पश्चिम दिशा पर चर्चा -
पश्चिम दिशा पर चर्चा ---
👉🏻👉🏻👉🏻हमारे शास्त्रों के अनुसार पश्चिम दिशा लक्ष्मी जी की दिशा है साथ में शनि जी की भी दिशा हैं ।
👉🏻👉🏻👉🏻 संध्या काल के समय लक्ष्मी जी का आवागमन माना गया है या भोर के समय 4:00 बजे के आस पास लेकिन तब जब इस दिशा के भवन या घर को वास्तु विज्ञान के अनुरूप सही ढंग से बनाया जाए।
👉🏻👉🏻👉🏻पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया की इस दिशा के देव वरुण देव है, जो जल के स्वामी है इस दिशा का तत्व वायु तत्व है ,यह दिशा चंचलता लाती है इस दिशा में निवास करने वाले ग्रह स्वामी का व्यापार कभी अच्छा चलता है तो कभी कम चलता है ।कभी कभी बीमारियां घेर लेती हैं ,इस दिशा के घरों में रुपया पैसा कम ठहरता है अर्थात संचय नहीं हो पाता है ।इसका मुख्य कारण हैं घर का ढलान ,क्योंकि ढलान पश्चिम में होने से सूर्य देव की सुबह सवेरे की फलदाई ऊर्जा घर भवन में रुक नहीं पाती ,इसकी वजह से व्यवस्था और स्वास्थ्य खराब रहता है।
👉🏻👉🏻दूसरा पश्चिम दिशा के घर में पानी की निकासी की व्यवस्था भी ठीक नहीं बन पाती है।
पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि यदि भवन के निर्माण के समय वास्तु विज्ञान और सिद्धांतों का पालन किया जाए तो हम पश्चिम दिशा के घर को लक्ष्मी दायक और उत्तम बना सकते हैं।
👉🏻👉🏻👉🏻 पश्चिम मुखी घर का मुख्य द्वार पश्चिम में ही होना चाहिए ।अगर किसी कारण से मुख्य द्वार को नेऋत्य या वायव्य में बना दिया जाए तो भवन में निवास करने वाले लोग रोगों से पीड़ित हो सकते हैं ,यही कारण होते हैं कि पश्चिम मुखी भवन में धन संचय नहीं हो पाता क्योंकि सारा धन बीमारियों में नष्ट होता रहता है ।
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कभी-कभी अकाल मृत्यु तुल्य कष्ट भी देखने को मिल जाते हैं, सांस, दमा एवम फेफड़े से संबंधित बीमारियां इस घर के लोगों को ज्यादा घेर लेती है
👉🏻👉🏻👉🏻जैसा कि हम सभी जानते हैं की पश्चिम दिशा में भवन का भार अधिक होना चाहिए ,परंतु इस दिशा में द्वार और खिड़कियां होने से भार में कमी आ जाती है। इसके संतुलन को बनाए रखने के लिए हमें उत्तर दिशा में निर्माण कम करना चाहिए ,वायवय की तरफ शौचालय व स्नानघर बनाना चाहिए
👉🏻👉🏻👉🏻पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार किसी भी प्रकार का भूमिगत टैंक जैसे वाटर टैंक अथवा बोरिंग आदि उत्तर दिशा में बनाना फलदाई होता है ,वास्तु अनुसार अगर किसी भवन के पश्चिम भाग में जल निकासी होती है तो वह परिवार के पुरुषों को गंभीर बीमारी का खतरा बना रहता है अतः पानी की निकासी को वायव्य कोण में लेकर जाएं इसी प्रकार छत के पानी की निकासी भी वायव्य कोण में ही करें।
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क्या करें यदि घर पहले से ही पश्चिम मुखी है और उनमें यह कमियां है वह उपाय के तौर पर कुछ बदलाव कर सकते हैं---
1= नेऋत्य कौण पर ज्यादा ऊंची बाउंड्री करके वजन बढ़ा देना चाहिए तथा उसको ऊपर ही एक बड़े बॉस में बड़ा लाल झंडा लगा देना चाहिए तथा घर के अंदर नैरत्य कोण में संध्या दीपक जलाना चाहिए।
2= पश्चिम से नेऋत्य की तरफ एक अशोक का पेड़ लगाना चाहिए।
3= मुख्य द्वार पर काले घोड़े की नाल U टाइप से लगानी चाहिए।
4= एक काला कुत्ता घर में अवश्य पाले, अगर कुत्ता पालने में असमर्थ हैं तो बाहर के कुत्ते की प्रतिदिन सेवा करें। यह नियम घर के हर सदस्य पर लागू होगा अर्थात घर के सभी सदस्य का हाथ लगवा कर एक ही सदस्य कुत्ते को भोजन डाल सकता है।
5= कोशिश करें ,सप्ताह में कुत्ते को दूध दो बार अवश्य पिलाएं।
6= रात के समय मुख्य द्वार के पास अंदर की तरफ एक जल से भरा पात्र रखें तथा सुबह उठते ही सबसे पहले जल को बाहर की नाली में गिरा दे ,प्रतिदिन।
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उसके बाद नया जल लेकर दरवाजों के दोनों तरफ से दरवाजे को धो दें।
7= घर की कोई भी निकासी वाली नाली अथवा पाइप बंद न होने पाए समय-समय पर चेक करते रहे।
8= यदि इस पोस्ट पढ़ते समय तक घर का कोई भी सदस्य उपरोक्त लिखी बीमारियों से पीड़ित हो तो, एक काला कंबल ऊनी ,उस व्यक्ति के हाथ से घर के चारों दिशाओं के कोने में फर्श पर स्पर्श कराकर, शनि मंदिर में रखवा दें
यह प्रयोग हर 3 माह में एक बार अवश्य करें।
।।शुभमस्तु।।
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