पिघलती चट्टानें और सख्त होता चीन का अड़ियल रवैया

पिघलती चट्टानें और सख्त होता चीन का अड़ियल रवैया


                   प्रोफे. डां. तेजसिंह किराड़ 


             (वरिष्ठ पत्रकार व राजनीति विश्लेषक)


सफेद चादर के तूफान और सिसकती मौत की बर्फिली विशालकाय हिमखंडों की चट्टानें दुनिया की सरगर्मी के कारण बहुत तेजी से पिघल रही हैं। किन्तु वहीं दूसरी तरफ चीन दिसम्बर की ठंड का इंतजार करके युध्द की नीति को अंजाम देने में जुटा हुआ हैं। भारत ने चीन की दोगली नीति वाले खतरें को भांपकर ही विशाल सेना की तैनाती सीमाओं के हर मौर्चे पर पुख्ता कर दी हैं। पहाड़ों की बर्फ पिघलें या जमी रहे परन्तु भारत हर तरह से चीन से युद्ध के लिए सज्ज हो चुका हैं।


राजनीति में माना जाता हैं कि जब पहाड़ों,पर्वतों या ध्रुवीय क्षेत्र की बर्फ पिघलती हैं तो इंसानी हरकतों में भी बड़े बदलाव होने लगते हैं।मौसम के मिजाज के अनुरूप सीमाओं पर भी चौकसी और सेना की तैनाती के मायने भी बदल जाते हैं। चीन घात लगाए बैठे इंतजार कर रहा हैं कि दिसम्बर में कड़ाके की ठंड के बीच लद्दाख और आसपास की सीमाओं पर भारतीय सैनिकों को गुमराह करके एकाएक युध्द करने की साजिश को अंजाम देने की तैयारी में जुटा हुआ हैं परन्तु चीन की यह भूल हैं कि ठंड में भी भारत के जवान मायनस 30 डिग्री तक में भी सीमाओं की चौकसी करके चीन को मात दे सकते हैं। दक्षिणी एशियाई महाद्वीप के अंतहीन छोर पर अंटार्कटिका निर्जन महाद्वीप पर टाटेन ग्लेशियर इस समय तेजी से पिघलकर समुद्र में आगे की ओर बढ़ता जा रहा हैं। ऐसे में मौसम वैज्ञानिकों का मत हैं कि फ्रांस देश से भी बड़े आकार के ये हिमखंड चट्टानें बेहद ही खतरनाक हैं। पिघलते ग्लेशियरों के कारण समुद्री सागरों में जलस्तर भी तेजी से बढ़ना आरंभ हो गया हैं। सामुद्रिक जल दबाव और भराव की प्राकृतिक और भौगोलिक घटनाओं से बड़े ज्वार के आने की संभावना प्रबल हो गई हैं। ऐसे में विशालकाय बर्फीलें तूफान भी प्रशांत और हिंद महासागर में बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं। चीन जिस समुद्रीय मार्ग को लांघकर इंडोनेशिया के समुद्र क्षेत्र में घुसपैठ की योजना भारत को घेरने की बना रहा था उसके पकड़े जाने से इंडोनेशिया ने चीन सरकार और सेना को सख्त हिदायत हे दी हैं चीन भूलकर भी इंडोनेशिया जलसंधि का उल्लंघन ना करें अन्यथा चीन बूरे परिणामों को भुगतनें के लिए तैयार रहें। अब चीन के विरोध में जावा, सुमात्रा,बोर्नियों,इंडोनेशिया,बाली जैसे छोटे द्वीप समूह देशों ने भी एक स्वर में चीन को चेतावनी डे डाली हैं। बौखलाया चीन समुद्री मार्ग के लिए पस्त हो चुका हैं। चारों ओर से घिर चुका चीन पाकिस्तान को उकसाने से भी बाज नहीं आ रहा हैं।चीन चाहता हैं कि पाक,भारतीय सीमाओं पर सेनाओं के काफिलों को निशाना बनाएं और भारत का ध्यान पाकिस्तान से लड़ाई में ही उलझा रहे और चीन लद्दाख और अरूणाचल की सीमाओं से घुसपैठ करके सीमाओं से लगे बड़े भूभागों की महत्वपूर्ण ऊंची ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा जमाकर भारत पर सीनाजोरी करता रहे। किन्तु चीन भारत को अभी भी 1962 वाला ही भारत समझनें की बहुत बड़ी भूल कर रहा हैं। चिंता का विषय यह हैं कि हाल ही में अंटार्कटिका महाद्वीप के टाटेन नामक विशालकाय ग्लेशियर के तेजी से आगे बढ़ने और पिघलने से सामुद्रिक