हाथियों की स्थिति में सुधार की मांग को लेकर  कार्यकर्ता करेंगें विरोध प्रदर्शन  

 हाथियों की स्थिति में सुधार की मांग को लेकर  कार्यकर्ता करेंगें विरोध प्रदर्शन  



जयपुर, 29 सितंबर। जयपुर स्थित हाथी गांव में चार हाथियों की मौत का मामला सामने आने पर, कार्यकर्ताओं ने जवाब के लिए वन विभाग और राजस्थान सरकार का रुख किया है। विभाग के बयानों के अनुसार महामारी से पर्यटन प्रभावित होने के कारण हाथियों के मालिकों के लिए कोई आय नहीं है और न ही हाथियों के लिए व्यायाम की व्यवस्था। इस जवाब से असंतुष्ट, स्थानीय संगठन और कार्यकर्ता हेल्प इन सफ़रिंग और एंजेल आइज़ की अगुवाई में एक अक्टूबर को देशव्यापी डिजिटल विरोध प्रदर्शन का आयोजन करेंगे, अल्बर्ट हॉल पर एक विरोध रैली निकालकर और आमेर फोर्ट में मोमबत्ती जलाकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।


 


हाल ही में एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (एडब्ल्यूबीआई) की रिपोर्ट में कहा गया है कि “102 हाथियों में से 19 हाथियों को या तो एकतरफा (दाईं या बाईं आंख) या फिर दोनों आंखों से अंधा पाया गया, जिससे उन्हें किसी भी काम के लिए अनफिट कर दिया गया, हाथियों और आम लोगों की सुरक्षा पर बड़ा जोखिम है अगर ऐसे जानवरों का उपयोग सार्वजनिक स्थानों पर और सवारी के लिए किया जाता है। इसके अलावा, 91 हाथियों की ट्यूबरक्लॉसिस (टीबी) की जांच में, 10 हाथियों में ट्यूबरक्लॉसिस पॉजिटिव पाया गया।" फिर भी उन्हें अन्य हाथियों के मध्य रहने की अनुमति दी गई और टूरिस्ट्स की सवारी के उपयोग में लिया गया। टीबी एक जूनोटिक बीमारी है जिससे इंसानों और जानवरों के लिए खतरा है। इन 4 हाथियों में से 2 हाथी (संख्या 99 और 64 - रानी और चंचल, क्रमशः) में 2018 में एडब्ल्यूबीआई निरीक्षण के दौरान ट्यूबरक्लॉसिस (टीबी) का परीक्षण पॉजिटिव आया था, लेकिन राजस्थान वन विभाग द्वारा 3-5 महीनों में टीबी मुक्त घोषित कर किया गया था, जबकि वास्तव में किसी भी हाथी को टीबी से उबारने में कम से कम 6-12 महीने का गहन उपचार करना पड़ता है। ये तथ्य चिंताजनक हैं।


 


न तो वन विभाग, न पशुपालन विभाग और न ही मालिक इन मौतों के लिए जिम्मेदारी ले रहे हैं, और वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 की स्थिति के बावजूद उन्हें हाथियों के स्वामित्व का दायित्व जारी है। 


 


हेल्प इन सफरिंग की मैनेजिंग ट्रस्टी, टिम्मी कुमार ने कहा “हाथियों के मालिक और वन विभाग चाहते हैं कि हम यह मान लें कि हाथियों को स्वास्थ्य संबंधी समस्या का सामना करना पड़ा क्योंकि उन्हें लॉकडाउन से पहले की तुलना में पर्याप्त व्यायाम नहीं मिल रहा था क्योंकि पर्यटन में ठहराव आ गया है। वे सहानुभूति कार्ड खेल रहे हैं इस उम्मीद के साथ की एक बार यात्रा और पर्यटन फिर से शुरू होने पर पर्यटक उनके झूठ पर यकीन कर लेंगे। वे दावा करते हैं कि वे हाथियों को अपने परिवार के सदस्य की तरह मानते हैं। क्या एक परिवार के सदस्य से इस तरह से व्यवहार किया जाता है? क्या वे अपने परिवार को भूखा-प्यासा, हर समय और खराब स्वास्थ्य में भी बंदी बना कर रखते हैं? दुर्भाग्य से, हाथियों के मालिकों में बहुत अहंकार है; जब उन्हें स्थानीय वॉलंटियर्स द्वारा भोजन के लिए मदद की पेशकश करने के लिए संपर्क किया गया, तो उन्होंने साफ मना कर दिया।"


