एमडीएस यूनिवर्सिटी में घूसखाेरी का तांडव 

एमडीएस यूनिवर्सिटी में घूसखाेरी का तांडव 



 *प्रदेश से बाहर की फर्मों से दस कराेड़ में गोपनीय छपाई कराई, यही कार्य मात्र ‌पिच्चासी लाख में करती थी राजस्थान की फर्म*


 


*अजमेर*- घूसखाेरी के मामले में एमडीएस यूनिवर्सिटी के निलंबित वीसी प्राे.आरपी सिंह की एक और चौंकाने वाली कारगुजारी एसीबी के सामने आई है।


 यूनिवर्सिटी में परीक्षा संबंधित छपाई के गाेपनीय कार्य जाे पहले राजस्थान की ही फर्म में करीब 85 लाख रुपए खर्च में कराए जाते थे, वह कार्य आरपी सिंह ने अपने कार्यकाल में बरेली और दिल्ली की फर्मों से करीब 10 कराेड़ से ज्यादा के खर्च पर कराए हैं।



इतना ही नहीं निलंबित वीसी के निजी ड्राइवर व बाॅडीगार्ड रणजीत एक फर्म का प्राेपराइटर भी है, इस फर्म का खाता एसीबी काे एचडीएफसी बैंंक में फर्म चंचल ट्रेडर्स के नाम से मिला है। अंदेशा है कि घूसखाेरी, कमीशनखाेरी से अर्जित काली कमाई की राशि का लेनदेन इस बैंक खाते से किया जाता था। एसीबी अब इस पूरे मामले काे खंगालने में जुटी है।


 


शुक्रवार काे एसीबी ने विवि में करीब दाे घंटे की मशक्कत कर विभिन्न विभागाें में निलंबित वीसी के निर्णय से संबंधित सभी पत्रावलियाें काे जांच के लिए एकत्र कर सुरक्षित रखवा दिया है। मामले में जांच अधिकारी एडिशनल एसपी हिमांशु के निर्देश पर एसीबी अजमेर की टीम ने शुक्रवार काे यह कार्रवाई की है।


 


 *आराेपी दलाल रणजीत काे एसीबी जयपुर ले गई*


 


आराेपी रणजीत काे एसीबी टीम जयपुर मुख्यालय ले गई है, जहां उसने रिमांड के दाैरान घूसखाेरी के इस नेटवर्क में शामिल अन्य लाेगाें के बारे में पूछताछ की जा रही है।


 


 *रणजीत से मिली डायरियाें में विवि के अधिकारियाें के नाम* 


 


एसीबी की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि निलंबित वीसी के लिए घूस की राशि की साैदेबाजी और वसूली आराेपी रणजीत करता था। रणजीत के पास मिली डायरियाें में यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागाें के बड़े अधिकारियाें के नाम भी मिले हैं। इसके अलावा अजमेर, टाेंक, भीलवाड़ा और नागाैर के चालीस से ज्यादा निजी काॅलेजाें की लिस्ट और घूस की राशि का हिसाब भी मिला है।


 


एसीबी ने डायरी के आधार पर यूनिवर्सिटी के कई अधिकारियाें काे जांच के दायरे में लिया है। हालांकि प्रारंभिक ताैर पर यह सामने आया है कि रणजीत ने उससे रंजिश रखने वाले अधिकारियाें के नाम जान बूझकर डायरी में लिखे हैं। एसीबी ने इस दिशा में जांच की ताे पता चला कि रणजीत और निलंबित वीसी के काले कारनामाें की जानकारी यूनिवर्सिटी के ज्यादातर अधिकारी और कर्मचारियाें काे थी। यही कारण था कि कई अधिकारी ताे रणजीत काे अपने आसपास फटकने भी नहीं देते थे।


 


 *छपाई में वित्तीय अनियमितता* 


 


