परदेशी बाबू को दे बैठी दिल, तो बाबू को भा गई यहाँ की परम्परा परदेशी-देशी बंधे परिणय सत्र में


चित्तौड़गढ़। चित्तौड़गढ़ की एक बेटी परदेशी बाबू को दिल दे बैठी, लेकिन परदेशी बाबू को बेटी के साथ-साथ भारत की सभ्यता एवं संस्कृति इतनी अधिक अच्छी लगी कि वह भारतीय परम्परा के अनुसार, चित्तौड़गढ़ की इस बेटी के साथ सात फेरे लेने के लिए अपने परिवार के अन्य सदस्यों एवं दोस्तों के साथ चित्तौड़गढ़ आ पहुंचा, एवं दोनो परिवारों की सहमति से शुक्रवार को सगाई की रस्म पूर्ण होने के बाद दोनो शनिवार को शादी के डोर में बंध जाएंगे। राजकीय स्नातकोतर महाविद्यालय में प्राध्यापिका के पद पर कार्यरत डॉ. सीमा श्रीवास्तव एवं एक नीजि मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत प्रेमशंकर श्रीवास्तव की पुत्री ख्याति लगभग 2015 में उच्च शिक्षा के लिए कनाड़ा गई, जहां शिक्षा के साथ-साथ जॉब भी करने लगी। इसी दौरान उसकी मुलाकात अपने एक दोस्त की बर्थ-डे पार्टी के दौरान कनाड़ा निवासी जेरमी तिहान से हो गई, जो कि एक फाइव स्टार होटल में शेफ के पद पर कार्यरत था। बाद में दोनों की बीच मुलाकात का सिलसिला चलता रहा, और यह मुलाकात दोस्ती में बदल गई। इसी दौरान 2018 में जेरमी अपने दोस्त ख्याति के साथ भारत आया, एवं चित्तौड़गढ़ में ख्याति के परिजनों से मुलाकात की , एवं दिपावली भी उसने चित्तौड़गढ़ में ही मनाई। इसी दौरान ख्याति को लगा कि उसका दोस्त जेरमी उसके जीवन का हमराही बन सकता है। इस पर उसने अपने परिजनों को अपनी इस इच्छा से अवगत कराया, जिसके बाद उसके परिजन कनाड़ा गए। दो वर्ष से ख्याति की बहन भी कनाड़ा में ही निवास कर रही है।


कनाड़ा जाने के बाद परिजनों ने जेरमी के परिजनों से मुलाकात की, एवं उन्हें वहां की सभ्यता एवं संस्कृति सब कुछ ठीक लगने के बाद विवाह के लिए सहमति व्यक्त कर दी। इस सहमति के बाद जेरमी ने कनाड़ा में अपना व्यवसाय भी शुरू कर दिया। बात जब शादी की तय हुई तो जेरमी को भारत की सभ्यता एवं संस्कृति दिल को इतना छू गई कि उसने भारतीय परम्परा के अनुसार शादी करने की इच्छा व्यक्त की। ख्याति के परिजन भी यहीं चाहते थे, क्योंकि उसके दादा-दादी वृद्ध होने के कारण कनाडा नहीं जा सकते थे। सहमति के बाद परदेशी बाबू अपने दोस्तों , परिवार के सदस्यों के साथ गुरूवार को यहां एक रिसोर्ट में पहुंचे, जहां शुक्रवार को महिला संगीत एवं सगाई की रस्म पूरी की गई। शनिवार को वरमाला , फेरे की रस्म के साथ ही विदाई की रस्म होगी। सगाई से पहले दूल्हे ने कनाड़ा से आए अन्य लोगों के साथ जम कर नाचने का भी आनन्द लिया ।दूल्हे ने इस दोरान "दैनिक बढ़ता राजस्थान " से बातचीत करते हुए कहा कि कनाड़ा एवं भारत की शादी की रस्मों में काफी अधिक अन्तर हैं, लेकिन उसे यहां की कई परम्पराएं अच्छी लगी। यह पछे जाने पर कि इस शादी के बाद क्या उसके परिवार के और सदस्य भी इसी तरह भारत में शादी करना चाहेंगे, तो उसने इससे इंकार नहीं किया। ख्याति के परिजनों ने इस शादी पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि बच्चों को अपना भविष्य चुनने की पूरी आजादी होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि जेरमी के परिजनों के विचार से भी वह काफी अधिक प्रभावित हए। परिजनों का कहना था कि जिसमें बच्चों की खुशी होनी चाहिए, उसी में परिजनों की खुशी भी निहीत हैं।यहां आने पर जेरमी के परिजनों ने अपने हाथों में मेंहदी भी रचवाई, जिसको देख कर वह बार -बार काफी अधिक खुश दिखाई दिए।


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