 


हेल्प इन सफ़रिंग की सह-आयोजक, मरियम अबुहैदरी ने कहा, "कुछ ही महीनों में लापरवाही और पर्याप्त देखभाल की कमी ने हाथियों को खत्म कर दिया। व्यायाम सवारी से भिन्न है। वे हाथियों के लिए उचित व्यायाम की व्यवस्था कर सकते हैं। हम इन भव्य जीवों के प्रति संवेदनशील क्यों नहीं हो सकते? गर्म डामर की सड़कों पर आमेर की पहाड़ी पर जाना हाथियों और उनके पैरों के लिए बहुत बुरा है। उनकी आंखों की रोशनी प्रभावित हो जाती हैं, उन्हें अंकुश से घाव हो जाते हैं, उनकी त्वचा मुरझा जाती है, और पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलता क्योंकि हाथी मालिकों की सोच पुरानी है। कई अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि बंदी हाथियों में तनाव का स्तर बहुत ज्यादा होता है। कैद और खराब स्वास्थ्य के बीच सीधा संबंध है। हाथी गांव में स्थितियां बहुत भयावह हैं और वो भी विरासत और व्यवसाय के नाम पर।” 


 


प्रोटेस्टर अल्बर्ट हॉल पर शाम 4 बजे एकत्रित होंगे, जुलूस निकालकर शाम 6 बजे आमेर फोर्ट पर एकत्रित होंगे। दोनों कार्यक्रमों को इंस्टाग्राम पेज @hathikadi पर लाइव दिखाया जाएगा। डिजिटल प्रोटेस्ट एक ट्वीट-ए-थॉन और लाइव सेशंस का रूप लेंगे।


 


“हम राजस्थान सरकार से आग्रह करते हैं कि वे हाथियों की रक्षा करें और उन्हें विरासत और पर्यटन के नाम पर लगातार मरने न दें, पिछले कुछ वर्षों में 20 हाथियों की मौत हुई है और उनमें से 4 हाथियों की मौत पिछले कुछ महीनों में हुई है। हाथी गांव में कई तरह की बीमारियां फैली हुई हैं, जो हाथियों को मार रही हैं। वन विभाग पूरे मामले को ढकने की कोशिश कर रहा है और उनकी नाक के नीचे होने वाले वन्यजीव व्यापार को बचाने का प्रयास कर रहा है। ये वे जीवन हैं जिनके बारे में हम बात कर रहे हैं। वन्यजीवों के साथ कोई व्यवसाय नहीं होना चाहिए। अगर वन्यजीवों की रक्षा करना नहीं, तो वन विभाग का क्या उद्देश्य है?” अभिषेक सिंह, एंजेल आइज़ के फाउंडर ने कहा।


 


*विचार करने के लिए कुछ सार्थक बिंदु:*


 


- पैर सड़ने के कारण पहले 8 हाथियों की मौत हो गई


- 10 हाथियों को टीबी पॉजिटिव घोषित किया गया और उनकी स्थिति पर कोई जानकारी नहीं है।


- हाथी गांव की लगातार क्रूरता और अमानवीय स्थिति शेष हाथियों के लिए विनाशकारी होगी।


 


*निम्नलिखित पर तुरंत ध्यान दिया जाना चाहिए यदि शेष हाथियों के जीवन को बचाना है-* 


 


- पर्याप्त मात्रा में भोजन और पानी 


- टीबी और अन्य बीमारियों के लिए तत्काल चिकित्सा जांच


- घायलों, बीमार हाथियों की जांच की जानी चाहिए और राइड्स के लिए फिट नहीं होने पर हाथी को हाथी गांव से से दूर स्थानांतरित किया जाना चाहिए


- राज्य में नए हाथियों को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।


 


कार्यकर्ताओं को डर है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो हाथी गांव में और हाथी खत्म हो जाएंगे, जिससे हाथियों का यह सांस्कृतिक केंद्र हाथियों के लिए ही अयोग्य हो जाएगा।


 


Photo Caption:- Elephant No.99, Rani, one of the dead elephants of Hathi Gaon


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