साध्य और साधन के लिये सबसे श्रेष्ट मार्ग है नवधा भक्ति - स्वामी प्रज्ञानानंद गिरि  


मोहगांव सड़क(कुरई) जिला सिवनी मध्यप्रदेश में आयोजित श्री शिवमहापुराण कथा एवं श्री शिव प्राण प्रतिष्ठा महोसत्व के तृतीय दिवस पूज्य पाद निरंजनीय पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री प्रज्ञानानंद गिरि जी महाराज जी ने शिव के कल्याणकारी स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन किया,इसमें इन्हें पंचदेवों में प्रधान अनादि सिद्ध परमेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है।



शिव-महिमा, लीला-कथाओं के अतिरिक्त इसमें पूजा-पद्धति, अनेक ज्ञानप्रद आख्यान और शिक्षाप्रद कथाओं का सुन्दर संयोजन है। इसमें भगवान शिव के भव्यतम व्यक्तित्व का गुणगान किया गया है। शिव- जो स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता है, विश्व चेतना हैं और ब्रह्माण्डीय अस्तित्व के आधार हैं ।मानव धर्म है पूजा करना सेवा करना भक्ति करना धर्म से जुड़ी हर चीज अनादि है,अनंत है,शाश्र्वत है सनातनी हैं।पृथ्वी की सम्पूर्ण शक्ति इसी पंचाक्षर मंत्र में ही समाहित है। त्रिदेवों में ब्रह्म देव सृष्टि के रचयिता है, तो श्री हरि पालनहार हैं, भगवान भोलेनाथ संहारक। शिव तो आशुतोष हैं।


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