सुप्रीम कोर्ट एजीआर मामले में टेलीकॉम कंपनियों और सरकार से नाराज, कहा... इस देश में रहने से बेहतर इसे छोड़कर चले जाना चाहिए


एजेंसी


दिल्ली। 1.47 लाख करोड़ रुपए के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू एजीआर) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को टेलीकॉम कंपनियों और केंद्र के टेलीकॉम डिपार्टमेंट के रवैए पर नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट के आदेश बावजूद ज्यादातर कंपनियों बकाया रकम जमा नहीं करवाई पर शीर्ष अदालत ने कंपनियों पूछा कि क्यों ना आपके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएसुप्रीम कोर्ट ने कहा, क्या इस में कोई कानून नहीं बचा? इस देश में रहने से बेहतर है कि इसे छोड़कर चले जाना चाहिए।सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर आदेश दिया था कि टेलीकॉम कंपनियां 23 जनवरी तक बकाया राशि जमा करें। कंपनियों ने फैसले फिर से विचार करने की अपील की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। इसके बाद भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और टाटा टेली ने भुगतान के लिए ज्यादा वक्त मांगते हुए नया शेड्यूल तय करने की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इसे भी खारिज कर दिया


सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी की वजह?: दूरसंचार विभाग के राजस्व मामलों से जुड़े एक डेस्क ऑफिसर ने पिछले दिनों एटॉर्नी जनरल और संवैधानिक पदों पर बैठे अन्य अफसरों को लिखी चिट्ठी में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश तक टेलीकॉम कंपनियों पर कोई कार्रवाई न की जाए, भले ही वे एजीआर मामले में बकाया भुगतान नहीं करें।


दूरसंचार विभाग ने आदेश वापस लिया, सप्रीम कोर्ट ने एक घंटे का वक्त दिया था न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद दूरसचार विभाग ने यह आदेश वापस ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब हम पहले ही टेलीकॉम कंपनियों को भुगतान का आदेश दे चुके हैं, तब कोई डेस्क ऑफिसर ऐसा आदेश कैसे जारी कर सकता है? हमें नहीं पता कि कौन माहौल बिगाड़ रहा है? क्या देश में कोई कानून ही नहीं बचा है? कोई अधिकारी कोर्ट के आदेश के खिलाफ जुर्रत कर सकता है तो सुप्रीम कोर्ट को बंद कर देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि अगर इस अफसर ने एक घंटे के अंदर आदेश वापस नहीं लिया तो उसे जेल भेजा जा सकता है। कंपनियों ने एक पैसा भी नहीं चुकाया और आप सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रोक चाहते हैं?


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