बाल हिंसा का बढ़ता ग्राफ सामाजिक चुनौती :व्यास

बाल हिंसा का बढ़ता ग्राफ सामाजिक चुनौती :व्यास



100 डायल भी चाइल्ड फ्रेंडली बनने के प्रयास में : बीना सिंह


 


 भोपाल 28 सितंबर l (चन्द्र कान्त सी पुजारी) बाल हिंसा के मामलों में पिछले कुछ वर्षों में देश भर में बढ़ोतरी हुई है। इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि अब बाल हिंसा के मामलों में अब द्विपक्षीय कारवाई औऱ शिकायत का सिलसिला भी बढ़ा है। पहले लोगों को बाल मामलों में कानून और नियमों का ज्ञान इतना अधिक नहीं था जिसके कारण लोग शिकायत दर्ज नहीं कराते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में शासकीय स्तर पर बाल संरक्षण नियमों एवं कानूनों का प्रचार प्रसार बड़े पैमाने पर होने से लोगों में जागरूकता बढ़ी है । अभिभावकों सहित बच्चे भी समझने लगे हैं कि यह हमारे लिए सही है या गलत है। अतः अब बाल शोषण, बाल श्रम एवं बाल यौन उत्पीड़न, बाल हिंसा के मामलों में बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज होने लगी है। यह विचार राजस्थान बाल आयोग की सद्स्य श्रीमती वन्दना व्यास ने चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन के 13 वें वेबिनार में "बाल हित मे आती चुनौतियां व उनका निराकरण " विषय पर संबोधित करते हुए व्यक्त किए। इस वेबीनार में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से डायल 100 की पुलिस अधीक्षक श्रीमती बीना सिंह ,चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ राघवेंद्र शर्मा, सचिव डॉ कृपाशंकर चौबे सहित देशभर के 12 राज्यों के सीडब्ल्यूसी-जेजेबी अध्यक्ष-सदस्यों सहित बाल अधिकार कार्यकर्ता शामिल हुए।                       


     श्रीमती वन्दना व्यास ने ई संगोष्ठी मे अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि राजस्थान मे बाल विवाह, बाल श्रम व बच्चो को दंड देने जैसे निषेधात्मक कार्य अभी भी बड़ी संख्या में होते हैं। इससे बाल मन पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। ऐसे मामलों में जानकारी मिलने पर आयोग तत्परता से अपनी भुमिका निभाता है। बाल श्रम व बाल विवाह जैसी बुराईयां पूरे भारत के लिये चुनौती भरा विषय रहा है। हालाकि सरकार ने इसके चलते कई अभियान व योजनाएं समय समय पर बनाई हैं। श्रीमती वन्दना व्यास ने कहा की कोविड-19 के चलते बच्चो की शिक्षा व्यवस्था पर गहरा असर पढा है। ऑन लाइन स्टडी के चलते बच्चो का स्क्रीन टाईम बढ़ने से उनकी आंख व मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ता है । जिसे ध्यान मे रखते हुये "स्क्रीन टाईम "को कम करने हेतु आयोग की पहल पर सरकार ने महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। श्रीमती व्यास ने कहा की लॉकडाउन मे जरूरतमंद बच्चो के लिये "पालनहार योजना" "राजस्थान बाल आयोग द्वारा लागू की गई जो विभिन्न श्रेणी के जरूरतमंद बच्चों के लिए उपयोगी साबित हुई है।


      अतिथि वक्ता एवं भोपाल 100 डायल की एसपी श्रीमती बीना सिंह ने "बाल हित मे 100 डायल की भुमिका" विषय पर बोलते हुए कहा कि


माह जनवरी से अब तक सैंकड़ों बच्चे बाल उत्पीडन से लेकर माता पिता के घरेलू विवाद जैसे मामलों तक सुलझाने या शिकायत दर्ज कराने के लिए 100 डायल की मदद ले चुके हैं। ऐसे सभी मामलों में कॉलर तक पहुँचकर डायल 100 टीम द्वारा परामर्श देने और निराकरण करने जैसी भूमिका निभाई है । उन्होंने कहा कि बच्चो के लिये 100 डायल काफी मददगार हैं। किसी भी प्रकार की समस्या आने पर वह अपनी जगह पर रहते हुए ही केवल एक फोन कॉल के माध्यम से सहायता प्राप्त कर सकते हैं। 


श्रीमती वीणा सिंह ने डायल 100 के सिस्टम के संबंध में विस्तार से अवगत कराते हुए कहा कि डायल 100 में सूचना प्राप्त करने से लेकर निराकरण होने तक पूरा एक सिस्टम काम करता है। मामले का निराकरण हो जाने के बाद भी कॉलर से फीडबैक लिया जाता है और उसके आधार पर आगे की कार्यवाही भी तय की जाती है।


     सीसीएफ की इस वेबिनार के उत्तरार्द्ध में देशभर के बाल अधिकार कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के विभिन्न प्रश्नों का जवाब देते हुए अतिथियों द्वारा शंकाओं का समाधान भी किया गया। वेबिनार का कुशल संचालन सीसीएफ के सचिव डॉ कृपाशंकर चौबे एवं आभार प्रदर्शन लीगल सेल के सदस्य रूपसिंह द्वारा किया गया।उक्त जानकारी बाल कल्याण समिति झाबुआ अध्यक्ष निवेदिता सक्सेना द्वारा दी गयी।


 


                                                  


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