राजस्थान में कांग्रेस ने धरना प्रदर्शन कर आपदा प्रबंधन कानून की धज्जियां उड़ाईं: डाॅ. पूनियां
राजस्थान में कांग्रेस ने धरना प्रदर्शन कर आपदा प्रबंधन कानून की धज्जियां उड़ाईं: डाॅ. पूनियां
कैबिनेट के निर्णय से राज्यपाल को अवगत तो करवा सकते हो, लेकिन उनकी छाती पर खड़े रहकर आॅर्डर नहीं लिखवा सकते: गुलाबचंद कटारिया
सरकार के पास नंबर हैं, तो बाड़ा खोल कर देखें,
सब पता चल जायेगा पंछी उड़कर किस डाल पर बैठते हैं: राठौड़
जयपुर, 25 जुलाई। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के नेतृत्व में 15 सदस्यीय भाजपा प्रतिनिधिमण्डल ने राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात कर उनको मुख्यमंत्री के उत्प्रेरण के कारण प्रदेश में व्याप्त हो रहे अराजकता के वातावरण पर समुचित कार्रवाई हेतु एवं अन्य गंभीर विषयों पर न्यायोचित संरक्षण प्रदान करने की मांग हेतु ज्ञापन सौंपा।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उनके मंत्री और विधायकों ने जिस तरीके से राजभवन को धरना प्रदर्शन का अखाड़ा बनाया गया है, तो क्या मुख्यमंत्री इस तरह असंवैधानिक कृत्य कर दवाब डालकर सदन आहूत करने के कागजों पर हस्ताक्षर करवाना चाह रहे थे? उन्होंने कहा कि सदन बुलाने की निश्चित संवैधानिक प्रक्रिया है, उसको आहूत करने का महामहिम का अपना अधिकार है।
डाॅ. पूनियां ने कहा कि पूरे राजस्थान में कांग्रेस ने धरना प्रदर्शन कर आपदा प्रबंधन कानून की धज्जियां उड़ाईं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश के गृहमंत्री भी हैंैं, जो राजस्थान की शांति और सुकून को अराजकता की तरफ धकेलने के दोषी हैं और उनकी सरकार भी दोषी हैं। उन्होंने कहा कि हमने महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन दिया है कि प्रदेश की संक्रमण की स्थिति कैसे नियंत्रण में आये इस पर विचार करने की आवश्यकता है, प्रदेश में कोरोना के 35 हजार से अधिक केस हो चुके हैं, 600 से ऊपर मौत हो चुकी हैं, ऐसी स्थिति में राजस्थान को भगवान भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है, इसलिए इन सभी हालात से राज्यपाल को ज्ञापन के माध्यम से भाजपा प्रतिनिधिमण्डल ने अवगत करवाया है।
मुख्यमंत्री गहलोत पर निशाना साधते हुए डाॅ. पूनियां ने कहा कि कांग्रेस सरकार का राजस्थान में मशहूर पाॅलिटिकल ड्रामा चल रहा है, मुख्यमंत्री द्वारा राजभवन के घेराव का बयान देना मुख्यमंत्री पद को शोभा नहीं देता है, यह सीधे तौर पर आईपीसी की धारा 124 का उल्लंघन है।
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री द्वारा दवाब की राजनीति का खेल चल रहा है, जिससे प्रदेश की राजनीति को कलंकित किया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा का सत्र बुलाने की कैबिनेट सिर्फ मांग कर सकती है, सत्र बुलाने का अधिकार राज्यपाल का है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट सत्र बुलाने की मांग कर सकती है, लेकिन उस पत्र में कोई कारण नहीं है कि किस वजह से सत्र बुलाया जाना चाहिए और राजभवन में धरना प्रदर्शन कर कांग्रेस सरकार का पक्ष रखने का तरीका लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री ने राजभवन को घेरने का जो बयान दिया है, वो मुख्यमंत्री पद की गरिमा को तार-तार करता है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को कैबिनेट के निर्णय से अवगत तो करवाया जा सकता है, लेकिन आप यह समझो कि उनकी छाती पर खड़े रहकर आॅर्डर लिखवा लो, तो ऐसा व्यवहार तुम (मुख्यमंत्री) कहां से सीखकर आये।
उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि आज कौनसी ऐसी स्थिति परिस्थितियां आ र्गइं, यकायक अपने विधायकों के साथ इस प्रकार का दृश्य पैदा करें, राजभवन संवैधानिक रूप से संविधान का मंदिर है, इस पवित्र मंदिर को अपवित्र करने का दोष अगर किसी को है तो वो खुद मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अंतर्विरोध से घिरी हुई है, सदन की लड़ाई सड़क पर आ गई है, सत्तारूढ़ दल संवैधानिक संकट पैदा करने की ओर बढ़ रहा है। कांग्रेस के अंदर की लड़ाई अपने आप सामने आ गई है। सरकार के पास नंबर हैं तो बाड़ा खोल कर देखें, पंछी उड़कर किस डाल पर बैठते हैं, सब पता चल जाएगा।
भाजपा प्रतिनिधिमण्डल में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचन्द कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. अरूण चतुर्वेदी, अशोक परनामी, प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा, सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, रामचरण बोहरा, राजस्थान विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह, विधायक कालीचरण सराफ, नरपत सिंह राजवी, अशोक लाहोटी, विधायक रामलाल शर्मा, निर्मल कुमावत, पूर्व विधायक अलका सिंह गुर्जर मौजूद रहे।
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