रंगायन में संगीत प्रेमी झूमने पर हुए मजबूर


-- राजस्थान के पारम्परिक लोक गायकी एवं लोक नृत्य ने सभी को किया मंत्रमुग्ध


जेकेके में पारम्परिक मांगणियार गायन और मनमोहक कालबेलिया नृत्य ने बांधा समां


जयपुर, 21 फरवरीः जवाहर कला केन्द्र (जेकेके) में शुक्रवार शाम को रंगायन में प्रस्तुत पारम्परिक लोक गायन एवं लोक नृत्य पर आधारित कार्यक्रम ‘इन ऑनर ऑफ.....‘ में कलाकारों ने समां बांध कर सभी संगीतप्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। जेकेके द्वारा आयोजित इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में बाड़मेर के प्रसिद्ध पद्मश्री अनवर खां मांगणियार ने राजस्थानी लोक गायकी का जादू बिखेरा तो जयपुर की जानी मानी पद्मश्री गुलाबो सपेरा ने कालबेलिया नृत्य की रंगारंग प्रस्तुति देकर सभी कला प्रेमियों को झूमने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम के आरम्भ में जेकेके के अतिरिक्त महानिदेशक (तकनीकी), श्री फुरकान खान ने कलाकारों को शॉल भेट कर सम्मानित किया।



लोक गायकी का चला जादू
कार्यक्रम के आरंभ में पद्मश्री अनवर खां ने लोकगीतों एवं सूफी गानों की सुनहरी प्रस्तुति देकर श्रोताओं में जोश भर दिया। अनवर खां ने गजानन के साथ प्रस्तुति आरम्भ की। उन्होंने राग तैलंग कलवाडा ताल में ‘नाचे छ गणपति, शिव की जटा में गंग विराजे संग लिया पार्वती‘ पेश किया। इसके पश्चात् उन्होंने सौरठ राग में ‘पायल गहरी बाजे‘ और राग मिश्र में अमीर खुसरो की रचना ‘छाप तिलक सब छीनी रे‘ की मनमोहक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के दौरान संगत करने वाले कलाकारों में उस्ताद फकीरा खां (कमायचा), भुंगर खां (ढोलक), रोशन खान (हारमोनियम), सवाई खान (खड़ताल), चानन खां (ढोल), मुकंदर खां (मोरचंग एवं भपंग) और लतीफ खां (सह गायन) शामिल थे। उल्लेखनीय है कि पद्मश्री अनवर खान मांगणियार ने लोक कला को देश विदेश में पहुंचाया है। थार के लोक संगीतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने में अनवर खान की गायकी का अहम योगदान है।



कालबेलिया नृत्य पर थिरके सभी के कदम
लोक गायन के पश्चात् प्रसिद्ध लोक नृत्यांगना पद्मश्री गुलाबो के नेतृत्व में लोक कलाकारों के दल ने ‘काल्यो कूद पड्यो मेला में, साइकिल पंक्चर कर लायो, आरा रा रा रा रा..‘ लोक गीत पर कालबेलिया नृत्य की बेहद लुभावनी प्रस्तुति दी। राजस्थान के सपेरा जाति का यह नृत्य अपनी पोशाक और अनूठे नृत्य के लिए जाना जाता है। डांस के दौरान नृत्यांगनाओं ने अत्यंत जोश के साथ लचीलेपन एवं गति का प्रदर्शन किया। काले रंग का घाघरा चुनरी एवं चोली पहन कर जब कलाकार मंच पर प्रस्तुति दी तो सभी दर्शकों ने जोरदार तालियों के साथ स्वागत किया। नृत्य करने वाले कलाकारों में गुलाबो एवं उनकी पुत्री हेमा के अतिरिक्त रत्ना, रीना, सीता और संतोष शामिल थी। प्रस्तुति के दौरान रामजीनाथ (पुंगी), रणजीत राणा (ढोल), मुकेश राणा (ढ़ोलक)  और गिरिराज (नगाडा) पर संगीत दिया।



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