके लिए व्यक्ति के नेचर( "स्वभाव , गुण ,प्रकृति.) को जानना और समझने की आवश्यकता है..!
जो अल्फावेट सिग्नेचर में स्वयं के द्वारा प्रस्तुत किये जा रहे है उससे अतिरिक्त डाट का उपयोग व्यक्ति सिग्नेचर में करता है...जो उसके द्ववारा अतिरिक्त ऊर्जा के स्वभाव के अनुसार उपयोग करने को दर्शाता है..! आवश्यकता से अधिक फ़ोर्स का उपयोग जो नेचर के अनुसार व्यक्ति के द्वारा उपयोग करने को दर्शाता है..!


अतिरिक्त ऊर्जा (जरूरत से ज्यादा)या फ़ोर्स का स्वभाव में होना या उसका उपयोग करना  व्यक्ति को जिद्दी और अतिआत्मविश्वास बनाता है..!
सिंगल डाट व्यक्ति को कॉन्फिडेंट तो बनाता है ...!
लेकिन दो या उससे अधिक डाता का उपयोग व्यक्ति को जरूरत से ज्यादा अर्थात अतिआत्मविस्वासी बनाता है..।


जो लोग हस्ताक्षर के अन्त में बिन्दु या डैश लगाते है। वे धीर गंभीर दिखाई देंगे किन्तु अन्दर से बहुत शंकालु प्रवृतित के होते है। इन्हे समझ पाना कठिन काम होता है। ये अपनी बातों को किसी से जल्दी शेयर नहीं करते है। स्वयं पर अपना सन्तुलन बनाने में निपुण होते है।


ऐसी स्थिति में व्यवहार में नेचर में व्यक्ति का जिद्दी होना अड़ियल स्वभाव  अपने लक्ष्य को लेकर होना अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए  किसी भी हद तक जाकर उसकी पूर्ति करने स्वभाव होता है..!
सिग्नेचर की अदृश्य मानक रेखा से ऊपर की और लगने वाले डाट व्यक्ति को चिड़चिड़ा उतावला और जल्दबाजी करने वाला बनाते है..!
ऐसा व्यक्ति बिना सोचे समझे निर्णय करने वाला होता है...सही गलत का अनुमान लगाने की उसकी क्षमता बहुत कम होती है...!


परिस्थितियों के दबाव में आकर जिद और अड़ियल आंतरिक स्वभाव के कारण सामाजिक मर्यादाओं से आगे जाकर निर्णय लेता है जो उसके साथ उससे जुड़े लोगो के लिए भी कष्टदायी होते है..!
साथ ही ये शारीरिक दुर्घटना के शरीर में स्वयं की आदतों के कारण उतपन्न होने वाले रोगों का भी कारण होते है..!


‘‘हस्ताक्षर’’ दो शब्दों हस्त+अक्षर से निर्मित शब्द है जिसका अर्थ है हाथों से लिखित अक्षर। वैसे तो वर्णमाला के सभी अक्षरों को लिखने के लिए हाथों का प्रयोग किया जाता है परंतु ‘हस्ताक्षर’ शब्द का प्रयोग प्रमुखतः अपने नाम को संक्षिप्त एवं कलात्मक रूप से व्यक्त करने के लिए ही होता है। 


हस्ताक्षर को अंग्रेजी भाषा में\' sign\' या \'Signature\' कहते हैं जिसका अर्थ है \"A mark or object to represent one\'s name or a person\'s name signed by himself\" प्रत्येक व्यक्ति हस्ताक्षर करने के साथ ही कुछ निश्चित चित्रों का प्रयोग भी करता ही है जैसे हस्ताक्षर करने के बाद आड़ी तिरछी एक या दो रेखाएं खींचना, बिंदु का प्रयोग अथवा (’) इत्यादि का प्रयोग करना। ये चिह्न एवं इस प्रकार किये हस्ताक्षर व्यक्ति के व्यक्तित्व, मनोव एवं चारित्रिक गुणों को अपने में समाहित किये रहते हैं।


ज्यादातर अनुभव में देखा गया है कि सिग्नेचर में डाट का उपयोग करने वाले व्यक्ति अपनी मनमर्जी के फैसले लेते है..।
सही या गलत का चुनाव उनके नेचर के अनुसार तय होता है..।
इसके लिए सिग्नेचर के अन्य घटकों को भी देखना आवश्यक होता है..।


अदृश्य मानक रेखा से नीचे की ओर लगाए जाने वाले डाट यदि सिग्नेचर  के प्रारम्भ होने के स्थान पर होते है तब व्यक्ति के पेट से जुडी हुई समस्याओं को दर्शाते है या शल्य किर्या को आमंत्रित करते है...!


सिग्नेचर के अंत में लगाए गए दो या दो से अधिक डाट व्यक्ति के पैरों में चोट लगने या हड्डियों तक उसके प्रभाव को दर्शाते है..!
(इसका विश्लेषण सिग्नेचर बनाने के प्रेशर के अनुसार होता है..)


