बालिकाओं के सपने पूरे करना हमारी ज़िम्मेदारी-सुदर्शन सूचि

बालिकाओं के सपने पूरे करना हमारी ज़िम्मेदारी-सुदर्शन सूचि



जयपुर 14 अक्टूबर ।बालिकाएं देश का भविष्य है और इन्हें आगे बढ़ाना, प्रोत्साहित करना, इनके सपनों को पूरा करना हम सभी की ज़िम्मेदारी है। बालिकाओं को शिक्षित करना और इनकी क्षमताओं को विकसित करने के योजनाबद्ध प्रयास करना आवश्यक है। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में तकनीकी सहयोग पर राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद, स्कूल शिक्षा विभाग, राजस्थान, शिक्षा विभाग झारखंड सरकार, सेव द चिल्ड्रन और प्रॉक्टर एंड गैम्बल शिक्षा प्रोजेक्ट द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए सेव द चिल्ड्रन के सीईओ सुदर्शन सूचि ने कहा कि बालिकाओं के व्यक्तित्व विकास पर ध्यान देना और उनमें निर्णय लेने की क्षमता विकसित करना ज़रूरी है ताकि वे आगे बढ़ने के लिए सही विकल्प का चुनाव कर सकें। सही स्तर पर ग्रामीण प्रतिभाओं की पहचान कर उन्हें तराशने और उचित अवसर उपलब्ध करवाने पर ज़ोर देते हुए उन्होनें कहा कि परिवारों में पढ़ने-पढ़ाने का सकारात्मक माहौल बनाना होगा ताकि बालिकाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में घरवालों के विरोध का सामना नहीं करना पड़े। जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली की हेम बार्कर ने कहा कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों ने बालिकाओं को बराबरी के हक़ से जीना सिखाया है। बालिकाओं को परिवारों में अहमियत नहीं दी जाती और शिक्षा उन्हें अपने अधिकारों और सपनों को पूरा करने के अवसर प्रदान करती है। मैं कर सकती हूं और मुझे करके दिखाना है कि भावना उन्हें आत्मविश्वास प्रदान करती है।                                                        


समग्र शिक्षा अभियान की उपायुक्त देवयानी ने बताया कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में वंचित और कमज़ोर तबके की बालिकाओं को कक्षा 6 से 8वीं तक निःशुल्क आवासीय शिक्षा से जोड़ा जाता है और यहां शिक्षा के साथ साथ उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास पर ध्यान दिया जाता है। सेव द चिल्ड्रन के तकनीकी सहयोग से न केवल टीचर्स को ट्रेनिंग दी गई बल्कि शाला प्रबंधन समितियों के सदस्यों और अभिभावकों को भी प्रशिक्षित किया गया। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, तस्वारिया, अजमेर की पूर्व छात्रा लक्ष्मी ने अपने अनुभव बांटते हुए बताया कि ये केजीबीवी की शिक्षा का ही प्रभाव है कि मैं बेहद पिछड़े गांव और ग़रीब परिवार की होते हुए भी अपनी शिक्षा पूरी कर पाई और आज पैरा मेडिकल स्टॉफ के तौर पर जयपुर के मेट्रोमास हॉस्पिटल में काम कर रही हूं और अपने परिवार को आर्थिक संबल प्रदान कर पाए रही हूं। झारखंड की रूमी कुमारी ने बताया कि टीचर्स के प्रोत्साहन और प्रेरणा से वो आगे बढ़ पाई और अपने सपने पूरे कर पाई। आज मैं आदिवासी लड़कियों के लिए एक रोल मॉडल हूँ।


सेव द चिल्ड्रन के प्रबन्धक, शिक्षा ने प्रॉक्टर एंड गेम्बल शिक्षा परियोजना के राजस्थान और झारखंड में दस वर्षों के तकनीकी सहयोग के बारे में प्रस्तुतिकरण देते हुए बताया कि शाला प्रबंधन समितियों के 2500 सदस्यों और 592 टीचर्स को प्रशिक्षित करने के साथ साथ बालिकाओं को सेल्फ डिफेंस, थियेटर और कम्युनिकेशन स्किल्स की ट्रेनिंग दी गई। सेव द चिल्ड्रन के उप निदेशक संजय शर्मा ने परियोजना की शुरुआत में बालिका शिक्षा को ले कर समुदाय स्तर पर व्यवहारगत चुनोतियों और उसके समाधान पर विस्तार से जानकारी दी। शिक्षा विभाग, झारखंड की शिक्षा अधिकारी अनूपा टिर्की ने बताया कि बालिकाओं में आगे बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं और हमें उनके सामने आने वाली चुनोतियाँ की पहचान कर उनकी राह को सुगम बनाने के प्रयास करने चाहिये। जीवन कौशल प्रशिक्षण काफ़ी मददगार रहे हैं और उन्होंने भविष्य के सपने देखना सीख है। हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम उनके सपने पूरे करने में मददगार बनें। उन्होंने कहा कि कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में शिक्षिकाओं की कमी को पूरा करने के समुचित प्रयास किये जा रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन कम्युनिकेशन मैनेजर डॉ हेमन्त आचार्य और उप निदेशक शिक्षा कमल गौड़ ने किया।


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