संकट में मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म


संकट में मानवसेवा ही  सबसे बड़ा धर्म 

प्रोफे. डां. तेजसिंह किराड़
(वरिष्ठ पत्रकार व राजनीति विश्लेषक)

  मुश्किल भरें इन हालातों में आज कोरोना के कारण पुरी दुनिया की मानवजाति जहां अपने अस्तित्व और संस्कृति की रक्षा के लिये एकजूट होकर संघर्षरत है वहीं दुख की इस घड़ी में हर किसी  राष्ट्र की जनता और शासन करने वाली विविध पार्टियों के लिये सबसे पहले उसका राष्ट्र होता है ना कि कोई दल या पार्टी।
अपने दो संसदीय सदस्यों से संसद के  दर्शन करने वाली भारतीय जनता पार्टी आज तीन सौ से ज्यादा संसद सदस्यों के साथ अपना चालीसवां स्थापना दिवस कोरोना महामारी के भयाक्रांत माहौल में कोरोना पीड़ितों और जनता की रक्षा-सुरक्षा के बीच केवल " मानवसेवा " संदेश के साथ मना रही है। 
 भारतीय राजनीति के इतिहास में जिस निष्ठा,लगन, सेवा, संस्कार, त्याग,समर्पण और अनुशासन से किसी पार्टी ने अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में यदि अंकित कराया है तो वह है भारतीय जनता पार्टी। जो अपने दो जनसंघीय  सदस्यों से सफर आरंभ कर  देश की सत्ता पर काबीज है। अटल विश्वास और सेवा सर्मपण ने पार्टी को हर बार एकजूट बनाये रखा और कभी टूटकर बिखरने नहीं दिया। परिणाम आज देश -दुनिया के सामने है। हर किसी के जीवन की सफलता का  रहस्य भी यही है कि बुरे से बुरे  हालात और  घोर संकट में भी जो धैर्य,संयम,त्याग,निष्ठा,लगन और आत्मविश्वास से खड़ा रहता है वहीं विजेता भी बनता है। और इसी दौर में एक राष्ट्र की,एक पार्टी की,एक कार्यकर्ता की, एक सेवक की और जनता की परिक्षा होती है। कोरोना से युध्द के इस संकट में एक राष्ट्र के साथ  जब उसकी जनता आदेशों को सिरोधार्य मानकर खड़ी है तो सच मानिये कि संकट बादल जल्दी ही छिन्न-भिन्न होकर खत्म हो जायेगें। चुनौतियों से भरें इस जीवन संघर्ष में हर एक नागरिक की  रक्षा -सुरक्षा के प्रति सेवाभावी प्रतिबध्दता ही उसकी सबसे बड़ी कसौटी और सेवा धर्म है।
६ अप्रैल को भाजपा ने अपना चालीसवां जन्मदिवस,अपने जमीन से लेकर उच्च शिखर तक के  हर एक  कार्यकर्ताओं के साथ कोरोना युध्द में प्रतिबध्द सेवावीरों का सम्मान करके,पीड़ितों की हर संभव मदद करके ,गरीबों के दुखों का सहारा बनकर तथा वसुदेवकुटुम्बकम की पवित्र भावना को धारण करके कल्याणकारी उपक्रम में लगे रहकर मनाने का दृढ़निश्चय किया है। पार्टी को संस्कारशील और अनुशासित बनाने वाले भारतीय राजनीति के स्तम्भ पुरूषों में श्यामाप्रसाद मुखर्जी,पंडित दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी,भंडारीजी, कुशाभाऊ ठाकरे जैसे कर्मयोगियों का आज स्थापना दिवस पर स्मरण उनकी एकमेव निहस्वार्थ सेवानिष्ठता को गौरवान्वित करता है। देश में आज सैकड़ों राजनैतिक पार्टियां है। सबके अपने सिध्दांत और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य भी है। किसी भी राष्ट्र की कोई भी पार्टी का सही मूल्यांकन उसकी जनता के सम्मुख युध्द की विभीषिका, महामारी, प्राकृतिक आपदा (बाढ़,सुखा,अकाल,अतिवृष्टि, अनावृष्टि ) से उत्पन्न संकट में एकजुट होकर  लड़ने वाला देश ही सुरक्षित और संरक्षित रह सकता है। वर्तमान में मनुष्यजन्य  कोरोना संक्रमण के प्रकोप और दुष्परिणामों पर विजय भी देश की तमाम राजनैतिक पार्टियों के आपसी बेहत्तरीन वैचारिक समन्वयन और संकट से निजात पाने में पक्षपात रहित हर संभवीय सहयोग ही एकमात्र  उचित हथियारिक उपाय है। संकट के समय देश बड़ा होता और पार्टियां गौण होती है। वैसे ही मानव सेवा ही सबसे बड़ा राष्ट्र धर्म बन जाता है। