प्रभावशाली संवाद द्वारा मधुर रिश्तो की स्थापना

प्रभावशाली संवाद द्वारा मधुर रिश्तो की स्थापना



कोडरमा/रांची 25 सितंबर l बेटियों के सक्षमीकरण कार्यशाला के चौथे दिन भारतीय जैन संगठन ने झारखंड की बेटियों को आपसी संवाद की क्षमता  का उनके जीवन पर पड़ने वाला सकारात्मक प्रभाव के बारे में बताया और साथ में परिवार समाज और दोस्तों के बीच अपने रिश्तो को मधुर रखते हुए उसकी ऊंच-नीच के बारे में समझाया।


कार्यशाला के प्रशिक्षक रायपुर के  संजय सिंघी ने बेटियों को बताया कि हम एक दूसरे पर परस्पर निर्भर दुनिया में रहते हैं इसलिए हमें एक दूसरे के विचारों का सम्मान करना चाहिए, परिस्थिति के अनुसार लचीलापन रखना आवश्यक होता है लेकिन ऐसा करते वक्त अपने आत्म गौरव और आत्मसम्मान को बनाए रखना चाहिए। उन्होंने बेटियों को सकारात्मक संवाद स्थापित करने में बॉडी लैंग्वेज के महत्व को समझाते हुए कहा की जितनी चीजें हम शब्दों से बयान नहीं करते हैं उससे अधिक चीजें हम अपने हाव-भाव, विभिन्न मुद्राओं, चेहरे पर आए हुए भाव, आंखों के एक्सप्रेशन, स्पर्श इत्यादि से व्यक्त करते हैं। जो हम बोलते हैं उसमें भी आवाज की पिच और वॉल्यूम, बोलने का तरीका, मधुरता या कर्कशपन इत्यादि का क्या बोला गया है उससे अधिक महत्व होता है।


बिना बोले कैसे अपनी भावना को व्यक्त किया जाता है इसके लिए एक एक्टिविटी के दौरान चहल ने चिड़चिड़ापन का, सृष्टि ने रूखेपन का, सुष्मिता ने आहत होने का, राजू ने सांत्वना देने का, खुशबू ने उदास होने का, रिद्धि ने अति उत्साहित होने का, आशिका ने नापसंदी का और प्रांजुल में क्रोधित होने का मूक अभिनय करके बॉडी लैंग्वेज ऑल एक्सप्रेशंस द्वारा भावनाओं को प्रदर्शित किया।


स्पर्शन से कितना बड़ा संवाद स्थापित होता है इससे व्यवहारिक रूप से समझने के लिए बेटियों को होमवर्क दिया गया कि वह घर में अपनी मम्मी के साथ दो मिनट के लिए लिपट कर भावनाओं को महसूस करें और इससे होने वाले अनुभव को कार्यशाला में साझा करें।


कार्यशाला में प्रशिक्षिका राज नाहर ने बताया किस संवाद के दौरान ठीक से सुनने की कला को विकसित करना अच्छे व्यक्तित्व के लिए अति आवश्यक है। नजर मिलाकर सुनना, सुनते समय बीच में व्यवधान नहीं डालना, रुचि लेना, मोबाइल फोन और मैसेज पर ध्यान देना, बीच-बीच में सिर को हिलाना या मुस्कुराना, टेलीविजन या किताब पर नजर नहीं रखना, बार-बार घड़ी नहीं देखना और अभिव्यक्ति से यह बताना कि आपकी बातें मेरे लिए महत्वपूर्ण है, यह सब कला अच्छा श्रोता बनने के लिए बहुत आवश्यक है और ऐसे लोगों को सभी पसंद करते हैं।


कई बार स्पष्ट वादी होना और मुखर होना भी आवश्यक होता है। किसी को भी अपने आत्मसम्मान को या आत्म गौरव को चोट पहुंचाने की अनुमति न दें और यदि कोई ऐसा कर रहा है तो उसे स्पष्टता के साथ में ऐसा करने से मना करें। 


संवाद और भावनाओं से हमारे रिश्ते सभी से मधुर रहते हैं, हमारी लोकप्रियता बढ़ती है। यदि मम्मी पापा से या अन्य किसी से हमारी अनबन हो जाती है तो उसे तुरंत संवाद के माध्यम से सुधारने का प्रयास करना चाहिए और इसके लिए हमें तुरंत पहल करनी चाहिए।


दिल्ली के प्रशिक्षक विपिन जैन जी ने बताया कि किसी से भी रिश्ते मजबूत करने हैं तो उसके लिए स्वस्थ संवाद की आवश्यकता है और उन्होंने बेटियों को कब बोलना है, कितना बोलना है, कितना धैर्य रखना है, किस प्रकार से बोलना है या व्यक्त करना है जिससे कि हमारी बातें और हमारी भावनाएं सामने वाले तक उसी प्रभाव के साथ पहुंचे जितना हम चाहते हैं, इस विषय पर संवाद करने के अनेक गुर उन्होंने सिखलाए।


कार्यशाला में सौ से अधिक बेटियों ने प्रभावशाली संवाद करने और संवाद के जरिए रिश्तो को मजबूत बनाने की कला को सिखा।


इस कार्यशाला का आयोजन रांची की पायल, मोनिका, संदीप, रामगढ़ की खुशबू, हजारीबाग के विजय और सुशीला, कोडरमा की सरला और आशा, गिरिडीह की हेमलता और शशि, धनबाद की कामना, पेटरवार शशि,कोडरमा की वार्ड पार्षद पिंकी जैन समेत अनेक कार्यकर्ताओं ने भारतीय जैन संगठन के तत्वाधान में किया।


 


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