हलचलें तेज होने लगी हैं। ऐसे में अंटार्कटिका की ठंडी जल धाराओं और दक्षिणी पर्थ की गर्म जलधाराओं के संयोग से समुद्र में भयावह विक्षोप निर्मित हो सकता हैं। जिससे हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में भी बड़ी बड़ी समुद्रीय हलचलें होना स्वाभाविक ही हैं। क्योंकि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में मानसून फिर से सक्रिय होकर बड़ी तबाही मचा सकता हैं। भारत के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र के आसमान में अभी भी बारिश के बादलों का कब्जा जमा हुआ हैं। पहाड़ों,पर्वतों और हिमक्षेत्रों की बर्फ पिघलें या ना पिघलें किन्तु चीन के साथ हो चुकी कई दौर की बैठकों के बावजूद चीन की संकीर्ण विस्तारवादी सोच की बर्फ अभी तक नहीं पिघली हैं। मास्कों में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की ताजा बैठकों के बावजूद सीमा विवाद का कोई हल नहीं निकल पा रहा हैं। चीन और भारत के कमांडर स्तर की भी कई बैठकें हो चुकी हैं। अबतक सब बेकार ही साबित हो रही बैठकों से भारत ने भी सीमाओं पर सैन्य ताकत बढ़ाने और कूटनीति की रणनीति चलने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं। रक्षा मंत्री राजनाथसिंह के संसद सदन से कड़े संदेश के बावजूद चीन पीछे ना हटते हुए युध्द की विभीषिका में अपने सैनिकों को झोंकने का मन बना चुका हैं। वहीं आर्थिक टुकड़ों का गुलाम पाकिस्तान और नेपाल भी चीन के सहभागी बनकर अपने देश के सैनिकों को भी युध्द में झोकने का मानस बना चुकें हैं। चौरफा चौकन्ना भारत ने एक पड़ोसी देश के रिश्तों को बहुत अहमियत देते हुए बातचीत के सभी दरवाजें खुले रखते हुए हर संभव कोशिश भी की हैं किन्तु सूत्रों कि माने तो चीन,नेपाल और पाकिस्तान की हड़धर्मिता से सीमाओं पर 90 प्रतिशत युध्द जैसे हालात बन चुके हैं। कभी भी किसी भी क्षण युध्द का शंखनाद हो सकता हैं। ऐसे में विश्व मंच की कई बड़ी महाशक्तियों अमेरिका,रूस, ब्रिटेन, फ्रांस,जापान ने भी चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया हैं। चीन ने परमाणु संधि का उल्लंघन करते हुई अपने गुलाम पाकिस्तान के साथ छोटे परमाणु बमों के प्रयोग को बढ़ावा देने की रणनीति अख्तियार करने की योजना और साजिश को जन्म देने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। अमेरिका, रूस और ब्रिटेन इससे चीन की नीति के खिलाफ बहुत बुरी तरह बौखला उठें हैं। चीन ने सरासर परमाणु अप्रसार संधि के नियमों की धज्जियां उड़ाकर भारत के विरुध्द परमाणु बम के लिए पाकिस्तान को उकसानें की हिमाकत की हैं। परन्तु भारत ने भी चीन और पाकिस्तान दोनों से दो विपरीत दिशाओं में भी हर तरह के आशंकित युध्द से निपटने के पुख्ता इंतजाम कर लिए हैं। चीन यह सब जानते हुए भी कि भारत हर स्थिति में चीन से निपटने के हर एक महत्वपूर्ण प्रयासों को तैयारी के रुप में सीमाओं पर अंजाम दे चुका हैं। फिर भी चीन की गिदड़ भबकी हैं कि धमनें का नाम नहीं ले रही हैं। चीन पहले ही वुहान के जरिए कोरोना वायरस से अपनी अवाम को गहरें मौत के दंश दे चुका हैं। और अब भारत से युध्द करके एक बार फिर अपनी अवाम को युध्द की विभीषिका में झोंकने को भारतीय सीमाओं पर नापाक हरकतें करके रोज रोज मुंह की खाकर भी संभलने को तैयार नहीं हैं।


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