कोरोना महामारी और हमारा देश   

 कोरोना महामारी और हमारा देश     कोरोना पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार विश्व पटल पर प्रथम कोरोना वायरस के तौर पर चीन की 57 साल की एक महिला की पहचान हुई है जो चीन के वूहान में झींगा बेचती थी इसके बाद चीन में तबाही मच गई । धीरे-धीरे विश्व पटल पर कोरोना वायरस विकराल रूप धारण करने लगा एवं आज पूरा विश्व इस महामारी के प्रकोप के कारण भयानक दौर से गुजर रहा है। सरकारी आंकड़ों की बात करें तो यह संख्या लगभग 71 लाख को पार करने जा रही है। जहां तक मरने वालों की संख्या की बात करें तो यह आंकड़ा चार लाख को पार कर चुका है । आगे क्या होगा यह आज भी विचारनिय प्रश्न है। इस महामारी ने पूरे विश्व की आर्थिक स्थिति को झकझोर करके रख दिया है। जहां तक हमारे देश की बात करें तो उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार हमारे देश में प्रथम केस 31 जनवरी 2020 को उजागर हुआ था। आज आंकड़ा ढाई लाख को पार कर चुका है एवं मरने वालों की संख्या लगभग सात हजार को पार कर गई है इतना ही नहीं हम विश्व पटल पर कोरोना महामारी की तालिका में छठवें स्थान पर आ गए हैं । भारत के प्रधानमंत्री द्वारा जब भारत में प्रथम लॉक डाउन लागू किया गया था तो आंकड़े नियंत्रण में रहे परंतु जैसे-जैसे लॉक डाउन की अवधि आगे बढ़ती गई महामारी से प्रभावितों की संख्या भी बढ़ती गई । आज हम ऐसे मुकाम पर आ गए हैं कि हम को इससे बाहर आने का रास्ता नहीं सूझ रहा है। देश की आर्थिक स्थिति लगातार प्रभावित होती जा रही है जिसे हाल ही में जारी जीडीपी के आंकड़ों से समझा जा सकता है। देशवासियों का जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है लोगों में भय का वातावरण व्याप्त है। ऐसे में लोगों के मध्य विश्वास कैसे जगाया जाए । बढ़ते हुए आंकड़ों पर किस प्रकार नियंत्रण किया जाए एवं देश की आर्थिक स्थिति को कैसे सुधारा जाए यह कुछ ऐसे प्रश्न हैं जो कि देशवासियों के मन को उद्वेलित किए हुए हैं देश में लगातार चल रहे लॉक डाउन ने हमारी जीवनशैली को परिवर्तित करके रख दिया है । जिस देश में धार्मिक आयोजनों सामाजिक आयोजनों आम सभाओं इत्यादि में भीड़ ही भीड़ नजर आती थी वह थम गई है एवं लोगों ने ऐसी परिस्थितियों से समझौता करना सीख लिया है । आज पूरा देश शिक्षा से लेकर कार्यालय मीटिंग आपसी लेनदेन इत्यादि पर सभी पर तकनीकी तंत्र /डिजिटल तंत्र पर निर्भर हो गया है । परंतु क्या जिस देश की जनसंख्या 135 करोड़ हो वह एवं जहां निरक्षरता का आंकड़ा 25% हो से अधिक हो वहां सभी कार्यों को तकनीकी तंत्र डिजिटल तंत्र के भरोसे छोड़ा जा सकता कदापि नहीं। आए दिन जिस प्रकार देश में बैंकिंग कार्य लेन-देन में तकनीकी तंत्र /डिजिटल तंत्र का दुरुपयोग कर धोखेबाजी या कपट का सहारा कुछ शरारती तत्वों द्वारा किया जा रहा है यह किसी से छिपा नहीं है। इस धोखेबाजी या कपट से पढ़े-लिखे देशवासी भी शिकार हो रहे हैं निरीक्षरो का क्या होगा। सबसे पहले जरूरत है कोरोना का भय मन से निकालने की कोरोना महामारी है पर लाइलाज नहीं हम सबको कुछ एहतियात बरतने की जरूरत है जैसे कि हमेशा घर से बाहर निकलते समय मास्क का उपयोग करना, आपस में एक दूसरे से लगभग 1 मीटर की दूरी बनाए रखना ,अपने अपने हाथों को बार-बार साबुन से धोना, अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति को मजबूत रखना ,बिना वजह घर से बाहर न निकलना, मोबाइल दूरभाष या अन्य तकनीकी तंत्र /डिजिटल तंत्र पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी किसी को भी प्रदान न करना। उक्त तंत्रों पर लुभावने प्रलोभन में ना आवे किसी को भी अपने मोबाइल पर आए ओटीपी अपने पासवर्ड को शेयर ना करें इत्यादि का पालन ईमानदारी से किया जाए तो कोरोना महामारी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती एवं हम आर्थिक नुकसान से भी बच सकते हैं संयम बरतें देश के अच्छे दिन पुनः अवश्य आएंगे। लेखक : मुकुट बिहारी अग्रवाल                                     शिक्षक ,केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2 जयपुर


Comments

Popular posts from this blog

नाहटा की चौंकाने वाली भविष्यवाणी

नाहटा को कई संस्थाएं करेंगी सम्मानित

टी- 20 वर्ल्ड कप का विजेता भारत बन सकता है- दिलीप नाहटा