कर्मचारियों, हाकर और पाठकों की सुरक्षा के मद्देनजर कुछ समाचार पत्रों ने स्थगित किये प्रकाशन
सरकार से की स्थगन आदेश की मांग ( उमेन्द्र दाधीच ) प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री ने कॅरोना वायरस को देखते हुए कडे कदम उठाए हैं आवश्यक सेवाओं के तहत मीडिया को भी हालांकि इसमें शामिल किया गया है, लेकिन आज पत्रकारों के सामने सबसे बड़ी समस्या है कि यदि वह अखबार का प्रकाशन स्थगित करते हैं तो उन्हें अनियमित मान लिया जाएगा, यदि वह प्रकाशन को जारी रखते हैं तो उनके सामने समस्या यह है कि अब होकर यूनियन ने अखबार उठाने से मना कर दिया है। ऐसी स्थिति में राजस्थान का पत्रकार उद्योग प्रिंट मीडिया उद्योग एक बहुत बड़े संकट में आ गया है। राजस्थान सरकार को एडवाइजरी जारी करनी चाहिए बल्कि निर्देश देने चाहिए कि इस महामारी को देखते हुए समाचार पत्रों का प्रकाशन स्थगित किया जा रहा है। जिला कलेक्टर, पी आर ओ को निर्देश देने चाहिए कि वे समाचार पत्रों को अनियमित नहीं माने, जिन समाचार पत्रों के पास में अपने स्टाफ के द्वारा घर पर ही पीडीएफ बनवाने की सुविधा है या घर से ही ऑनलाइन सेवा देने की व्यवस्था है वह अपने घर से ही काम करें। उन्हें ऑफिस नहीं बुलाया जाए क्योंकि पत्रकार भी समाज के अभिन्न अंग है। उनकी भी सुरक्षा की गारंटी सरकार की है। कल को यदि किसी पत्रकार को यह मीडिया कर्मी को अपनी सेवाएं देते हुए किसी भी प्रकार की शारीरिक हानि हो गई तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। राज्य और केंद्र सरकारो ने जों प्रयास किए हैं हम उनके साथ में हैं लेकिन सरकार ने जिस प्रकार प्रभावी कदम उठाए हैं उन्हें देखते हुए इनकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है। साथ ही यह भी आवश्यक है कि दोनों ही सरकार एडवाइजरी जारी करके डीएवीपी एवं डीपीआर को निर्देश दे कि किसी भी समाचार पत्र को इस अवधि में अनियमित नहीं माना जाए हालांकि कुछ बड़े समाचार पत्रों ने यह कहा है कि अखबार से वायरस का कोई खतरा नहीं है वे अखबार को सेनेटराइस करके प्रकाशित कर रहे हैं। लेकिन मुद्रणालय से अखबार प्रकाशित होने के बाद कई हाथों से होकर निकलता है !टैक्सी से भी जाता है टैक्सी में भी कौन व्यक्ति बैठा है, किस प्रकार का है, उसका सैनिटाइजेशन का कोई प्रभाव नहीं होता है। ऐसी स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने और केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया। हम यह जानते हैं कि बड़े समाचार पत्र भी कहीं नहीं जा पा रहे हैं। देश में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से आमजन को सूचना देने का बहुत बड़ा साधन है। यदि प्रकाशन स्थगित नहीं किए गए तो यह भी तय हे की ज्यादातर अख़बार फर्जी वाडेसे फाइल कॉपी बन वाएगे और यह भी गलत कार्य होगा लघु एवं मध्यम अखबारों के पास सिमित साधन हे कर्मचारी ठेके पर होने या अस्थाई होने की वजह से आनहीं रहे हे यदि अख़बार छप भी रहाहे तो पाठक के पास पहुंच ही नहीं पा रहे हे बस, रेल सेवा बंद हे दूरदर्शन टेलीविजन एवं अन्य संचार माध्यम से आम उपभोक्ता व आम पाठक को नियमित समाचार दिए जा सकते हैं। जनहित को देखते हुए पत्रकारों की समस्याओं को देखते हुए राज्य में समाचार पत्रों का प्रकाशन स्थगित किया जाना चाहिए , इसके लिए सरकार एडवाइजरी जारी करें। हमारी केंद्र और राज्य सरकार से यह मांग है कि यह एडवाइजरी जारी नहीं की तो मीडिया जगत के लिए बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है अब समाचार पत्रों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि यदि वह किसी कारणवश अखबार का प्रकाशन नहीं करते हैं राज्य व केंद्र सरकार उनके विज्ञापन रोक देगी उन्हें अनियमित मान करके विज्ञापन की मान्यता समाप्त कर देगी मिडिया उद्योग के सामने जो यह खतरा है समझने का प्रयास करना चाहिए।
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