आइये इस बार ईद गले मिलने वाली नहीं, दिलों को मिलाने वाली मनाएं
आइए इस बार ईद गले मिलने वाली नहीं। दिलों को मिलाने वाली मनाए।। (डॉ जाहिदा शबनम) सनकी हुई हवाएं तूफान उठा रही हैं नाख़वास्ता बलाएं दुनिया पे आ रही हैं ऐसी हमा हमी में मैं लुत्फ क्या उठाऊ मैं ईद क्यों मनाऊ।रोजेदारों की इबादत का ईनाम ईद।ईद का मतलब होता है खुशी का दिन। ईद खुदा की तरफ से उन रोजेदारों के लिए एक तरह का इनाम है जिन्होंने 1 महीने तक रोजे रखकर भूख और प्यास के साथ अपनी इंद्रियों को काबू में रखा दिल से इबादत की। दान पुण्य जकात आदि देकर मजलूम और बेसहारों की सेवा की साथ ही इस वक्त समाज के वो खिदमतगार जिन्होंने इबादत के साथ दरबदर हुए मजदूरों की खिदमत की, भूखों को खाना खिलाया ,प्यासे को पानी पिलाया उनके पैरों के जख्मों पर मरहम लगाया चप्पल जूतों जैसी जरूरी चीजें दी अपने पड़ोसियों का ख्याल रखा । कंधे से कंधा मिलाकर समाज देश और राष्ट्र के प्रति अपना धर्म निभाया उसके आदेश का पालन किया और यह साबित किया कि अल्लाह के हुक्म या आदेश पर वे भूख और प्यास की तकलीफ सहने के साथ ही खिदमते ख़ल्क़ के लिए भी तैयार है। अल्लाह की तरफ से इनाम के रूप में दिए गए इस त्यौहार पर हर मुसलमान अल्लाह का शुक्र अदा करता है कि उसने ईश्वर के आदेशों का पालन किया और अब इनाम के रूप में उसे अल्लाह ने ईद मनाने का अवसर दिया इस तरह ईद की खुशियां मनाने वाले अपने और पूरे मानव समाज के लिए यह कामना करते हैं कि खुशियों का यह दिन उनके लिए बार-बार लौट कर आए। ईद वास्तव में हमें सामूहिकता की भावना के साथ खुशियां मनाने का अवसर प्रदान करती है और तमाम इंसानों के बीच भाईचारे की भावना का संदेश देती है लेकिन यह पहली ऐसी ईद होगी जब आप चाह कर भी खुशी के साथ किसी से गले नहीं मिल सकेंगे क्योंकि खुशी का यह दिन कोरोना संकट के बीच आया है । यह पहला ऐसा मौका भी होगा जब मस्जिदों के साथ ईदगाहों के बंद होने की वजह से ईद की नमाज घरों में ही होगी आज पूरी दुनिया कोरोना संकट की वजह से रंजो गम में डूबी है। ऐसे में ईद को सादगी से मनाना ही अच्छा है ऐसे में जब लाखों लोग भूख से परेशान हैं हम अपने सदक ए फित्र और जकात से उनकी भूख मिटाये। हम ईद की शॉपिंग करें यह जायज नहीं हम नए कपड़े पहने इससे बेहतर है किसी गरीब का तन रखने में मदद करें इस बार हमारे निवास भले ही नए-नए ही होंगे लेकिन वह बेहद खास होंगे क्योंकि उनमें हमारे अच्छे किरदार की महक होगी क्योंकि खुदा की नजर में इंसानियत और नेक अमाल, अच्छे अखलाक से बढ़कर कुछ भी नहीं। खुदा के आगे हजार सजदे भी कम है अगरचे हमारी सोच में सच्चा अमल नहीं है। आइए अपने इर्द-गिर्द कोरोना के मरीजों का हौसला बने उन्हें खुशियों का हिस्सा बनाएं उनसे फासला रखें दूरियां नहीं । इसी खुशी के सच्चे जज्बे के साथ हम सब मनाएं ईद।। अपनी खुशियां भूल कर सब का दर्द खरीद तब जाकर कहीं होगी तेरी ईद।
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