हर जन्म आपकी बेटी के रूप में हो-कविता जोशी
*मातृ दिवस पर माँ को समर्पित*
हर जन्म आपकी बेटी के रूप में हो - कविता जोशी
मातृ दिवस पर दुनिया की हर स्त्री को बधाई यूं तो हर दिवस मां का ही होता है लेकिन फिर भी आज का दिन मां के प्रति अपना प्यार, सम्मान ,आदर प्रकट करने के लिए एक यादगार दिन बनाया गया है । इस दिन सभी लोग अपनी भागती दौड़ती व्यस्त जिंदगी में से कुछ पल अपनी मां के लिए निकालते हैं कहने को तो मां एक छोटा सा शब्द है जिसकी गहराई को नापा नहीं जा सकता क्योंकि मां स्नेह का अभूतपूर्व एहसास है निश्चल प्रेम और निस्वार्थ प्रेम का साकार रूप है ईश्वर की वह रचना है जिसका कोई मोल नहीं है। जीवन की पहली सांस ,पहला स्पर्श, पहला आहार हमें मां से ही मिलता है इसीलिए मां का स्थान ईश्वर से भी उच्चतर है। मां निस्वार्थ प्रेम का साकार रूप है जो प्रतिकार में कुछ नहीं चाहती। मुझे आज भी याद है वह बचपन के दिन जब मैं अपनी मां को एक मशीनी जिंदगी जीते हुए देखा करती थी और मां से पूछ रही थी मां तुम कब सोती हो मां तुम कब खाती हो मैंने तुम्हें हर समय अपने चेहरे पर मुस्कान हुए सुबह जागने से पहले और रात को सोने तक यूं ही मुस्कुराते हुए चलते हुए देखा है तो प्यार भरी थपकी गाल पर देते हुए मां हमेशा कहा करती थी जब तुम सोती हो तो तुम्हारी आंखों में मैं ही सोती हूं जब तुम खाती हो तो तुम्हारे संग में खा रही होती हूं। तुम अपने बहन भाई के संग पढ़ने जाती हो तब मैं तुम्हारे पापा के साथ तुम लोगों की तरह रहती हूं ।लेकिन मेरा बाल मन हमेशा यह सोचता रहता था मम्मी तुम किस तरह मेरी आंखों में सोती हो और खाती हो मेरी समझ से बाहर है लेकिन जैसे जैसे मैं बड़ी होती गई मैंने अपनी मां को और भी ज्यादा व्यस्त होते देखा और धीरे-धीरे मुझे समझ आने लगा कि हम भाई-बहनों और पापा के सभी काम कर मां के चेहरे पर एक आत्मिक संतोष दिखाई देता है और खुशी में अपनी खुशी महसूस करती है हम खुश रहते हैं तो वह खुश रहती है हम दुखी होते थे तो वह दुखी होती है अब मैं यह समझने लगी थी कि मां अपने पति और बच्चों को संतुष्ट करने में ही अपना सारा समय व्यतीत कर खुश रहती है। कभी हम भाई-बहनों में से कोई बीमार होता तो कभी पापा को कुछ काम होता मां दिनभर सारा काम करने के बाद भी उफ्फ तक नहीं करती और हमारे लिए सारी सारी रात आंखों में ही निकाल देती और हमारे स्वस्थ होने पर मां की आंखों में मुझे एक तेज दिखाई देता तब मुझे यह धीरे-धीरे समझ मेंआने लगा कि मां तो वह ब्रह्मास्त्र है या यूं कहूं कि अल्लादीन का एक चिराग है जिसके पास हर समस्या का समाधान है ।धीरे-धीरे मैं दूसरों से अपनी मां को तुलना करने लगी मैंने देखा कि मां बनने के लिए किसी स्कूल, शिक्षा, प्रशिक्षण की जरूरत नहीं होती ।यह तो हर स्त्री का जन्मजात गुण है जो समय के साथ साथ परिपक्व होता चला जाता है। मां अपने बच्चों की हर हाल में खुशी चाहती है।एक दिन मेरा रिश्ता पक्का कर दिया गया तब मैंने अपनी मां को रोते देखा ।मैंने मां से पूछा कि तुम इतनी दुखी हो तो मुझे किसी के साथ दूसरे घर क्यों भेज रही हो मुझे क्यों नहीं अपने आंचल की गोद में यहीं रहने देती तब मेरी मां ने मुझे समझाया स्त्री का जन्म एक ही नहीं अपितु कई घरों को रोशन करने के लिए होता हैउसीसे स्त्री जन्म की सार्थकता है ।तुमने जो यहां देखा सीखा उसी से आगे को जीवन सुंदर बनाओ और अपने आंखों में अश्रु लिए अपने माता-पिता और भाई बहनों को छोड़कर मैं एक नई दुनिया बसाने के लिए अपने ससुराल की दहलीज पर आ गई। यहां मैंने मां समान सास को भी जब इसी तरह से करते देखा तो कब मैं भी धीरे-धीरे उनके जैसे ही बनती चली गई इसका एहसास मुझे तब हुआ जब मेरे गर्भ में बच्चे की आहट हुई और मैं बिना देखे ही उसे बेइंतहा प्यार करने लगी। आने वाले बच्चे की खुशी में अपने को भूल उसकी खुशी के लिए आंखों में सपने सजाने लगी तभी तो कहा जाता है कि प्यार अंधा होता है आज मेरे बच्चों के अबोध मन के प्रश्न मुझसे किए जाते हैं तो मुझे लगता है की हकीकत में मां अभूतपूर्व एहसास है जिसे शब्दों में बांधा नहीं जा सकता। इसीलिए कहा भी गया है-
"ऊपर जिसका अंत नहीं,
उसे आसमां कहते हैं ।
जहां में जिसका अंत नहीं, उसे मां कहते हैं ।
मेरी मां द्वारा दिए गए स्नेह के लिए मैं सदैव उनकी ऋणी रहूंगी में कभी इस ऋण से उऋण नहीं हो सकती ।मेरा हर जन्म आप ही की बेटी के रूप में हो यही मेरी कामना है। मां तुम देवो हो गर्भपात करा करके तुम दानव नहीं बनी यही सच है ...तुम्हारे चरणों में मेरा बारंबार प्रणाम है ।
तू प्यार का सागर है ....तेरी हर बूंद के प्यासे हम......।
*कविता जोशी*
*सूचना एवं जनसंपर्क* *अधिकारी*
*महिला एवं बाल विकास* *विभाग* ।
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