"दस्तावेजों की जांच में यह सामने आया है कि निलंबित वीसी प्रो. आरपी सिंह ने कार्यकाल के दौरान परीक्षा संबंधित छपाई के कार्य में वित्तीय अनियमितता की है। 


- दिनेश एमएन, एडीजी, एसीबी


 


 _निजी ड्राइवर रणजीत काे यूनिवर्सिटी से 9 हजार रुपए महीने पारिश्रमिक मिलता था_ 


 


एसीबी की जांच में सामने आया है कि निलंबित वीसी आरपी सिंह ने इस रैकेट के दलाल रणजीत सिंह काे यूनिवर्सिटी में कुशल श्रमिक के ताैर पर रिकाॅर्ड में दर्शा रखा था। वीसी व अन्य अधिकारियाें के नाम से लाखाें रुपए घूस की राशि वसूलने के अलावा रणजीत काे कुशल श्रमिक हाेने के नाते करीब 9 हजार रुपए महीना बताैर पारिश्रमिक भी यूनिवर्सिटी प्रशासन से मिलता था।


 


निलंबित वीसी के साथ रणजीत उसका हमसाया बनकर रहता था, लेकिन जब एसीबी ने रणजीत काे 2 लाख 20 हजार रिश्वत राशि लेते रंगे हाथ पकड़ा था, तब निलंबित वीसी ने एसीबी अधिकारियाें के सामने सफाई दी थी कि उनका रणजीत से काेई लेना-देना नहीं है। उल्लेखनीय है कि निजी कालेजाें में परीक्षा केन्द्र बनाने, सम्बद्धता और सीटें बढ़वाने के नाम पर प्रत्येक कालेज से करीब दाे से ढाई लाख रुपए की वसूली रणजीत के माध्यम से की जा रही थी, लेकिन रणजीत एक से डेढ़ लाख रुपए ही निलंबित वीसी तक पहुंचाता था, वह घूसखाेरी की राशि में से माेटा हिस्सा खुद रखता था।


 


 *निलंबित वीसी के बैंक खाते में 19 लाख 80 हजार और रणजीत के खाते में 4 लाख 90 हजार रुपए मिले हैं, जबकि अाराेपी वीसी की तीन एफडीआर भी एसीबी ने जब्त की है।* 


 


 *अभी कई लाेगों की गिरफ्तारी हाेगी* 


 


एफआईआर में निलंबित वीसी आरपी सिंह, उनके निजी ड्राइवर व बाॅडीगार्ड रणजीत, निजी काॅलेज संचालक महिपाल, यूनिवर्सिटी के कनिष्ठ सहायक रवि जाेशी, विभिन्न निजी काॅलेज के संचालक राजेन्द्र, मुकुल, अविनाश जैन, मनीष सेठी, सुरेश भाकर काे भी नामजद किया है। एसीबी अधिकारियाें के अनुसार जून से ही इस मामले में संदिग्ध लाेगाें के फाेन सर्विलांस पर रखे गए थे।


 


वीसी, उनके निजी ड्राइवर रणजीत से लेनदेन की बातचीत करने वालाें में ये लाेग प्रमुख थे। एडीजी दिनेश एमएन के अनुसार इस मामले में कई लाेगाें की गिरफ्तारी संभव है।


 


 *निलंबित वीसी के लिए स्विफ्ट डिजायर की ली गई थी मंजूरी, खरीदी इनाेवा* 


 


एमडीएसयू घूसकांड में अब एसीबी ने पिछले पांच सालाें तक का रिकाॅर्ड तलब कर लिया है। एसीबी ने पीटीईटी मद से पिछले पांच साल में करवाई गई एफडीआर से लेकर हाल ही में खरीदी कई कार से संबंधित दस्तावेजाें के प्रमाणित दस्तावेज मांगे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि कुलपति के लिए खरीदी गई कार भी मंजूरी और नियमाें के खिलाफ खरीदी गई।


 


