जानिए वर्ष 2020 की महाशिवरात्रि पर 4 प्रहार की पूजन कब और कैसे करें---पंडित दयानंद शास्त्री



महाशिवरात्रि का शिव भक्‍तों को काफी इंतजार रहता है. इस साल महाशिवरात्रि पर कई दुर्लभ योग बन रहे हैं।


महाशिवरात्रि 21 फरवरी 2020, (शुक्रवार) को है. यूं तो हिंदू धर्म में हर माह शिवरात्रि आती है पर फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के रूप में पूजा जाता है. इसी दिन शिव-पार्वती  का विवाह हुआ था. इसलिए दोनों का साथ में पूजन किया जाता है।


इस वर्ष 2020 की महाशिवरात्रि पर चतुर्दशी तिथि 21 फरवरी 2020 शाम 5:20 से उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में एवम मकर राशि में शुरू होगी।इस दिन वणिज करण एवम व्यतिपात योग रहेगा। 


रात्रि के प्रथम प्रहर में पहली पूजा, द्वितीय प्रहर में दूसरी पूजा, तृतीय प्रहर में तीसरी और चतुर्थ प्रहर में चौथी पूजा करनी चाहिए. इसे पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से करना चाहिए. पूजन में रु द्राभिषेक, शिव मंत्र का जप, शिव मिहन्नस्रोत, शिवाष्टक, शिव सहस्त्र नाम आदि के पाठ का विधान है. शास्त्रों के अनुसार जो मनुष्य 14 वर्ष तक इस व्रत का पालन करता है, उसकी कई पीढ़ियों के पाप नष्ट हो जाते हैं। अक्षय अनंत फल और मोक्ष या शिवलोक की प्राप्ति होती है।


निशीथ का अर्थ सामान्यतया लोग अर्धरात्रि कहते हुए 12 बजे रात्रि से लेते है परन्तु निशीथ काल निर्णय हेतु भी दो वचन मिलते है धर्माचार्यो के मतानुसार रात्रिकालिक चार प्रहरों में द्वितीय प्रहर की अन्त्य घटी एवं तृतीय प्रहर के आदि की एक घटी को मिलाकर दो घटी निशीथ काल होते है। पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने कहा कि मध्यांतर से रात्रि कालिक पन्द्रह मुहूर्त्तों में आठवां मुहूर्त निशीथ काल होता है।


पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि शिवरात्रि में प्रात: एवं रात्रि में चार प्रहर शिव पूजन का विशेष महत्व है। 


वहाॅं उन्होने प्रदोष का अर्थ ‘अत्र प्रदोषो रात्रिः’ कहते हुए रात्रिकाल किया है। 


ईशान संहिता में स्पष्ट वर्णित है कि ‘‘
 फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्याम् आदि देवो महानिशि। शिवलिंगतयोद्भूतः कोटिसूर्यसमप्रभः।। तत्कालव्यापिनी ग्राहृा शिवरात्रिव्रते तिथिः।।’


 फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की मध्यरात्रि में आदिदेव भगवान शिवलिंग रूप में अमितप्रभा के साथ उद्- भूूूत हुए अतः अर्धरात्रि से युक्त चतुर्दशी ही शिवरात्रि व्रत में ग्राहृा है।


(फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्याम् आदि देवो महानिशि।
शिवलिंगतयोद्भूतः कोटिसूर्यसमप्रभः।।
तत्कालव्यापिनी ग्राह्या शिवरात्रिव्रते तिथिः।।)


फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की मध्यरात्रि में आदिदेव भगवान शिवलिंग रूप में अमितप्रभा के साथ उद्भूूूत हुए अतः अर्धरात्रि से युक्त चतुर्दशी ही भगवान शिव के व्रत में ग्राह्य है इसलिये धर्मसिन्धु ओर निर्णय सिंधु के मत अनुसार निशीथव्यापिनी फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि का व्रत एवं रात्रि चार पहर पूजन किया जाता है।



शुक्रवार को त्रयोदशी और शनिवार को चतुर्दशी तिथि का पड़ना अधिक मंगलकारी होगा। चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होने के साथ ही भद्रा का भी आरंभ हो जाएगा लेकिन पाताल लोक की भद्रा होने से अभिषेक में कोई बाधा नहीं होगी। शिवरात्रि का व्रत करने वाले मनुष्यों को वर्षभर के व्रतों का पुण्य मिलता है। वहीं जो व्यक्ति व्रत कर भगवान की चारों प्रहर की पूजा करता है उसे धर्म, अर्थ, काम, मोक्षादि (चारों पदार्थों) की प्राप्ति होती है।
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महाशिवरात्रि 2020 का शुभ मुहूर्त--
महाशिवरात्रि पर चतुर्दशी तिथि 21 फरवरी शाम 5:20 से शुरू होगी. अगले दिन यानी 22 फरवरी को शाम 7:02 तक यही तिथि रहेगी।
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यह रहेगा चार प्रहर पूजा मुहूर्त--


महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती की पूजा 4 प्रहरों में बांटी गई है. 


देखें शुभ समय--
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पहले प्रहर की पूजा: 21 फरवरी को शाम 06:26 से रात 09:33 तक
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दूसरे प्रहर की पूजा: 21 फरवरी को रात 09:33 से रात 12:40 तक
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तीसरे प्रहर की पूजा: 21 फरवरी को रात 12:40 से 22 फरवरी सुबह 03:48 तक
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चौथे प्रहर की पूजा: 22 फरवरी को सुबह 03:48 से सुबह 06:55 तक
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यह रहेगा सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त--
महाशिवरात्रि पर पूजा का बेहद शुभ मुहूर्त काल 50 मिनट का रहेगा. 
ये समय होगा 22 फरवरी को मध्‍य रात्र‍ि 12:15 बजे से 01:05 बजे तक. ये 50 मिनट बेहद शुभ हैं।
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ऐसे करें महाशिवरात्रि व्रत--


महाशिवरात्रि पर सुबह जल्‍दी स्‍नान करें. भगवान शिव की पूजा करें और व्रत का संकल्‍प लें. मंदिर में जाकर भगवान शिव को बेलपत्र आदि अर्पित करें. इस दिन रुद्राक्ष की माला धारण करना भी अच्छा माना जाता है. महाशिवरात्रि के दिन कच्चे दूध में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें. चन्दन, पुष्प, धूप, दीप आदि से पूजन करें
भगवान शिव कल्याण करने वाले औघरदानी कहलाते हैं। वह शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। 


ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार शिव पूजन में स्नान के उपरान्त शिवलिंग का अभिषेक जल, दूध, दही घृत, मधु, शर्करा (पंचामृत) गन्ने का रस चन्दन, अक्षत, पुष्प माला, बेल पत्र, भांग, धतूरा द्रव्यों से अभिषेक विशेष मनोकामनापूर्ति हेतु किया जाता है एवं ‘ऊं नम: शिवाय' का जाप करना चाहिए। 


महाशिवरात्रि पर शिव अराधना से प्रत्येक क्षेत्र में विजय, रोग मुक्ति, अकाल मृत्यु से मुक्ति, गृहस्थ जीवन सुखमय, धन की प्राप्ति, विवाह बाधा निवारण, संतान सुख, शत्रु नाश, मोक्ष प्राप्ति और सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। 


उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि महाशिवरात्रि कालसर्पदोष, पितृदोष शान्ति का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। जिन व्यक्तियों को कालसर्पदोष है, उन्हें इस दोष की शान्ति इस दिन करनी चाहिए।


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