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक पार्टी नेता से उपर उठकर संकट के इस दौर में राष्ट्र के हर एक परिवार के मुखिया के रूप में कमान संभालकर सबमें आत्मविश्वास,संयम,धैर्य बनाये रखते हुये सेवाभाव,सुरक्षा,रक्षा की प्रतिबध्दता को हर पल सबके साथ जीने को राष्ट्र सेवा धर्म की शिक्षा हर पीढ़ी को प्रदान की है। एक नेता से  ऊपर वे एक कर्तव्यनिष्ठ सेवाभावी बनकर चिंतित नजर आये। हमसब जानते है कि कोरोना संक्रमण की गिरफ्त में दुनिया के  किन -किन राष्ट्रों ने क्या -क्या खोया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी विश्वसनीय ग्लोबलीय संस्था ने भी कोरोना से लड़ाई में भारत के अदम्य साहस और उपचार नीतियों की उन्मुक्त कंठ से सराहना की है। सेवा गमनागमन के साधनों पर प्रतिबंध की बात हो या जनता कर्फ्यू की। बूरे हालात मेंभी दिहाड़ी मजदूरों को सकुशल घरों तक पहुंचानें का हौंसला हो या लाकडाउन करके सबको सुरक्षित घरों में बैठानें की मनोवैज्ञानिक पहल। राज्य सरकारों के साथ बेहत्तर संवाद और खुली पारदर्शिता हो या अक्षम्य दुराचारियों पर कठोर कार्यवाही की फटकार।सार्क देश हो या जी-२० देशों के साथ कोरोना के विरुध्द ठोस कारगर पहल हो या दुनिया के तमाम शासनाध्यक्षों के साथ वसुदेवकुटुम्बकम की सहचर्य कार्यशैली। सबके प्रति एक नेता, एक सेवक,एक चौकीदार, एक परिवार का मुखिया,एक पार्टी का सेवानिष्ठ सिपाही के दर्शन देश की जनता को दुख की इस घड़ी में अवश्य हुये हैं। चरामेति -चरामेति के पथअनुगामी प्रवर्तक श्री नरेन्द्र मोदी ने पार्टी सिध्दातों के अनुशासित मूल्यों की हर तरह से अग्नि परिक्षा दी है।ताकि पार्टी भी उन्हें एक सच्चें देशभक्त और निष्ठावान पार्टी कार्यकर्ता के रुप में उन्हें सदैव स्मरण रख सकें। भाजपा पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को भी पार्टी के स्थापना दिवस पर कोरोना युध्द से लड़ाई की जीत में ऐसे प्रयासों को महत्व देनें कि आवश्यकता होगी जिससे कि देश के हर नागरिक को कोरोना संक्रमण के भय से निजात मिल सकें और रक्षा,सुरक्षा और चिकित्सकीय उपचारित सेवाओं से सबका मन हर्षित भी हो उठें। कोरोना से युध्द के अंतिम चरण में आम जनता के मन में भय से व्याप्त अंधकार को दूर करने के दीप प्रज्जवलन अभियान से एक और नई ऊर्जा का संचरण देशवासियों को हुआ है। व्योम में  आलौकित यह संकल्प का प्रकाश सबके जीवन
को अनविरत आलौकित करता रहे। और कोरोना महामारी पर भारत की यह जीत एक इतिहास की ऐसी किवदंती बनकर सबको प्रेरणा देती रहें। जिसे आने वाली पीढ़ी पथ प्रदर्शित होकर एक शौर्यगाथा के रूप में स्मरण भी रख सकेंगी।कोरोना से जारी  युध्द अभी खत्म नहीं हुआ है। हर देश अपने मानव बल की रक्षा-सुरक्षा में जी जान से जुटा हुआ है। ऐसी विपदा में जब देश में चारों तरफ कोरोना से हाहाकार मचा हुआ है तब देश की हर एक राजनीति पार्टियों और उनके सेवाभावी कार्यकर्ताओं को भी पार्टी हितों से पहले राष्ट्रहितों को पहली प्राथमिकता देकर आमजन की सेवा को ही जनता का प्रमुख आदेश भी मानना होगा।यदि  देश की जनता स्वस्थ्य ,निरोग और कार्यशील रहेगी तभी हम देश की अर्थव्यवस्था को भी पूर्ववत की भांती पटरी पर ला खड़ा कर सकेगें। फलस्वरुप संकट की इस घड़ी में किसी भी पार्टी से बड़ा देश और देश की जनता की सेवा ही शासन व्यवस्था  के प्रमुख धर्म की अग्नि परिक्षा जारी है।


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