देसी फ्रिज पर भी कोरोना का कहर

 *देसी फ्रीज पर भी कोरोना का कहर*
फुलेरा(राजेन्द्र प्रजापति): वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर हुए लॉक डाउन की वजह से देसी फ्रीज कहलाने वाले मटके  पर भी कोरोना वायरस महामारी का कहर ढहा गया है। जिसके कारण मिट्टी के घड़े बनाने वाले कुम्हारों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अप्रैल के महीने में शुरुआती गर्मी के दौरान मटको की अच्छी खासी बिक्री हो जाती थी। लेकिन इस वर्ष लॉक डाउन की वजह से बिक्री काफी प्रभावित हुई है। कस्बे के पुराना फुलेरा निवासी धन्ना लाल प्रजापति ने बताया कि कुम्हारों के मोहल्ले भी पूरी तरह सुनसान पङे है। ऐसे में साल भर से मटकों की बिक्री का इंतजार कर रहे कुम्हारों के धंधे पर कोरोना वायरस महामारी(कोविड -19) का ग्रहण ही लग गया है।
 वहीं कस्बे के अन्य कुम्हारों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए बताया कि मात्र 80 रुपये से 250 रूपये तक के मूल्य में बिकने वाले इस देसी फ्रीज की बिक्री अमूमन हर वर्ष अप्रैल महीने की शुरुआत में मटकों की अच्छी खासी बिक्री शुरू हो जाती थी। लेकिन इस वर्ष ऐसा नहीं हो पाया। क्योंकि लाॅक डाउन की वजह से बिक्री पर काफी असर पड़ा है। हर वर्ष इस सीजन के लिए दिपावली के बाद से ही तैयारियां शुरू कर देते हैं और जब मेहनत का फल मिलने का वक्त आया। तब लाॅक डाउन की वजह से रोजी-रोटी की समस्या बढ़ गई। वहीं सभी कुम्हारों का कहना है कि मिट्टी के बर्तन तैयार हैं। बस अब लाॅक डाउन खुलने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन लाॅक डाउन की तिथि आगे बढ़ गई है। जिससे इस साल तो व्यापार हो पाना संभव नजर नहीं आ रहा है। जिससे से परिवार के भरण-पोषण में भी बड़ी समस्या पैदा हो रही है।मटका सुराई का सामान पूरा का पूरा जस का तस रखा हुआ है। सरकार भी कुम्हार की इस व्यथा (समस्या) से अनभिज्ञ हैं। केवल मात्र भगवान के भरोसे ही चल रहा है कुम्हारों का जीवन।


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