वैसे सिग्नेचर में एक डाट व्यक्ति को आत्मविश्वासी तो बनाता है ..साथ ही उसे अपने फैसले पर अडिग रहने वाला भी बनाता है...निर्भर करता है उसके फैसले सकारात्मक है या नकारात्मक ...ये व्यक्ति स्वयं विश्लेषित नही कर पाता है..क्योकि उसका नेचर सिर्फ उसे स्वयं को ही सही मानता है...!


जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर के अंतिम शब्द के नीचे बिंदु (.) रखता है। ऎसा व्यक्ति विलक्षण प्रतिभा का घनी होता है। ऎसा व्यक्ति जिस क्षेत्र में जाता है काफी प्रसिद्धि प्राप्त करता है और ऎसे व्यक्ति से बडे-बडे लोग सहयोग लेने को उत्सुक रहते हैं।


सिग्नेचर में लगाए जाने वाले डाट तय करते है व्यक्ति की जीवन की सफलता और उसकी असफलता...कैसे होगी..?


उसका जीवन किस तरह कब कैसे प्रभावित होगा..!
केवल सिग्नेचर में लगाए जाने वाले डाट विषय पर बहुत कुछ समझा और बताया जा सकता है 


ऐसे डाट लगाने वाले दम्पत्तियों के जीवन में आने वाली कड़वाहट और खटास या सेपरेशन की स्थिति तक को उत्पन्न करता है...!


दो या उससे अधिक डाट व्यक्ति जरूरत से ज्यादा आत्मविश्वासी और असुरक्षा प्रदान करता है..!
सिग्नेचर में डाट लगाने वाले व्यक्तियों के सामाजिक जीवन और पारिवारिक जीवन में बहुत अंतर देखा जा सकता है..!


पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि जन्म कुंडली में चंद्रमा यदि शुभ स्थिति में केंद्र व त्रिकोणस्थ होगा तो जातक के हस्ताक्षरों में स्पष्टता एवं अंत में एक बिंदु रखने की प्रवृ होती है। चंद्रमा को ज्योतिष में मन का कारक माना गया है। शुभ चंद्रमा वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर सजावटी, सुंदर और गोल-गोल होते हैं। ऐसा व्यक्ति जो कार्य प्रारंभ करता है, उसे कुशलता पूर्वक पूर्ण भी करता है। किंतु यदि चंद्रमा पर दूषित प्रभाव है अथवा ‘ग्रहण योग’ की स्थिति कुंडली में बन रही है तो ऐसा जातक हस्ताक्षर के नीचे दो लाइनें खींचता है। ये चिह्न जातक के मन में असुरक्षा की भावना एवं अत्यधिक भावुकता एवं कोमल मन को परिलक्षित करते हैं। ऐसे हस्ताक्षर के व्यक्ति पर नकारात्मक सोच का प्रभाव भी अत्यधिक होता है। 


व्यक्ति का स्वभाव व्यवहारिक स्तर पर पारिवारिक स्तर और सामाजिक स्तर पर अलग अलग होता है...! 
सिग्नेचर में लगाया हुआ डाट (डाट लगाने की संख्या अलग अलग स्थान के अनुसार अलग कम या ज्यादा प्रभाव उतपन्न करती है..) पारिवारिक स्थिति को सर्वाधिक प्रभावित करता है..(साथ ही डाट लगाने का प्रेशर भी अपना अलग प्रभाव रखता है)..!


यदि आपके लाख कोशिशों के बावजूद भी धन कि बचत नहीं हो रही है तो आप अपने हस्ताक्षर के नीचे की ओर पूरी लाईन खीचें तथा उसके नीचे दो बिंदू बना दें, इन बिंदुओं को धन बढऩे के साथ-साथ बढ़ाते रहें। याद रखें अधिकतम छ: बिंदू लगाए जा सकते हैं।



पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर या लेखन से उसके स्वभाव का पता चल सकता है। इसके लिए थोड़े अध्ययन की जरूरत है। कई हस्ताक्षरों और अक्षरों के परीक्षण करने के बाद आप भी हस्ताक्षर से स्वभाव की परख करने की इस कला को सीख सकते हैं।हस्ताक्षर या लिखावट से हमारा सीघा संबंघ मानसिक विचारों से होता है, यानि हम जो सोचते हैं करते हैं। जो व्यवहार मे लाते हैं वह सब अवचेतन रूप में कागज पर अपनी लिखावट व हस्ताक्षर के द्वारा प्रदर्शित कर देते हैं।


हस्ताक्षर के अध्ययन से व्यक्ति अपने भविष्य व व्यक्तित्व के बारे में जानकारी कर सकते हैं और हस्ताक्षर में दिखाई देने वाली कमियों को दूर करते हुए अच्छे हस्ताक्षर के साथ-साथ अपना भविष्य व व्यक्तित्व भी बदल सकते हैं।


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