अन्तर्मना प्रसन्न सागर की साधना - निर्जल उपवास से 50 दिन पूर्ण

अन्तर्मना प्रसन्न सागर की साधना - निर्जल उपवास से 50 दिन पूर्ण



औरगाबाद/ मुरादनगर /कोडरमा 16 अगस्त l जैन मुनि अन्तर्मना प्रसन्न सागर महाराज भगवान महावीर के बाद कठिनतम साधना करने के बाद उग्रतम तपश्या करने वाले भारत के एक मात्र दिगम्बर जैन संत है गौरतलब है कि पूज्य गुरुदेव जिन्होंने 31 वर्षो में 3 हजार से ज्यादा उपवास की कठिनतम उग्र तपस्या की है। 186 दिन का अखंड मोन व्रत पालन किया है। 64 दिन, 48, 32 ,16 व 10 दिन के सतत उपवास भी कर चुके है। 32 प्रान्तों में विचरण कर 90 हजार किलोमीटर से भी अधिक की पद यात्र तय की है। सम्पूर्ण दिगम्बर जैन समाज का एक मात्र सबसे बड़ा तीर्थ सम्मेद शिखर जी की एक दिन में एक साथ 8 वंदना करके गौरव प्राप्त किया है। आज भी गुरु देव एक व्रत व एक पारणा का नियम निभा रहे है हाल में गुरुदेव का चातुर्मास मंशापूर्ण महावीर तीर्थ क्षेत्र मुरादनगर उत्तरप्रदेश में चल रहा है जहाँ वर्तमान में गुरुदेव द्वारा 48 उपवास व मौन व्रत की कठिन साधना की जा रही है जिनका पारणा महोउत्सव आगामी 17 अगस्त को धूमधाम से मनाया जाएगा। पारणा महोउत्सव के एक दिन पूर्व शिष्य मुनि पीयूष सागर जी महाराज के निर्देशन में 24 घण्टे का भगताम्बर पाठ 16 अगस्त सुबह 6 बजे से 17 अगस्त सुबह 6 बजे तक किया जाएगा। 


*अन्तर्मना को प्राप्त उपाधि*


साधना से सृजन के सौपान एवं वाणी के सलिल प्रवाह के अधिपति होने के नाते आपको विभिन्न उपाधियों से विभूषित भी किया गया है जो सुधी पाठकों की जानकारी हेतु उल्लखित की जा रही है जबकि मुनिश्री उपाधियों के पार साधना के अनुपम सौपान है ।


 गुजरात शासन (भारतवर्ष) द्वारा आपको महामहिम राज्यपाल  ओ.पी. कोहली के करकमलों से साधना महोदधि के उपाधि से विभूषित किया गया।


· आपको विश्व की सबसे बड़ी राखी रक्षासूत्र नामक कार्य, कृत्य एवं लेखन के लिए वियतनाम विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया जो भारत का गौरव का विषय है । आपका नाम इण्डिया बुक रिकार्ड, एशिया बुक रिकार्ड और गिनीज बुक रिकार्ड में अपने कृतित्व के कारण दर्ज किया गया ।आपको मानवीय मूल्यों के रक्षार्थ परस्पर मैत्री, वात्सल्य व शांति का संदेश देते हुए विश्व की सबसे बड़ी राखी रक्षासूत्र बुक ऑफ राखी को गूगल के माध्यम से पड़ा जा सकता है ।


· आपको ब्रिटेन की संसद में सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था भारत गौरव के सम्मान से सम्मानित किया गया। 


आचार्य गुरु पुष्पदन्त सागर गुरुदेव ने खुद अपने शिष्य को तपाचार्य की उपाधि से विभूषित किया है ,कोडरमा से मनीष सेठी ने बताया कि आज गुरुदेव का 50 वॉ साधना रत्न निर्जल उपवास है इस उपवास का पारणा कल 17.8को होगा इसके लिए पूरे विश्व के गुरु भक्तो द्वारा लगभग सवा लाख बार भक्तामर का पाठ 16.8 के सुबह से 17.8 के सुबह 7.30तक होंगे इस पाठ का प्रारंभ परम पूज्य गुरुवर मुनि श्री 108 पीयूष सागर जी महाराज ने मुरादपुर (U. P) से किया


तक .नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औंरंगाबाद रोमिल जैन सोनकच्छ राजकुमार अजमेरा,नवीन गंगवाल,मनीष सेठी कोडरमा ने जानकारी दी


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