अब एसीबी ने इस संबंध में पूरी जानकारी मांगी है। एसीबी ने गुरुवार काे एमडीएसयू प्रशासन काे पांच बिंदुओं की जानकारी देने के लिए पत्र साैंपा था। जिसमें पिछले पांच सालाें का हिसाब किताब मांगा गया है। एसीबी के डीएसपी पारसमल के हस्ताक्षर से दिए गए इस पत्र में यूनिवर्सिटी प्रशासन से पांच बिंदुओं पर विस्तार से जानकारी मांगी गई है। इसमें आखिरी बिंदु का संबंध राजभवन से भी हैं। इसमें आरपी सिंह के पदस्थापन काम में खरीदी कार की मंजूरी के दस्तावेज मांगे गए हैं।


 


नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी ने बताया है कि कुलपति के लिए कार खरीद के लिए राजभवन से स्विफ्ट डिजायर की मंजूरी मिली थी, लेकिन इसके बाद भी इनाेवाे कार खरीदी गई। दाेनाें ही कार की कीमताें में लाखाें रुपए का अंतर हैं।


 


 *एसीबी ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से इन पांच बिंदुओं पर मांगी जानकारी* 


 


1. एमडीएसयू में पिछले पांच साल में कराई गई सभी एफडीआर की प्रमाणित प्रतियांऔर वर्ष वार सूची। 


 


2. पीटीईटी के मद में पिछले पांच साल में कराई गई सभी एफडीआर की प्रमाणित प्रतियाें सहित वर्षवार सूची। 


 


3. आरपी सिंह के पदस्थापन के समय की जिन एफडीआर काे पहले राष्ट्रीयकृत बैंकाें से अन्य प्राइवेट बैंकाें में कराने से संबंधित एफडीअार की सूची, साथ ही इससे संबंधित विभाग द्वारा जारी नाेटशीट, आदेश और परिपत्राें की फाेटाे प्रतियां।


 


4. राजभवन द्वारा एफडीआर काे कराने और परिवर्तित किए जाने से संबंधित आदेश, परिपत्र और विभाग द्वारा अपनाए गए नाेटशीट की प्रतियां 


 


5. आरपी सिंह के कुलपति के पदस्थापन काम में खरीदे गए वाहन, इनाेवा या स्विफ्ट डिजायर कार के राजभवन से स्वीकृति आदेश, खरीदी से संबंधित दस्तावेज, बिल बाउचर की सभी पत्रावली की फाेटाे प्रतियां।


 


 *एसीबी की टीम ने यूनिवर्सिटी में फिर 4 घंटे तक खंगाले दस्तावेज* 


 


एसीबी हर मामले की गंभीरता से जांच में जुटी हुई है। वित्तीय अनियमितताओं से लेकर काॅलेजाें की मान्यता, सीटें बढ़ाने, परीक्षा सेंटर बनाने सहित छाेटी सी छाेटी जानकारी काे जांच के दायरे में ले रही है। यही वजह है कि कुलपति काे न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद शुक्रवार काे भी एसीबी की एक टीम यूनिवर्सिटी पहुंची और कई दस्तावेजाें की पड़ताल की है।


 


एसीबी की टीम दाेपहर 1 बजे यूनिवर्सिटी पहुंची। यहां रजिस्ट्रार कार्यालय में टीम ने एकेडमिक ब्रांच और निजी काॅलेजाें से संबंधित फाइलें मंगवाई। शाम 5 बजे तक टीम यूनिवर्सिटी में रही। इन चार घंटाें में टीम ने कई दस्तावेजाें काे खंगाला और कुछ दस्तावेजाें काे चिह्नित करके अलग किया है।


 


सूत्राें की माने ताे टीम शनिवार काे भी आ सकती है। टीम जितना भी वक्त यूनिवर्सिटी में रही रजिस्ट्रार कार्यालय में उन्हीं काे अंदर जाने दिया गया जिन्हें या ताे बुलाया गया था या जाे फाइलें लेकर आ जा रहे थे। इसके अलावा किसी काे भी मंजूरी नहीं दी गई।


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