अंजुदास गीतांजलि की दो मुक्तक
अंजुदास गीतांजलि की दो मुक्तक
. मुक्तक -01
हक के लिये आवाज़ उठाना जरूरी है।
औक़ात दुश्मनों को दिखाना जरूरी है।
जब आंच आएगी कभी अपने वतन पे तो,
सरहद पे कत्लेआम मचाना जरूरी है।
. मुक्तक-02
कभी हिन्दू कभी मुस्लिम, मरे हैं इस सियासत में।
न जाने भेंट कितने शीश, चढ़ने हैं हिफाज़त में।
लहू का आख़िरी कतरा ,वतन पे मैं बहा दूंगी,
मेरा भी नाम जुड़ जाये , शहीदों की शहादत में।
_____________________________________
अंजु दास गीतांजलि......✍️ पूर्णियाँ ( बिहार )
Comments